शैक्षिक नवाचार के लिए प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा, डॉ. हरिकृष्ण दत्त शिक्षा सम्मान से अलंकृत

Bhopal: भोपाल में आयोजित महात्मा गांधी अलंकरण समारोह में विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा को शैक्षिक नवाचार के लिए डॉ. हरिकृष्ण दत्त शिक्षा सम्मान से अलंकृत किया गया। माधवराव सप्रे स्मृति संग्रहालय एवं शोध संस्थान, भोपाल द्वारा आयोजित समारोह में प्रो. शर्मा को सम्मान-पत्र, सम्मान राशि, शॉल, श्रीफल, सूत की माला एवं साहित्य अर्पित कर उन्हें सम्मानित किया गया। उन्हें यह सम्मान आयोजन के प्रमुख अतिथि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी, पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्र, नई दिल्ली एवं भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने अर्पित किया।

मंच पर संस्थान के संस्थापक – संयोजक पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ लेखक विजयदत्त श्रीधर और संस्थान के अध्यक्ष डॉ. शिवकुमार अवस्थी मौजूद थे। प्रशस्ति पत्र का वाचन डॉ. मंगला अनुजा ने किया। अपने सम्मान के प्रत्युत्तर में प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि महात्मा गांधी इस देश की व्यापक लोक चेतना के अंग बन गए हैं। प्रत्येक व्यक्ति उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए प्रादर्शों पर स्वयं को आजमाना चाहता है। सप्रे संग्रहालय ज्ञान साधना के लिए जीवंत तीर्थ स्थल है, जिसका लाभ देश दुनिया के अध्येता ले रहे हैं। इस अवसर पर लोकसंस्कृति विद् डॉ. बसन्त निरगुणे, साहित्यकार कैलाशचंद्र पंत, डॉ. पुष्पेंद्रपाल सिंह, अजित राय, अमित दत्त, नई दिल्ली, डॉ. जवाहर कर्नावट, डॉ. मयंक चतुर्वेदी सहित अनेक बुद्धिजीवी, संस्कृतिकर्मी एवं गणमान्यजन उपस्थित थे।

साहित्य, शिक्षा, भाषा और संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा समीक्षा एवं अनुसंधानपरक लेखन में पिछले तीन दशकों से अधिक समय से निरंतर सक्रिय दिया है। उन्होंने पैंतीस से अधिक ग्रन्थों का लेखन एवं सम्पादन किया है, जिनमें शब्दशक्ति सम्बन्धी भारतीय और पाश्चात्य अवधारणा तथा हिन्दी काव्यशास्त्र, देवनागरी विमर्श, मालवा का लोकनाट्‌य माच और अन्य विधाएं, हिंदी कथा साहित्य, प्राचीन एवं मध्यकालीन काव्य, हिन्दी भाषा संरचना, मालवी भाषा और साहित्य, अवन्ती क्षेत्र और सिंहस्थ महापर्व, महात्मा गांधी : विचार और नवाचार, हिंदी भीली अध्येता कोश, सिंहस्थ विमर्श आदि प्रमुख हैं।

स्तरीय शोध पत्रिकाओं और ग्रन्थों में उनके 300 से अधिक शोध एवं समीक्षा निबंधों तथा प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में 800 से अधिक कला एवं रंगकर्म समीक्षाओं का प्रकाशन हुआ है। साहित्य, शिक्षा एवं लोक संस्कृति के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए प्रो. शर्मा को देश – दुनिया के अनेक महत्वपूर्ण सामानों से अलंकृत किया गया है। उन्होंने भाषा, लिपि, साहित्य, शिक्षा और लोक संस्कृति से जुड़ी राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर की अनेक संगोष्ठी और कार्यशालाओं का समन्वय किया है। शहर के अनेक साहित्यकारों, शिक्षाविद्, संस्कृतिकर्मी और अध्येताओं ने हर्ष व्यक्त कर प्रो. शर्मा को बधाई दी।

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