विजन 2047 के आधार स्तंभों में शिक्षा की गुणवत्ता व जिम्मेदार नागरिक का महत्वपूर्ण रोल
संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि का विकसित भारत का सपना स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व जिम्मेदार नागरिक बनने पर निर्भर है, सटीक विश्लेषण- अधिवक्ता के.एस. भावनानी
अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर हर देश का विकास तभी संभव होगा जब उस देश में शिक्षित नागरिकों का अधिक से अधिक प्रतिशत हो, उनका हृदय दिलों दिमाग से जिम्मेदार नागरिक होने का जज्बा व जांबाजी हो तो उस देश के विकास को कोई नहीं रोक सकता। मेरा मानना है कि यह उस देश की शिक्षा नीति व पाठ्यक्रम ढांचा नीति पर निर्भर करता है। अमेरिका में निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने हर चुनावी सभाओं में संघीय शिक्षा विभाग की निंदा करते नजर आए, अब अनुमान है कि संघीय शिक्षा मंत्रालय को बंद कर राज्यों को इसका पूर्ण अधिकार दिया जा सकता है। इसलिए ही उन्होंने शिक्षा विकास की जिम्मेदारी पेशेवर रेसलर इंटीरियर की सीईओ को सौंपी है, यानी अब अमेरिकी एजुकेशन पॉलिसी में बदलाव हो सकता है। इधर भारत में भी संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि ने बयान दिया है कि, भारत के विकास का विजन 2047 तभी पूरा हो सकता है, जब स्कूलों में बच्चों को न केवल गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा मिले बल्कि उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनने की भी प्रेरणा मिले।
हम देखते हैं कि आज शिक्षा का स्तर 50 वर्ष पूर्व से अपेक्षाकृत कम हुआ है जिसका उदाहरण है कि पुराने जमाने के लोग किसी भी हिसाब का जवाब झट से दे देते हैं जबकि अभी के युवाओं को कैलकुलेट की जरूरत पड़ती है। आज स्कूलों में भी किसी विषय को सिर्फ पढ़कर समझाया जाता है प्रैक्टिकल रूप से नहीं समझाया जाता। मैं अपने स्कूल का 1977 का वाक्या बताना चाहूंगा जब मैं छठवीं कक्षा में था हमारे हिंदी के टीचर भूरेलाल के. पटले ने मुझे बुलाया और एक मजबूत धागा देकर तोड़ने के लिए कहा मैंने तोड़ दिया फिर उन्होंने उसे जोड़ने के लिए कहा मैंने गांठ बांध दी, बस! उन्होंने इस पर समझाया, रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय, टूटै से फिर ना मिलै, मिलै गांठ पड़ जाए और हमें बताया रिश्ते, नातों, दोस्तों, संबंधों को प्यार मोहब्बत से सहेज कर रखने की जरूरत है। थोड़ा सा भी रिश्ता बिगड़ा तो वह पहले जैसा नहीं रहेगा जैसे इस धागे में गांठ पड़ी दिखाई दे रही है। हमारे पूरे क्लास को आज भी रिश्ते सहेज कर रखने की यह सीख याद है।
यह विषय आज हम इसलिए चर्चा कर रहे हैं, क्योंकि 27 नवंबर 2024 को भारत में संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि ने विकसित राष्ट्र का सपना पूरा करने स्कूलों से शिक्षा की गुणवत्ता व जिम्मेदार नागरिक बनने की बात कही। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 व राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचा 2023 में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा व जिम्मेदार नागरिक नीति पर जोर देना जरूरी है।
साथियों बात कर हम नई दिल्ली में आयोजित राइजअप4पीस नीति बैठक की करें तो एनसीईआरटी और यूएनओडीसी साउथ एशिया की तरफ से आयोजित राइजअप4पीस नीति सलाहकार बैठक में 70 से अधिक नीति-निर्माताओं, शिक्षकों और युवा नेताओं ने भाग लिया। इस दौरान नीति निर्माताओं, शिक्षकों और छात्रों ने पाठ्यक्रम में सुधार, अच्छे अभ्यास और नए विचारों पर चर्चा की।एनसीईआरटी के संयुक्त निदेशक ने शिक्षकों से आग्रह किया कि वे क्षमताओं का निर्माण करें और मूल्य आधारित शैक्षिक मॉड्यूल विकसित करें। उन्होंने कहा, एनईपी 2020 और एनसीएफ 2023 शिक्षा को एक अधिक न्यायपूर्ण और शांतिपूर्ण समाज के लिए सेतु के रूप में देखते हैं। ऐसे सहयोग दृष्टि को क्रियान्वयन में बदलते हैं। इस चर्चा में यह स्पष्ट हुआ कि शिक्षा को बदलने के लिए पूरे समाज का सहयोग जरूरी है, जहां नीति निर्माता, शिक्षक और छात्र समान भागीदार हो। इस दिशा में प्रयास संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करें।
इस पहल ने इस वर्ष 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 30 हजार से अधिक भागीदारों को शामिल किया है। इसमें शिक्षकों का प्रशिक्षण, स्कूल आधारित पहल और छात्रों के लिए गतिविधि-आधारित शिक्षण शामिल है। कला, प्रौद्योगिकी और खेल का उपयोग करके छात्रों को सशक्त बनाने के लिए अभिनव हस्तक्षेप किए गए। यह पहल युवाओं को नकारात्मक प्रभावों, नई कमजोरियों और जोखिमपूर्ण व्यवहारों का विरोध करने के लिए जागरूक और सशक्त बनाने पर केंद्रित है। उन्होंने बताया कि पीएम की तरफ से कल्पित विकसित भारत का सपना तभी साकार होगा जब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ जिम्मेदार नागरिक बनने की प्रेरणा मिले। परिवर्तन के वाहक के रूप में भारत के विद्यार्थियों की विपुल क्षमता का उल्लेख करते हुए देश में संयुक्त राष्ट्र के स्थानीय समन्वयक ने कहा है कि विकसित भारत का सपना यह सुनिश्चित करने पर टिका है कि विद्यालय में बच्चों को न केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, बल्कि उन्हें कल के जिम्मेदार आदर्श नागरिक बनने के लिए भी संवेदनशील बनाया जाए।
साथियों बात अगर हम भारत में संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि के विचारों की करें तो उन्होंने एक बयान में कहा, कि विकसित भारत का सपना तभी पूरा हो सकता है, जब स्कूलों में बच्चों को न केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, बल्कि उन्हें जिम्मेदार और आदर्श नागरिक बनने के लिए प्रेरित किया जाए। भारत के 26.52 करोड़ छात्रों में बदलाव के प्रेरक बनने की जबरदस्त क्षमता है। उन्होंने समावेशी और शांतिपूर्ण समाज बनाने में गुणवत्तापूर्ण और मूल्यों पर आधारित शिक्षा के महत्व को रेखांकित किया। यह पहल युवाओं को नकारात्मक प्रभावों, नई कमजोरियों और जोखिमपूर्ण व्यवहारों का विरोध करने के लिए जागरूक और सशक्त बनाने पर केंद्रित है। उन्होंने बताया कि पीएम की तरफ से कल्पित विकसित भारत का सपना तभी साकार होगा जब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ जिम्मेदार नागरिक बनने की प्रेरणा मिले। भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) और राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचा 2023 (एनसीएफ) इस बात को स्वीकार करते हैं कि जिम्मेदार नागरिकों को तैयार करना, जो शांति और सद्भाव में योगदान दे सकें, अत्यंत आवश्यक है।
इस महत्वाकांक्षा के वास्ते शिक्षा के पारंपरिक दायरे से आगे जाना होगा- इसके लिए कक्षाओं, स्कूलों और समुदायों में शैक्षिक हस्तक्षेप की पुनः कल्पना की जरूरत है। बयान में कहा गया है कि भारत में चहलपहल वाली कई कक्षाओं में, एक शक्तिशाली आंदोलन चुपचाप आकार ले रहा है, एक ऐसा आंदोलन जो शिक्षा के माध्यम से शांति, कानून के प्रति निष्ठा और समावेशन को बढ़ावा देता है। बयान में कहा गया है कि इस आंदोलन के केंद्र में सिर्फ़ नीति निर्माता, शिक्षक या संस्थान ही नहीं हैं, बल्कि युवा लोग हैं जो बदलाव के सबसे महत्वपूर्ण वाहक के रूप में खड़े हैं। भारत के शीर्ष पाठ्यक्रम निकाय, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) और यूएनओडीसी दक्षिण एशिया द्वारा यहां आयोजित राइजअप4पीस नीति नामक परिचर्चा में पहल की प्रासंगिकता और प्रभाव पर जोर देते हुए, 70 से अधिक नीति-निर्माताओं, शिक्षकों और युवा चैंपियनों ने शिक्षा में शांति, समावेशन और कानून के प्रति को बढ़ावा देने के लिए एक रोडमैप तैयार किया जैसा कि एनईपी 2020 और एनसीएफ 2023 में परिकल्पित है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 व राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचा 2023 से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व जिम्मेदार नागरिक नीति पर जोर। विजन 2047 के आधार स्तंभों में शिक्षा की गुणवत्ता व जिम्मेदार नागरिक का महत्वपूर्ण रोल। संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि का विकसित भारत का सपना स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व जिम्मेदार नागरिक बनने पर निर्भर है, सटीक विश्लेषण है।
(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)
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