साहित्यडीपी सिंह की कुण्डलिया Posted on March 28, 2021 by admin कुण्डलिया पानी की फिर कब मिले, पता नहीं इक घूँट। पीता कुछ, कुछ “डील” में, रख लेता है ऊँट।। रख लेता है ऊँट, और किस करवट बैठे। यही सभी गुण आज, सियासत में भी पैठे।। नेता की है “डील”, सात पुश्तों तक खानी। रखे भले ही ऊँट, सात दिन तक का पानी।। अगवा राजधानी एक्सप्रेस और घने जंगल में रात्रि जागरण !! आर्या ग्रुप ऑफ कंपनीज ने लिया चार भोजपुरी फिल्मों का इलेक्ट्रॉनिक मीडिया राइट्स