Climate कहानी, कोलकाता | 3 नवंबर 2025 : जलवायु संकट के इस दौर में जब ज़मीन पर कई एनर्जी प्रोजेक्ट्स धीमे पड़ रहे हैं, समंदर से उठी उम्मीद की हवा दुनिया को नई दिशा दे रही है। Ember और Global Offshore Wind Alliance (GOWA) की ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि 2030 तक दुनिया की ऑफशोर विंड क्षमता तीन गुना बढ़ने की राह पर है।
🌐 वैश्विक लक्ष्य और भागीदारी
- 27 देश, 27 राज्य और 3 क्षेत्र ने ऑफशोर विंड के स्पष्ट लक्ष्य तय किए हैं
- कुल मिलाकर 263 GW क्षमता का लक्ष्य रखा गया है (चीन को छोड़कर)
- यूरोप सबसे आगे: 15 देशों ने मिलकर 99 GW का लक्ष्य तय किया
- एशिया तेज़ी से उभर रहा है:
- भारत: 30–37 GW
- जापान: 41 GW (जिसमें 15 GW फ्लोटिंग विंड)
- दक्षिण कोरिया, ताइवान, वियतनाम: संयुक्त रूप से 41 GW
रिपोर्ट के मुताबिक़, आज की तारीख़ में 27 देशों, 27 सब-नेशनल गवर्नमेंट्स और 3 क्षेत्रों के पास स्पष्ट ऑफशोर विंड टारगेट मौजूद हैं। इन लक्ष्यों का कुल जोड़ 2030 तक 263 गीगावाट (GW) बनता है, और इसमें चीन का लक्ष्य अभी शामिल नहीं है। यूरोप अब भी इस दौड़ में सबसे आगे है, जहाँ 15 देशों ने 99 GW के ऑफशोर विंड टारगेट तय किए हैं।
एशिया तेज़ी से पीछे-पीछे चल रहा है, भारत ने 30 से 37 GW, जापान ने 41 GW (जिसमें 15 GW फ्लोटिंग ऑफशोर विंड) और दक्षिण कोरिया, ताइवान व वियतनाम ने मिलकर 41 GW का क्षेत्रीय लक्ष्य तय किया है।

🇨🇳 चीन की रफ्तार बनी प्रेरणा
- बीजिंग डिक्लेरेशन 2.0 के तहत चीन ने 2026–2030 के बीच हर साल 15 GW नई क्षमता जोड़ने की घोषणा की
- 2021–2025 के दौरान यह औसत 8 GW प्रति वर्ष था
- चीन के 11 तटीय प्रांतों ने पहले ही 2025 तक 64 GW के लक्ष्य तय किए हैं
- एशिया अब इस ऊर्जा दौड़ का नया केंद्र बनता जा रहा है
20 अक्टूबर को बीजिंग डिक्लेरेशन 2.0 के तहत चीन ने घोषणा की कि 2026 से 2030 के बीच हर साल कम से कम 15 GW नई ऑफशोर विंड क्षमता जोड़ी जाएगी। यह पहले की तुलना में लगभग दोगुनी गति है, क्योंकि 2021-2025 के दौरान यह औसत सिर्फ़ 8 GW प्रति वर्ष था।
चीन के 11 तटीय प्रांतों ने पहले ही 2025 तक 64 GW के टारगेट तय किए हैं, जिससे यह स्पष्ट है कि एशिया अब इस रेस का केंद्र बन रहा है।
🇺🇸 अमेरिका में नीति-संबंधी सुस्ती
- अमेरिका ने 2030 तक 30 GW का राष्ट्रीय लक्ष्य रखा है
- लेकिन नीतिगत अनिश्चितताओं और बाज़ार की चुनौतियों ने विकास की गति धीमी की
- फिर भी 11 अमेरिकी राज्यों ने मिलकर 84 GW का लक्ष्य तय किया है
- 2025–2029 के बीच 5.8 GW नई क्षमता जुड़ने की उम्मीद
रिपोर्ट यह भी मानती है कि अमेरिका में हाल की नीतिगत अनिश्चितताओं और बाज़ार की चुनौतियों से ऑफशोर विंड विकास की रफ़्तार कुछ धीमी हुई है।हालाँकि अमेरिका ने 2030 तक 30 GW का राष्ट्रीय लक्ष्य कायम रखा है, फिर भी नीति-स्तर पर उलटफेर ने उस पर संदेह पैदा किया है।
फिर भी 11 अमेरिकी राज्यों ने मिलकर 84 GW के लक्ष्य तय किए हैं, और 2025 से 2029 के बीच 5.8 GW नई क्षमता जुड़ने की उम्मीद है। यानि देश-स्तर पर सुस्ती है, पर राज्य-स्तर पर रफ्तार बनी हुई है।
🇮🇳 भारत के लिए क्या मायने हैं?
- भारत ने गुजरात और तमिलनाडु तटों पर शुरुआती परियोजनाओं की योजना बनाई है
- अगर नीति समर्थन और निवेश माहौल मज़बूत हुआ, तो ऑफशोर विंड भारत के क्लीन एनर्जी पोर्टफोलियो का अगला बड़ा अध्याय बन सकता है
- यह भारत को ऊर्जा आत्मनिर्भरता और जलवायु लक्ष्यों की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ा सकता है
भारत ने 2030 तक 30–37 GW के ऑफशोर विंड टारगेट तय किए हैं, और सरकार गुजरात तथा तमिलनाडु तटों पर शुरुआती परियोजनाओं की योजना बना चुकी है। यह रिपोर्ट भारत के लिए भी संकेत है कि अगर नीति समर्थन और निवेश माहौल मज़बूत हुआ, तो ऑफशोर विंड देश के क्लीन एनर्जी पोर्टफोलियो का अगला बड़ा अध्याय बन सकता है।
💬 विशेषज्ञों की राय
- Ember के डेव जोन्स:
“ऑफशोर विंड पहले ही दुनिया भर में 83 GW बिजली दे रही है — 7.3 करोड़ घरों के बराबर।”
- GOWA की अमीशा पटेल:
“यह तकनीक अब साबित हो चुकी है और वैश्विक क्लीन एनर्जी ट्रांज़िशन के लिए अनिवार्य है।”
- 🌍 कहानी का सार
2030 की दुनिया में समंदर के किनारे सिर्फ़ लहरें नहीं, बल्कि बिजली की टर्बाइनें भी घूम रही होंगी। ऑफशोर विंड एनर्जी अब सिर्फ़ एक तकनीक नहीं, बल्कि भरोसे और भविष्य की दिशा बन चुकी है — एक संकेत कि जब धरती पर जगह कम हो, तो इंसान समंदर से भी रोशनी खींच सकता है।
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