अनिल बेदाग, मुंबई | 27 अक्टूबर 2025 — अंधेरी पश्चिम स्थित फोर बंगले गुरुद्वारा, जो 13 अप्रैल 1967 को सरदार सिंह सूरी जी की अगुवाई में स्थापित हुआ था, इस वर्ष गुरु नानक जयंती के अवसर पर सेवा, श्रद्धा और सामाजिक जिम्मेदारी का अनूठा संगम पेश करने जा रहा है। वर्तमान में मनिंदर सिंह सूरी के नेतृत्व में यह गुरुद्वारा न केवल भक्ति का केंद्र बना है, बल्कि समाज सेवा का भी प्रेरणास्रोत है।
📅 कार्यक्रम की रूपरेखा
| तिथि | कार्यक्रम |
|---|---|
| 24 अक्टूबर | प्रभात फेरियों की शुरुआत |
| 2 नवम्बर | शाम 6 बजे लोकलांडवाला बैक रोड से नगर कीर्तन |
| 3–5 नवम्बर | अखंड पाठ, भक्ति और शांति का वातावरण |
| 5 नवम्बर | गुरु नानक जयंती, 70,000 श्रद्धालुओं के लिए लंगर प्रसाद |
13 अप्रैल 1967 को स्थापित यह गुरुद्वारा सरदार सिंह सूरी जी की लगन और समर्पण का नायाब उदाहरण है। उन्होंने 45 वर्षों तक इस पवित्र स्थल को अपने जीवन का हिस्सा बनाया।
उनके बाद उनके पुत्र सरदार जसपाल सिंह सूरी ने नेतृत्व की कमान संभाली और अब पौत्र मनिंदर सिंह सूरी ने इसे और ऊँचाइयों तक पहुँचाने का बीड़ा उठाया है।
🍛 लंगर सेवा की भव्यता
- रोजाना: 2,000 श्रद्धालु लंगर ग्रहण करते हैं
- रविवार को: संख्या 5,000 पार कर जाती है
- गुरु नानक जयंती पर: अनुमानित 70,000 श्रद्धालुओं के लिए लंगर प्रसाद
- लंगर यहाँ सिर्फ भोजन नहीं, बल्कि आत्मिक तृप्ति का अनुभव है
यहाँ साल के 365 दिन लंगर की खुशबू और सेवा का जादू बिखरता है। रोजाना 2,000 लोग लंगर ग्रहण करते हैं, और रविवार को यह संख्या 5,000 पार कर जाती है। इस वर्ष 5 नवम्बर को गुरु नानक जयंती के मौके पर लगभग 70,000 श्रद्धालुओं के लिए लंगर प्रसाद का इंतजार रहेगा।
अगर लंगर खाना आपके लिए सिर्फ पेट भरने का मामला है, तो यहाँ इसे खाने का अनुभव निश्चित रूप से आत्मा को भी तृप्त कर देगा।

🌾 सामाजिक सेवा की मिसाल
- गुरुद्वारे ने पंजाब के तीन बाढ़ग्रस्त गांवों को गोद लिया
- किसानों को बीज, डीज़ल और विवाह जैसी ज़रूरी मदद प्रदान की गई
- यह पहल धार्मिक स्थलों की सामाजिक भूमिका को दर्शाती है
🎶 कीर्तन और भक्ति का माहौल
- विश्व के कई प्रसिद्ध कीर्तनिये यहाँ भजन की मधुरता बिखेर चुके हैं
- इस वर्ष भी भक्ति संगीत और सेवा भावना का संगम देखने को मिलेगा
- प्रबंधन ने श्रद्धालुओं से सेवा और मानवता के इस पर्व में शामिल होने की अपील की है
विश्व के कई प्रसिद्ध कीर्तनिये भी इस गुरुद्वारे में भजन की मधुरता बिखेर चुके हैं। प्रबंधन ने सभी श्रद्धालुओं से अपील की है कि इस बार भी इस पर्व में शामिल होकर सेवा, श्रद्धा और मानवता के इस उत्सव का हिस्सा बनें।
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