डीपी सिंह की मुक्तक

*मुक्तक*
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हे हरि! हर ले हर चिन्ता अब तेरे द्वारे आया हूँ
तेरे चरणों में सब अर्पण, जो, जैसा ला पाया हूँ
तेरे गुण, मेरे सब अवगुण, लेखा-जोखा तू रख ले
मैं तो बस तेरे चरणों के, रज की इच्छा लाया हूँ

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