
।।हथौड़े की चोट से ही पत्थर को भगवान बनाया जाता है।।
अंधेरी रातों के बाद तारे कहीं और छुपने चले जाते हैं,
पर उम्मीद का दीया मन में तो जला ही रहता है।
जिंदगी की राह में कुछ अपने छूटे तो कुछ सपने टूटे,
लेकिन आँसू छुपाकर पथिक आगे बढ़ते ही जाता है।
कल क्या होगा किसे है ये पता, फिर ऐसी सोच क्यों,
चलते जाना ही जीवन-कहानी का सत्य कहा जाता है।
गर मुश्किल घड़ी आ जाए, तो खुद अपने को संभालो,
मंजिल पर पहुँच ही सपनों को साकार माना जाता है।
राह में गिर भी अगर जाओ तो फिर उठकर मुस्कुराओ,
जीवन के सफर में निराश बैठे आँसू न बहाया जाता है।
देखा है पत्थरों से टकराकर बिखरती नदी की धार को,
सतत प्रवाह से ही मंजिल समंदर को पाया जाता है।
फिर बैठा क्यों मौन है राही, तेरी मंजिल तेरे पास न आएगी,
हथौड़े की चोट से ही पत्थर को भगवान बनाया जाता है।
मुहम्मद अरमान,
कक्षा – नवम
श्री जैन विद्यालय, हावड़ा
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