डॉ. संतोष एलेक्स : भारतीय साहित्य के बहुभाषी सेतु

तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर। भारतीय साहित्य की बहुरंगी परंपरा में डॉ. संतोष एलेक्स एक सशक्त और बहुआयामी व्यक्तित्व के रूप में पहचाने जाते हैं। वे पैन इंडियन लेखक, अनुवाद विद्वान, कवि, आलोचक, डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता और पोएट्री क्यूरेटर के रूप में भारतीय और वैश्विक साहित्यिक परिदृश्य में सक्रिय हैं।

पिछले तीन दशकों से डॉ. एलेक्स मौलिक लेखन और अनुवाद के माध्यम से भारतीय साहित्य, विशेषकर हिंदी साहित्य, को नई ऊँचाइयों तक ले जा रहे हैं। अब तक उनकी 76 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें कविता, बाल कविता, अनुवाद, यात्रा-वृत्तांत, आलोचना और संपादित ग्रंथ शामिल हैं।

इनमें से 40 पुस्तकें केवल हिंदी में प्रकाशित हुई हैं। डॉ. संतोष एलेक्स की हिंदी कविताओं का वैश्विक प्रभाव इतना व्यापक है कि उनका अनुवाद 32 भाषाओं में किया जा चुका है। उनकी आलोचना पर लिखी पुस्तक ‘अनुवाद: प्रक्रिया एवं व्यावहारिकता’ भारत के तीन विश्वविद्यालयों के अनुवाद अध्ययन पाठ्यक्रम में सम्मिलित की गई है, जो उनके शैक्षणिक योगदान को रेखांकित करती है।

भारतीय और विदेशी साहित्यिक उत्सवों में उनकी सक्रिय भागीदारी विशेष उल्लेखनीय है। वे देश-विदेश के अनेक लिटरेरी फेस्टिवलों और साहित्य अकादमी के आयोजनों में बतौर वक्ता और प्रतिनिधि आमंत्रित किए जा चुके हैं। इसके अलावा, वे भारतीय शिक्षा बोर्ड की सलाहकार समिति के सदस्य हैं तथा सेंट टेरेसाज कॉलेज, एरणाकुलम के बोर्ड ऑफ स्टडीज से भी जुड़े हैं।

उनकी प्रतिबद्धता केवल सृजन तक सीमित नहीं है; उन्होंने अनुवाद के क्षेत्र में भी भारतीय भाषाओं और विश्व भाषाओं के बीच एक सशक्त संवाद स्थापित किया है। उनके अनुवाद कार्यों ने न केवल भाषा की सीमाएँ मिटाई हैं बल्कि विविध संस्कृतियों के बीच आत्मीयता का सेतु भी निर्मित किया है।

उनके योगदान को अनेक पुरस्कारों और सम्मानों से गौरवान्वित किया गया है। इनमें भारतीय अनुवाद परिषद का दिव्यगीश पुरस्कार, प्रथम सृजनलोक कविता पुरस्कार, साहित्य रत्न पुरस्कार, वैली ऑफ वर्ड्स अनुवाद सम्मान, इटली का वित्रुसो अंतरराष्ट्रीय कविता पुरस्कार, पी.सी. जोशी शब्द साधक अनुवाद सम्मान, और प्रथम सोमलता उपाध्याय हिंदी सेवक सम्मान प्रमुख हैं।

वर्तमान में डॉ. संतोष एलेक्स कोचीन में केंद्र सरकार के कार्यालय में संयुक्त निदेशक (राजभाषा) के पद पर कार्यरत हैं। प्रशासनिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ वे साहित्यिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में भी बराबर सक्रिय हैं। डॉ. एलेक्स का लेखन भाषा की सीमाओं को पार कर मानव संवेदनाओं को जोड़ने का माध्यम बन जाता है।

उनकी रचनात्मकता, विद्वत्ता और अनुवाद कौशल ने न केवल हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है, बल्कि भारतीय साहित्य की विश्व मंच पर पहचान को भी सुदृढ़ किया है। वह सचमुच भारतीय साहित्य के बहुभाषी सेतु हैं, जो शब्दों के माध्यम से संस्कृतियों का समन्वय रचते हैं।

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