वाराणसी। हर वर्ष कार्तिक अमावस्या को दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। दिवाली को दीपावली भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी लोक पर भ्रमण करती हैं और जो भक्त उनकी विधि-विधान से पूजा-अर्चना करता है, उसकी प्रार्थना स्वीकार करती हैं और अपनी कृपा बरसाती हैं। इस दिन मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए लोग घरों में दीपक लगाते हैं।
📌 दीपावली 2025 की तारीख : दीपावली की तारीख को लेकर उलझन इसलिए है क्योंकि अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को दोपहर 3:44 बजे शुरू होकर 21 अक्टूबर को शाम 5:50 बजे तक रहेगी। ऐसे में दोनों दिनों को लेकर चर्चा है। लेकिन दीपावली का मुख्य पर्व रात में मनाया जाता है। शास्त्रों में लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल और निशीथ काल में करने का विधान है। इस बार ये दोनों मुहूर्त 20 अक्टूबर की रात को ही हैं। इसलिए यह दिन दीपावली मनाने के लिए अधिक शुभ माना जा रहा हैं।
📌 दिवाली लक्ष्मी गणेश पूजन मुहूर्त : इस बार दिवाली पर पूजन के लिए दो मुहूर्त मिलेंगे। पहला शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में है। इस दिन प्रदोष काल शाम 05 बजकर 46 मिनट से रात्रि 08 बजकर 18 मिनट के बीच रहेगा, जिसमें वृषभ काल शाम 7 बजकर 08 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 03 मिनट तक रहेगा। इसमें भी मां लक्ष्मी का पूजन किया जा सकता है।

इसके अलावा, लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे खास शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 08 मिनट से शाम 08 बजकर 18 मिनट के बीच का रहेगा. यानी लक्ष्मी पूजन के लिए आपको 1 घंटे 11 मिनट का समय मिलेगा।
📌 दिवाली पूजन विधि : दिवाली पर पूर्व दिशा या ईशान कोण में एक चौकी रखें। चौकी पर लाल या गुलाबी वस्त्र बिछाएं। पहले गणेश जी की मूर्ति रखें। फिर उनके दाहिने ओर लक्ष्मी जी को रखें। आसन पर बैठें और अपने चारों ओर जल छिड़क लें। इसके बाद संकल्प लेकर पूजा आरम्भ करें। एक मुखी घी का दीपक जलाएं। फिर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश को फूल और मिठाइयां अर्पित करें।
इसके बाद सबसे पहले गणेश और फिर मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें। अंत में आरती करें। और शंख ध्वनि करें। घर में दीपक जलाने से पहले थाल में पांच दीपक रखकर फूल आदि अर्पित करें। इसके बाद घर के अलग-अलग हिस्सों में दीपक रखना शुरू करें। घर के अलावा कुएं के पास और मंदिर में दीपक जलाएं। दीपावली का पूजन लाल, पीले या चमकदार रंग के वस्त्र धारण करके करें। काले, भूरे या नीले रंग से परहेज करें।
📌 दिवाली का महत्व : दिवाली के दिन भगवान राम लंका पर विजय प्राप्त करके वापस अयोध्या आए थे। इस दिन से हर साल कार्तिक अमावस्या पर दिवाली मनाई जाती है। दिवाली पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है, साथ ही भगवान राम के आने की खुशी में दीप जलाए जाते हैं।
📌 दिवाली की रात का शगुन : दिवाली के दिन महालक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर सवार होकर पृथ्वी भ्रमण के लिए आती हैं। इसलिए लोग अपने घर और छत की सफाई करते है। घर में रंगोली बनाकर देवी लक्ष्मी का स्वागत करते हैं। कहते हैं कि इस रात कुछ ऐसे शगुन होते हैं जो बताते हैं कि महालक्ष्मी का घर में आगमन हुआ है।
ज्योतिर्विद रत्न वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 99938 74848
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