
।।जिंदगी।।
थोड़ा थक गया हूं,
दूर निकालना छोड़ दिया है,
पर ऐसा नहीं है की,
मैने चलना छोड़ दिया है,
फासले अक्सर रिश्तों में,
दूरी बढ़ा देते हैं,
पर ऐसा नहीं है की,
मैने अपनों से मिलना छोड़ दिया है,
हां जरा अकेला हूं दुनियां के भीड़ में,
पर ऐसा नहीं है की,
मैने अपनापन छोड़ दिया है।
याद करता हूं अपनों को,
परवाह भी है मन में,
बस कितना करता हूं,
ये बताना छोड़ दिया है।

Adv. supreme court,
Advisor (UGC)
National Sec.
SC/ST commission
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