कोलकाता : महिलाओं ने समाज में खासकर उद्यमियों के तौर पर महामारी के दौरान काम और घर को संभालने की चुनौती का सामना किया है। महामारी के दौरानस्‍वास्‍थ्‍य संबंधित जोखिम और आर्थिक अनिश्चितता के कारण काम और घर को संभालने की चुनौतियाँ काफी बढ़ गई थीं। कई परिवार आज भी इन कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। एसआईपी एकेडमी की सभी कोर्स इंस्‍ट्रक्‍टर्स महिलाएं हैं। पूरे भारत में ऐसी कुल 4000 से ज्‍यादा इंस्‍ट्रक्‍टर्स हैं। वे एसआईपी में दो कोर्सेस पढ़ाती हैं- एबेकस ओर ग्‍लोबलआर्ट। भारत में कुल 850 फ्रैंचाइजीस में से 95% भी महिलाएं ही हैं।

एसआईपी एकेडमी की फ्रैंचाइजी पार्टनर्स और कोर्स इंस्‍ट्रक्‍टर्स इस यात्रा का अभिन्‍न हिस्‍सा रही हैं। वे न्‍यूनतम बाधा के साथ अपने उपक्रम जारी रखेंइसके लिये उन्‍हें सक्षम बनाने की एकेडमी की प्रतिबद्धता सचमुच उल्‍लेखनीय है। अनुकूल बनने और आगे बढ़ने के लिये एकेडमी के पार्टनर्स ने जो एनर्जी और उत्‍साह दिखायाउसके फलस्‍वरूप एसआईपी एकेडमी ने दो महीनों के भीतर अपना बिजनेस मॉडल बदल दिया।

कोलकाता में एसआईपी एकेडमी के एसआईपी एबेकस और ग्‍लोबलआर्ट प्रोग्राम्‍स को बहुत अच्‍छा रिस्‍पॉन्‍स मिला। बच्‍चे महामारी के दौरान भी बड़ी संख्‍या में इन प्रोग्राम्‍स में एनरोल हुए। ऐसा इसलिये हुआक्‍योंकि वे ध्‍यानएकाग्रतादर्शनीय स्‍मृतिइन्‍हें बनाये रखने और याद कर सकने तथा गणित में दक्षता वाली कुशलताओं और रचनात्‍मकता की शक्ति विकसित करने का लाभ उठा सकें। इस प्रकार बच्‍चे के आत्‍मविश्‍वास का सर्वांगीण विकास होता है।

एसआईपी एकेडमी इंडिया ने अपनी 18 वीं वर्षगांठ मनाई है। कंपनी की सफलता का उत्‍सव मनाते हुएमैनेजिंग डायरेक्‍टर दिनेश विक्‍टर ने घोषणा कर दी कि महामारी से प्रभावित हुए अपने स्‍टूडेंट्स को सहयोग देने के लियेएसआईपी एकेडमी इंडिया 141 बच्‍चों के लिये कोर्स की निशुल्‍क समाप्ति करेगी। यह एसआईपी एकेडमी के वे मौजूदा स्‍टूडेंट्स हैंजिन्‍होंने महामारी के दौरान पेरेंट में से किसी एक (माता या पिता) को खोया है। पूरे कोर्स की अवधि 3.5 से 4 वर्ष हैजबकि दिनेश ने यह घोषणा की है कि बच्‍चे के मौजूदा लेवल से इतरएसआईपी एकेडमी कोर्स की शेष अवधि के लिये मासिक शुल्‍क नहीं लेगी।

हमारे हालिया इतिहास की सबसे भीषण वैश्विक घटनाओं में से एक के बीच, इन महिला योद्धाओं की दृढ़ता और रिसाइलिएंस प्रेरक है। एकेडमी को यह बताते हुए गर्व है कि उसके प्रोग्राम ने इन महिलाओं को उस समय अपने परिवारों के सर्वाइवल में मदद कीजब महामारी ने उनके पतियों की कमाई को प्रभावित किया था। एसआईपी एकेडमी को गर्व है कि उसने इन साहसी महिलाओं के साथ भागीदारी की।

  • एसआईपी एकेडमी ने अपनी महिला बिजनेस पार्टनर्स को सफल बनने में ऐसे सहायता दी:
  • ऑनलाइन कक्षाएं अपनाने का त्‍वरित व्‍यावसायिक फैसलाताकि व्‍यवसाय की निरतंरता बनी रहे।
  • उनके सेंटर्स को ऑनलाइन करने के लिये तकनीकी ज्ञानप्रशि‍क्षण और परिचालन में सहायता।
  • फ्रैंचाइजीज और कोर्स इंस्‍ट्रक्‍टर्स के लिये क्षमता निर्माणताकि वे टेक्‍नोलॉजीऑनलाइन कक्षाओं और कक्षा के प्रबंधन को संभाल सकें।
  • किताबोंअबेकस और संपूर्ण अध्‍ययन सामग्री का वितरणताकि कक्षाएं किसी बाधा के बिना चलती रहें।
  • बिजनेस के लिये सारे जरूरी सहयोगों की निरंतरताजैसे बैंकिंग और प्रबंधन।
  • व्‍यवसाय विकास और मार्केटिंग की नई गतिविधियों के लिये डिजिटल मार्केटिंग द्वारा सहयोग।
  • कोविड इमरजेंसी रिस्‍पॉन्‍स टीम का गठनजिसने आपा-धापी की स्थिति में यथासंभव सटीक सूचना के साथ सहायता की।

एसआईपी एकेडमी बच्‍चों के कौशल विकास को समर्पित एक कंपनी हैजिसके 950,000 से ज्‍यादा स्‍टूडेंट्स हैं। इसकी शुरूआत वर्ष 2003 में हुई थी और आज यह भारत समेत 14 देशों और भारत के 22 राज्‍यों में मौजूद है। इस कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्‍टर दिनेश विक्‍टर हैं। दिनेश विक्‍टर आईआईटी मुंबई और आईआईएम अहमदाबाद के भूतपूर्व स्‍टूडेंट हैं।