दीपावली 2025 : वैश्विक आलोक का पर्व- अंधकार से प्रकाश, दरिद्रता से समृद्धि और मानवता से एकता की ओर

दीपावली, जिसे “दीपों का पर्व” कहा जाता है,केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में अब एक वैश्विक सांस्कृतिक उत्सव बन चुकी है
लक्ष्मी पूजन के शुभ मुहूर्त में माँ लक्ष्मी अपनी कृपा दृष्टि बरसाने निकली है, जिसपर नज़र पड़ी उसकी किस्मत निहाल धन धान्य से मालामाल, ऐसी मान्यता है

अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर भारत सहित पूरी दुनिया में पौराणिक काल से भारतीयों के बीच ऐसी मान्यता है कि जो मां लक्ष्मी के सामने दिल से भावपूर्ण भाव से अपनी मनोकामना रखेगा मां लक्ष्मी उन शुद्ध निस्वार्थ ईमानदार भावों पर अपनी कृपा दृष्टि जरूर बरसाती है और उनकी दरिद्रता गरीबी हर लेती है व धन-धान्य की बारिश करती है जिसका सटीक दिन दीपावली और पल या क्षण लक्ष्मी पूजा है। कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को दीपावली मनाए जाने का विधान है।

भारत में अधिकतम राज्यों लोगों द्वारा सोमवार 20 अक्टूबर 2025 को दीपावली मनाई जा रही है अनेक स्कूलों में भी 19 तारीख से ही छुट्टियां घोषित की गई है। जम्मू कश्मीर सरकार ने दिवाली के पावन पर्व पर राज्य के छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों को बड़ी राहत प्रदान करते हुए पूरे देश में सबसे अधिक 15 दिन की लंबी छुट्टियों की घोषणा कर दी है। राज्य सरकार ने 19 अक्टूबर से 2 नवंबर तक पूरे दो सप्ताह का दिवाली अवकाश घोषित किया है। यह निर्णय प्रदेश के सभी सरकारी और मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों पर लागू होगा। इस अवधि में प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थान पूरी तरह से बंद रहेंगे और कोई शैक्षणिक गतिविधि नहीं होगी।

2025 में यह पर्व पहले से भी अधिक भव्य, आध्यात्मिक और विश्वव्यापी स्वरूप ले चुका है। इस वर्ष भारत के उत्तर प्रदेश में अयोध्या की पावन नगरी में होने वाला दीपोत्सव विश्व का सबसे बड़ा सामूहिक आलोक उत्सव बनने जा रहा है। वहीं दूसरी ओर, अमेरिका के टाइम्स स्क्वायर, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, सिंगापुर और खाड़ी देशों में बसे भारतीय समुदायोंने भी दीपावली को विश्व सांस्कृतिक एकता के प्रतीक के रूप में मनाने की तैयारी कर ली है। इस बार का दीप पर्व न केवल घर-आंगन बल्कि विश्व के हृदय को भी रोशन करेगा।

साथियों बात अगर कर हम दीपावली पर्व 2025 की बेला आई भक्तों की मन्नतें और मां लक्ष्मी की आराधना को समझने की करें तो, दीपावली का अर्थ ही है, “अंधकार पर प्रकाश की विजय”। यह त्योहार हर उस व्यक्ति के जीवन में नई आशा, विश्वास और समृद्धि का दीप जलाता है जो परिश्रम, श्रद्धा और सकारात्मकता में विश्वास रखता है। 2025 की दीपावली की बेला पर भक्तों ने मां लक्ष्मी से अपनी मन्नतें सुनाई, “हे मां लक्ष्मी, दरिद्रता, गरीबी और कष्टों को दूर करो, हमारे घरों में धन, ज्ञान और स्वास्थ्य की वर्षा करो”।

इस भावना में केवल भौतिक समृद्धि नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन की भी आकांक्षा निहित है। प्रत्येक घर में माँ लक्ष्मी का स्वागत विशेष भक्ति भाव से किया जाता है, द्वार पर रंगोली, आंगन में दीपमाला और पूजा स्थल पर धूप-दीप का समर्पण। यह वह क्षण होता है जब संपूर्ण वातावरण में एक दिव्य ऊर्जा का संचार होता है, जैसे स्वयं ब्रह्मांड भी भक्तों के आह्वान को सुनकर झिलमिलाने लगता है।

साथियों बात अगर हम लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त, कृपा वर्षा का दिव्य क्षण को समझने की करें तो, दीपावली की सबसे प्रमुख संध्या होती है मां लक्ष्मी पूजन की रात्रि, जब पूरा परिवार एकत्र होकर देवी महालक्ष्मी, भगवान विष्णु, गणेश और कुबेर की पूजा-अर्चना करता है। 2025 के शुभ मुहूर्त के अनुसार, यह पूजन अत्यंत मंगलकारी संयोग में होगा,जहां ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति धन प्राप्ति, व्यापार उन्नति और सौभाग्य में वृद्धि का संकेत दे रही है। मान्यता है कि लक्ष्मी पूजन के शुभ मुहूर्त में स्वयं देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर अवतरित होकर अपने भक्तों पर कृपा दृष्टि बरसाने निकलती हैं।

जिन घरों में स्वच्छता, शुद्धता और श्रद्धा का वातावरण होता है, वहां मां की विशेष कृपा बरसती है। कहा जाता है, “जिस पर लक्ष्मी की नजर पड़ी, उसकी किस्मत निहाल हो गई”। वही कारण है कि इस रात हर घर दीपों से जगमगा उठता है, हर मन में नई उम्मीद जाग उठती है। इस दिन लोग केवल धन की नहीं, बल्कि धर्म, ज्ञान और सद्बुद्धि की कामना भी करते हैं। क्योंकि भारतीय दर्शन के अनुसार धन तभी मंगलकारी होता है जब वह धर्म के मार्ग पर चलकर समाज की भलाई में प्रयुक्त हो।

साथियों बात अगर हम आओ सभी मिलकर, समाज, देश और विश्व की समृद्धि के लिए प्रार्थना करने की करें तो दीपावली केवल व्यक्तिगत सुख-संपत्ति का पर्व नहीं, यह सामूहिक समृद्धि और सामाजिक एकता का प्रतीक है। इस वर्ष का दीपोत्सव विशेष रूप से “सर्वजन सुखाय, सर्वजन हिताय” की भावना को समर्पित है। हर व्यक्ति को इस अवसर पर यह संकल्प लेना चाहिए कि वह अपने परिवार, समाज और देश के कल्याण के लिए कुछ सकारात्मक योगदान देगा।

दीप जलाना केवल प्रतीक नहीं, बल्कि यह हमारे भीतर के अंधकार, ईर्ष्या, घृणा, लोभ, और अहंकार को मिटाने का भी एक प्रयास है। भारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट ने इस वर्ष पटाखों और प्रदूषण को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। यह आवश्यक है कि दीपावली का उल्लास प्रकृति की मर्यादाओं के भीतर रहे। हम सभी को चाहिए कि इस पर्व को पर्यावरण-मित्र तरीके से मनाएँ, दीप जलाएँ, पर धुआँ नहीं फैलाएँ। बच्चों को भी यह सिखाना जरूरी है कि उत्सव का आनंद प्रकृति के साथ तालमेल में ही पूर्ण होता है।

साथियों बात अगर हम अयोध्या का दीपोत्सव 2025 के अवसर पर 26 लाख दीयों से जगमगाएगी सरयू घाट को समझने की करें तो, विश्व की सांस्कृतिक राजधानी बन चुकी अयोध्या में इस बार का दीपोत्सव इतिहास रचने जा रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार, 19 अक्टूबर 2025 को सरयू घाट और आसपास के 50 से अधिक घाटों पर कुल 26,11,101 दीप जलाए जाएंगे।यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भारत का नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज कराने की तैयारी भी है।

अयोध्या में यह दृश्य मानो किसी दिव्य लोक का प्रतीत होता है। सरयू के जल पर झिलमिलाते दीप, मंदिरों की आरतियाँ, राम जन्मभूमि परिसर में गूंजते भजन और चारों ओर “जय श्रीराम” का जयघोष। यह वह क्षण है जब पूरी धरती मानो रामराज्य की अनुभूति करती है। इस आयोजन में लाखों श्रद्धालु, पर्यटक और अंतरराष्ट्रीय मीडिया प्रतिनिधि सम्मिलित होंगे। ड्रोन और उपग्रहों से इस अद्भुत नजारे का सीधा प्रसारण दुनिया भर में किया जाएगा।अयोध्या का यह आलोकोत्सव न केवल धार्मिक भावना का प्रतीक है बल्कि भारत की “वसुधैव कुटुम्बकम्” की भावना का भी जीवंत उदाहरण है।

साथियों बात अगर हम विश्व में गूंजेगी दीपावली, टाइम्स स्क्वायर से लेकर सिडनी हार्बर तक को समझने की करें तो, अब दीपावली केवल भारतीय सीमाओं तक सीमित नहीं रही। अमेरिका के न्यूयॉर्क टाइम्स स्क्वायर में हर वर्ष की तरह इस बार भी “दिवाली एट टाइम्स स्क्वायर” का आयोजन होगा, जहाँ भारतीय मूल के हजारों लोग दीपों और रंगारंग प्रस्तुतियों के माध्यम से भारतीय संस्कृति का प्रदर्शन करेंगे।

ब्रिटेन के लंदन के ट्राफलगर स्क्वायर, सिडनी हार्बर (ऑस्ट्रेलिया), सिंगापुर के लिटिल इंडिया, दुबई के ग्लोबल विलेज, और कनाडा के टोरंटो सिटी हॉल में भी दीपावली महोत्सव मनाया जाएगा। इन आयोजनों में न केवल भारतीय समुदाय बल्कि स्थानीय नागरिक भी बड़ी संख्या में भाग लेते हैं, जिससे यह पर्व वैश्विक सांस्कृतिक संवाद का माध्यम बन गया है।इन अंतरराष्ट्रीय उत्सवों का संदेश स्पष्ट है, चाहे धर्म,भाषा या भूगोल भिन्न हो,लेकिन प्रकाश का संदेश सार्वभौमिक है। अंधकार के विरुद्ध प्रकाश का यह उत्सव पूरी मानवता को एक सूत्र में पिरो देता है।

साथियों बात अगर हम आध्यात्मिक दृष्टि से दीपावली आत्मप्रकाश का उत्सव को देखने की करें तो, यदि धार्मिक अनुष्ठानों और परंपराओं से परे देखें तो दीपावली का गूढ़ अर्थ है,अपने भीतर के प्रकाश को जगाना। यह वह पर्व है जब व्यक्ति अपने कर्म, विचार और दृष्टिकोण में सुधार कर नई शुरुआत करता है। भगवान श्रीराम का अयोध्या लौटना केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि यह धर्म, सत्य और करुणा की पुनर्स्थापना का प्रतीक है। हर युग में जब अंधकार बढ़ता है, तब कोई न कोई दीप उसे मिटाने के लिए जलता है। दीपावली हमें यही प्रेरणा देती है कि हम भी अपने भीतर एक दीप बनें, जो अज्ञान के अंधकार को मिटाए और समाज में सकारात्मक ऊर्जा फैलाए।

साथियों बात अगर हम आर्थिक दृष्टि से दीपावली व्यापार, निवेश और रोजगार का पर्व समझने की करें तो दीपावली भारत की सबसे बड़ी आर्थिक गतिविधि का भी समय है। इस अवसर पर बाजारों में करोड़ों रुपये का लेन-देन होता है। सोना-चांदी, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, वस्त्र, मिठाइयाँ और सजावटी वस्तुएँ, सबकी बिक्री में वृद्धि होती है। 2025 में भारत का खुदरा व्यापार संगठन के अनुसार, दीपावली सीजन में लगभग 3.5 लाख करोड़ रुपये के कारोबार की संभावना है। यह उत्सव न केवल अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देता है बल्कि लाखों छोटे व्यापारियों, कारीगरों और हस्त शिल्पकारों के जीवन में भी खुशियाँ लाता है।

साथियों बात अगर हम पर्यावरणीय जागरूकता, हरित दीपावली की ओर कदम को समझने की करें तो, 2025 की दीपावली का विशेष संदेश है, “हरित दीपावली,स्वच्छ भारत।” सरकार और पर्यावरण संगठनों ने लोगों से आग्रह किया है कि वे मिट्टी के दीपक, प्राकृतिक रंगों और पर्यावरण- मित्र सजावट का उपयोग करें। इस वर्ष कई स्कूलों, कॉलेजों और संस्थानों ने “एक दीप प्रकृति के नाम” अभियान शुरू किया है, जिसके तहत वृक्षारोपण, जल संरक्षण और प्लास्टिक-मुक्त उत्सव को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे दीपावली का वास्तविक उद्देश्य,“प्रकाश फैलाना”अपनी सार्थकता में और गहरा हो जाता है।

साथियों बात अगर हम संस्कृति से वैश्विक कूटनीति तक दीपावली का नया आयाम को समझने की करें तो, भारत सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में दीपावली को सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी के रूप में भी प्रस्तुत किया है। संयुक्त राष्ट्र, व्हाइट हाउस और डाउनिंग स्ट्रीट जैसी जगहों पर दीपावली समारोह का आयोजन अब सामान्य बात हो गई है। 2025 में, भारत-ब्रिटेन और भारत- अमेरिका संबंधों में सांस्कृतिक एकता के प्रतीक के रूप में दीपावली का उपयोग विशेष महत्व रखेगा। यह संदेश देता है कि भारत केवल आर्थिक या सैन्य शक्ति नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक शक्ति भी है, जो “विश्व गुरु” की भावना को जीवित रखती है।

अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि दीपों की यह रोशनी मानवता का उत्सव है, दीपावली 2025 केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि मानवता के प्रकाश का उत्सव बन चुकी है। यह हमें याद दिलाती है कि चाहे युग बदल जाए, तकनीक आगे बढ़ जाए, लेकिन प्रकाश का मूल्य कभी कम नहीं होता। जब अयोध्या की सरयू घाट पर 26 लाख दीप जलेंगे, जब टाइम्स स्क्वायर पर भारतवंशी “जय श्रीराम” और “शुभ दीपावली” का उद्घोष करेंगे, तब पूरी दुनिया यह संदेश सुनेगी, “जहाँ प्रकाश है, वहीं जीवन है। जहाँ प्रेम है, वहीं ईश्वर है।” इस दीपावली पर केवल अपने घर ही नहीं, बल्कि अपने हृदय को भी रोशन करें। क्योंकि सच्ची दीपावली वही है जो अंधकार को मिटाकर आत्मा को प्रकाशित कर दे।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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