Freedom is the basic condition of living life - Prof. Kumud Sharma

आजादी जीवन जीने की बुनियादी शर्त है : प्रो.कुमुद शर्मा

संवाद सूत्र, कोलकाता : साल्ट लेक स्थित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय क्षेत्रीय केंद्र कोलकाता और भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद,नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में 25-26 मार्च 2025 को “स्त्री पहचान:निरंतर संघर्ष की परिणति” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की माननीय कुलपति प्रोफेसर कुमुद शर्मा ने की।

क्षेत्रीय केंद्र कोलकाता के प्रभारी डॉ.अमित राय ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और अपने स्वागत वक्तव्य में केंद्र के द्वारा संचालित परियोजना,आयोजित कार्यक्रम और केंद्र की उपलब्धियों के बारे में अवगत करवाया।

राष्ट्रीय संगोष्ठी की संयोजक डॉ. चित्रा माली ने अपने संयोजकीय वक्तव्य में संगोष्ठी की परिकल्पना और अवधारणा के बारे में बताया । मुख्य अतिथि श्री मृत्युंजय कुमार सिंह जी ने कहा कि “महिलाओं की आजादी पुरुषों को आतंकित करती है”।

उन्होंने कहा कि पहले आम चुनाव में कई महिलाओं को वोट देने से इसलिए वंचित कर दिया गया था क्योंकि उनका कोई अपना नाम नहीं था। वे किसी की बेटी,बहन,मां और पत्नी के रूप में जानी जाती थी।

Freedom is the basic condition of living life - Prof. Kumud Sharma

उनकी अपनी कोई अलग पहचान नहीं थी। यह विचार करने वाली बात है कि स्त्रियों के लिए संघर्ष पहचान की यात्रा है या पहचान संघर्ष की यात्रा है।

विशिष्ट वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार अलका सरावगी जी ने अपनी बात जोड़ासांको से शुरू की तथा वहां की महिलाओं की प्रतिभाओं और स्वतंत्रता से परिचित करवाया जिनमें,मुख्यतः सरला देवी चौधरानी के जीवन के विभिन्न पहलुओं को उनके साहस और महिलाओं के लिए उनकी प्रगति के लिए किए गए कार्यों को उजागर किया।

डॉ. अविनाश कुमार विशिष्ट फेलो,सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज ने अपने बीज वक्तव्य में कास्ट,क्लास और जेंडर के अंतःसंबंधों और उससे जुड़ी संरचना पर प्रकाश डाला। उन्होंने कई उदाहरणों से स्त्री संघर्ष की यात्रा को बताया। आज भी फैक्टरी में काम करने वाली महिला को मैटरनिटी लीव देने में फैक्टरी मालिक संकोच करते है।

उन्होंने एंटी रेप कानून और दहेज विरोधी आंदोलनों के इतिहास और संघर्ष पर भी अपनी बात रखी। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा की कुलपति प्रोफेसर कुमुद शर्मा जी ने कि स्त्री को देखने की हमारी दृष्टि क्या है इसे समझना होगा। आज भी स्त्री को भोग्या समझा जाता है।

हम स्त्री की आजादी की बात तो करते है लेकिन हर स्त्री के लिए आजादी के अलग अलग मायने है इसे हमें समझना होगा। एक आधुनिक स्त्री आज अपने लिए नए मुहावरे गढ़ रही है।

ये आधुनिक स्त्री टेक्नोसेवी है और अपने आप को सोशल मीडिया पर अभिव्यक्त करने में उसे कोई संकोच नहीं है लेकिन ये टेक्नोलॉजी निरपेक्ष नहीं है वह मार्केट के अधीन है और उसी से संचालित है।

उन्होंने कहा कि यदि आप किसी की आवाज दबा देते हैं तो आप उसकी समस्त स्वतंत्रताओं का अपहरण कर लेते हैं उन्होंने आजादी और स्वतंत्रता के मायनों को समझाते हुए कहा कि आजादी या स्वतंत्रता केवल एक मनोभाव नहीं है केवल एक विचार नहीं है बल्कि वह जीवन जीने की बुनियादी शर्त भी है इसके बिना आपको मनुष्य की संज्ञा नहीं दी जा सकती|

उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ. अमरेंद्र कुमार शर्मा एसोसिएट प्रोफेसर दूरशिक्षा द्वारा किया गया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ, अभिलाष कुमार गोंड़ सहायक प्रोफेसर हिंदी साहित्य क्षेत्रीय केंद्र कोलकाता के द्वारा किया गया।

प्रथम अकादमिक सत्र “स्त्री प्रश्नों की वैश्विक अभिव्यक्ति” सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर मनोज कुमार जी पूर्व अधिष्ठाता,समाज कार्य संस्थान  महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय,वर्धा के द्वारा की गई।

प्रथम अकादमिक सत्र में विशिष्ट वक्ता के तौर पर डॉ. अमरेंद्र कुमार शर्मा,डॉ.सत्या उपध्य्याय प्रिंसिपल कोलकाता गर्ल्स कॉलेज, डॉ.अच्युतानंद मिश्रा सहायक प्रोफेसर शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय केरल, डॉ.ऋषि भूषण चौबे सहायक प्रोफेसर, प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी,कोलकाता तौर पर उपस्थित थे सभी ने स्त्री प्रश्नों की वैश्विक अभिव्यक्ति पर अपने विचार रखे।

सत्र का संचालन डॉ. अभिलाष गोंड़ के द्वारा किया गया और धन्यवाद ज्ञापन श्री शरद जायसवाल सहायक प्रोफेसर महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय क्षेत्रीय केंद्र प्रयागराज के द्वारा किया गया।

द्वितीय अकादमिक सत्र “विभिन्न विचारकों के नजरिए में स्त्री पक्ष” की अध्यक्षता प्रोफेसर तनुजा मजूमदार अध्यक्ष हिंदी विभाग, प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय,कोलकाता के द्वारा की गई।

द्वितीय अकादमिक सत्र में विशिष्ट वक्ता के तौर पर प्रोफेसर मनोज कुमार पूर्व निदेशक समाज कार्य संस्थान महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा,प्रोफेसर जय कौशल असम विश्वविद्यालय, डॉ. शुभ्रा उपध्य्याय प्रिंसिपल खुदी राम बोस सेंट्रल कॉलेज,डॉ. संजय कुमार जयसवाल उपस्थित थे।

इस सत्र में कविवर रविन्द्र नाथ टैगोर,महात्मा  गांधी,डॉ.राममनोहर लोहिया, डॉ. भीमराव अंबेडकर और रुकैया बेगम के नजरिए से स्त्री पक्ष व अधिकारों को लेकर विमर्श हुआ।

सत्र का संचालन डॉ.ऋचा द्विवेदी,अथिति अध्यापक महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय क्षेत्रीय केंद्र कोलकाता के द्वारा किया गया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अवंतिका शुक्ला एसोसिएट प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष स्त्री अध्ययन विभाग महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय क्षेत्रीय केंद्र प्रयागराज द्वारा किया गया।

तृतीय अकादमिक सत्र: “नारीवाद विमर्श: साहित्य, कला और संस्कृति” सत्र की अध्यक्षता डॉ.अविनाश कुमार विशिष्ट फेलो,सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज,नई दिल्ली के द्वारा की गई। तृतीय अकादमिक सत्र में विशिष्ट वक्ता के तौर पर डॉ.राहुल सिंह ऐसोसिएट प्रोफेसर हिंदी विभाग विश्व भारती,शांति निकेतन व सुश्री उमा झुनझुनवाला अध्यक्ष लिटिल थेस्पियन कोलकाता उपस्थित थी।

भारतीय सिनेमा के संदर्भ से स्त्री पहचान और प्रश्नों पर विमर्श किया गया और रंगमंच  और स्त्री विषय पर भी बात रखी गई। संचालन कोलकाता केंद्र के प्रभारी डॉ.अमित राय जी के द्वारा किया गया और धन्यवाद ज्ञापन श्री शरद जायसवाल सहायक प्रोफेसर स्त्री अध्ययन विभाग महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय क्षेत्रीय केंद्र प्रयागराज के द्वारा दिया गया।

चतुर्थ अकादमिक सत्र  “समकालीन स्त्री विमर्श,मुद्दे और संघर्ष” सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर चंद्रकला पांडेय वरिष्ठ साहित्यकार एवं पूर्व राज्यसभा  सांसद के द्वारा किया गया।

चतुर्थ अकादमिक सत्र में वशिष्ठ वक्ता के तौर पर डॉ.अवंतिका शुक्ला एसोसिएट प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष स्त्री अध्ययन विभाग,महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय क्षेत्रीय केंद्र, प्रयागराज, सुश्री अल्पना नायक श्री शिक्षायतन कॉलेज कोलकाता,श्री शरद जायसवाल सहायक प्रोफेसर स्त्री अध्ययन विभाग महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय क्षेत्रीय केंद्र प्रयागराज, डॉ.राम प्रवेश रजक सहायक प्रोफेसर हिंदी विभाग कोलकाता विश्वविद्यालय उपस्थित थे।

सत्र का संचालन कोलकाता केंद्र की एम.ए. चतुर्थ छमाही की छात्रा सुश्री रिया साव के द्वारा किया गया और धन्यवाद ज्ञापन सुश्री त्रिरत्ना हलवाई के द्वारा किया। राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर चंद्रकला पांडेय वरिष्ठ साहित्यकार कोलकाता व पूर्व राज्यसभा सांसद के द्वारा की गई।

मुख्य अतिथि श्री बृजेश देवरे निदेशक राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान कोलकाता ने अपने संस्थान की छात्राओं के कलात्मक कौशल और प्रतिभाओं के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि हमारे संस्थान में केवल महानगरों से ही छात्र नहीं आते है वे अपनी प्रतिभा और जुनून के कारण सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से भी आते है और संघर्ष कर कामयाब होते हैं।

कई स्त्रियां फैशन के क्षेत्र में भारत का नाम भी रोशन कर रही है। मुख्य अतिथि दीपा साव निदेशक अखिल भारतीय स्वच्छता एवं जन स्वास्थ्य संस्थान कोलकाता ने कहा कि “स्त्रियां ही स्त्रियों के विकास में अग्रसर हो सकती है और मार्ग प्रशस्त कर एक दूसरे का सहयोग कर सकती है,सहयोगी बन सकती हैं।

विशिष्ठ वक्ता श्री मृत्युंजय कुमार सिंह वरिष्ठ साहित्यकार कोलकाता ने अपनी लिखी कविता के मार्फ़त स्त्रियों के साथ होने वाली हिंसा और छलावे को उजागर किया। उन्होंने कहा कि “बाजार ने स्त्री को एक कमोडिटी बना दिया है। बाजार की दुनिया में स्त्री और बच्चों का सबसे अधिक शिकार होता है इसे समझे जाने की आवश्यकता है।

स्त्री पहचान और सशक्तिकरण के लिए यह आवश्यक है कि शोषक और शोषण की हर प्रक्रिया,हर स्तर को जाना पहचाना जाए। प्रोफेसर चंद्रकला पांडेय जी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि “स्त्री और पुरुष में सहचर और समानता की  अत्यंत आवश्यकता है” तभी समाज को स्त्री के अनुकूल बनाया जा सकेगा।

स्त्री-पुरुष एक दूसरे के विपरीत नहीं है वे एक दूसरे के साथी और सहचर है। समापन सत्र का संचालन केंद्र के प्रभारी व एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अमित राय जी के द्वारा किया गया और धन्यवाद ज्ञापन राष्ट्रीय संगोष्ठी की संयोजक डॉ. चित्रा माली के द्वारा किया गया।

उन्होंने विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर कुमुद शर्मा जी,संगोष्ठी में अलग अलग राज्यों से पधारे विशिष्ट वक्ताओं,कोलकाता के विशिष्ट अतिथियों, सुधीजनों, छात्र,छात्राओं,शोधार्थी, मीडियाकर्मियों और आयोजन समिति के सभी सदस्यों (डॉ.अमित राय, डॉ. अभिलाष कुमार गोंड़,डॉ.आलोक सिंह, श्री सुखैंन शिकारी व रीता बैद) का बहुत बहुत आभार प्रकट किया और भविष्य में भी सभी से इसी प्रकार के सहयोग और स्नेह की आशा जताई।

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