आशा विनय सिंह बैस की कलम से…बिल्कुल असत्य घटना पर आधारित कहानी!

नई दिल्ली । शर्मा जी पढ़ने-लिखने में होशियार थे और देखने-सुनने में स्मार्ट।कामकाज के मामले में भी वह तेजतर्रार थे। बस उनकी एक ही कमी थी कि वह ऑफिस हमेशा देर से आते थे। एक-दो दिन की बात होती तो शायद चल भी जाता लेकिन जब वह लगभग रोज ही देर से आने लगे तो उनके बॉस से रहा न गया। उन्होंने एक दिन पूछ ही लिया- “शर्मा, तुम्हारे अंदर सारी खूबियां हैं। काम अच्छा करते हो, समय से करते हो। मृदुभाषी भी हो। बस एक ही कमी है, कभी समय से नहीं आते हो। यह कमी दूर कर लो तो तुम ‘Best Employee’ बन जाओगे।”

शर्मा जी- “सर मुझे भी देर से आना अच्छा नहीं लगता। लेकिन क्या करूं, कुंवारा हूं। दिल्ली में अकेले रहता हूं। अपने लिए खुद ही खाना बनाना पड़ता है इसलिए कुछ देर हो जाती है। फिर भी मैं प्रयास करूंगा कि अब ऐसा न हो।”

कुछ दिन बाद शर्मा जी की भगवान ने सुन ली और उनकी शादी हो गई। शादी के बाद शर्मा जी ने पूरे एक महीने की छुट्टी ली और हनीमून पर निकल गए। हनीमून से वापस लौटे तो पूरे ऑफिस को लंच पार्टी दी। ऑफिस के सभी लोगों और उनके बॉस ने उन्हें खूब बधाई दी।

अगले दिन शर्मा जी फिर से लेट आए बल्कि काफी लेट आए। चूंकि कल का लंच अभी ठीक से हजम भी नहीं हुआ था इसलिए किसी ने कुछ नहीं कहा। लेकिन सहकर्मियों ने यह भी नोट किया कि शर्मा जी अब कुछ ज्यादा ही लेट आने लगे हैं। दो-चार दिन की बात होती तो नई शादी का बहाना चल जाता लेकिन जब यह रोज ही होने लगा तो एक दिन बॉस ने उन्हें अपने चैंबर में बुला ही लिया।

बॉस- “शर्मा जी जब तुम अविवाहित थे, अकेले थे, तब तो देर से आने का कारण समझ में आता था। तुम खुद ही कहते थे कि भोजन बनाते हो इसलिए देर हो जाती है। अब तो तुम शादी-शुदा हो। तुम्हारी पत्नी भी हाउस वाइफ है। लेकिन पहले तुम 10 -15 मिनट लेट होते थे अब तो कई बार घंटे भर भी लेट हो जाते हो। अब क्या बहाना है तुम्हारे पास??”

शर्मा जी- “सर पहले मुझे खुद का भोजन बनाना पड़ता था तब मैं 15-20 मिनट लेट होता था। अब मुझे दो लोगों का भोजन बनाना पड़ता है इसलिए मैं आधा घंटा लेट हो जाता हूं। सीधा सा मैथ है सर।”
सुना है बॉस ने शर्मा जी को ‘Show Cause Notice’ थमा दिया है।

आशा विनय सिंह बैस, लेखिका

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