
कोलकाता : भारत और बांग्लादेश के संयुक्त नदी आयोग के तकनीकी दलों की गंगा जल संधि पर बैठक बृहस्पतिवार को यहां शुरू हुई। इस संधि का नवीनीकरण 2026 में होना है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
संयुक्त नदी आयोग का बांग्लादेशी प्रतिनिधिमंडल सोमवार सुबह कोलकाता पहुंचा था और तुरंत फरक्का में गंगा पर संयुक्त निरीक्षण स्थल के लिए रवाना हो गया। आयोग के सदस्य पांच मार्च तक फरक्का में थे।
यहां बांग्लादेश उप उच्चायोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘भारतीय और बांग्लादेशी तकनीकी दलों के बीच बैठक आज सुबह शुरू हुई। बांग्लादेशी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व संयुक्त नदी आयोग के सदस्य मोहम्मद अबुल हुसैन कर रहे हैं।’’
पश्चिम बंगाल सरकार के अधिकारियों के अनुसार संयुक्त नदी आयोग में भारत, बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल की सरकारों के सदस्य शामिल हैं। उन्होंने बताया कि सीमा पार की नदियों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए वर्ष में एक बार आयोग की बैठक होती है।
संधि के प्रावधानों के अनुसार संयुक्त समिति की 86वीं बैठक और भारत-बांग्लादेश संयुक्त नदी आयोग रूपरेखा के अंतर्गत तकनीकी बैठक छह और सात मार्च को कोलकाता में निर्धारित की गई है।
बांग्लादेश का प्रतिनिधिमंडल हाल में गंगा के पानी के प्रवाह और बांग्लादेश में इसके बहाव का आकलन करने के लिए फरक्का बैराज गया था।
जनवरी से मई के बीच गंगा नदी में पानी का प्रवाह कम हो जाता है। यात्रा के बाद हुसैन ने कहा कि जनवरी में पानी का प्रवाह ‘‘अच्छा’’ था लेकिन फरवरी में यह ‘‘कम’’ हो गया। उन्होंने कहा कि जल बंटवारा भारत और बांग्लादेश के बीच 1996 की संधि के अनुसार किया जा रहा है।
फरक्का में दोनों पक्षों ने पिछले पांच महीनों के दौरान गंगा जल प्रवाह के बारे में आंकड़ों का आदान-प्रदान किया।
भारतीय अधिकारियों के साथ दो दिवसीय चर्चा के अलावा, बांग्लादेशी प्रतिनिधिमंडल सात मार्च को पश्चिम बंगाल सिंचाई विभाग के सचिव मनीष जैन से भी मुलाकात करेगा।
गंगा जल-बंटवारा समझौता पश्चिम बंगाल के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि फरक्का बैराज से छोड़ा गया पानी नदी के किनारे रहने वाले लोगों की आजीविका और कोलकाता बंदरगाह की नौवहन क्षमता को बनाये रखने के लिए आवश्यक है।
जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार भारत और बांग्लादेश 54 नदियों का पानी साझा करते हैं।
भारत और बांग्लादेश के संयुक्त नदी आयोग का गठन 1972 में साझा, सीमा अथवा सीमा पार नदियों पर आपसी हित के मुद्दों का समाधान करने के लिए द्विपक्षीय तंत्र के रूप में किया गया था।
गंगा जल संधि पर 12 दिसंबर 1996 को तत्कालीन प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा और बांग्लादेश की उनकी समकक्ष शेख हसीना ने हस्ताक्षर किए थे।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से गंगा जल बंटवारा संधि का नवीनीकरण करने के प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है। बनर्जी हालांकि तीस्ता नदी जल बंटवारे समझौते का विरोध कर रही हैं, जबकि भारत और बांग्लादेश दोनों 2011 में इसके मसौदे पर सहमत हो चुके हैं।
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