श्री गायत्री-मन्त्र से रोग-ग्रह-शान्ति

1. क्रूर से क्रूर ग्रह-शान्ति में, शमी-वृक्ष की लकड़ी के छोटे-छोटे टुकड़े कर, गूलर-पाकर-पीपर-बरगद की समिधा के साथ गायत्री-मन्त्र से 108 आहुतियाँ देने से शान्ति मिलती है।

2. महान प्राण-संकट में कण्ठ-भर या जाँघ-भर जल में खड़े होकर नित्य 108 बार गायत्री मन्त्र जपने से प्राण-रक्षा होती है।

3. घर के आँगन में चतुस्र यन्त्र बनाकर एक हजार बार गायत्री मन्त्र का जप कर यन्त्र के बीचो-बीच भूमि में शूल गाड़ने से भूत-पिशाच से रक्षा होती है।

4. शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे गायत्री मन्त्र जपने से सभी प्रकार की ग्रह-बाधा से रक्षा होती है।

5. ‘गुरुचि’ के छोटे-छोटे टुकड़े कर गो-दुग्ध में डुबोकर नित्य 108 बार गायत्री मन्त्र पढ़कर हवन करने से ‘मृत्यु-योग’ का निवारण होता है। यह मृत्युंजय-हवन’ है।

6. आम के पत्तों को गो-दुग्ध में डुबोकर ‘हवन’ करने से सभी प्रकार के ज्वर में लाभ होता है।

7. मीठा वच, गो-दुग्ध में मिलाकर हवन करने से ‘राज-रोग’ नष्ट होता है।

8. शंख-पुष्पी के पुष्पों से हवन करने से कुष्ठ-रोग का निवारण होता है।

9. गूलर की लकड़ी और फल से नित्य 108 बार हवन करने से ‘उन्माद-रोग’ का निवारण होता है।

10. ईख के रस में मधु मिलाकर हवन करने से ‘मधुमेह-रोग’ में लाभ होता है।

11. गाय के दही, दूध व घी से हवन करने से ‘बवासीर-रोग’ में लाभ होता है।

12. बेंत की लकड़ी से हवन करने से विद्युत्पात और राष्ट्र-विप्लव की बाधाएँ दुर होती हैं।

13. कुछ दिन नित्य 108 बार गायत्री मन्त्र जपने के बाद जिस तरफ मिट्टी का ढेला फेंका जाएगा, उस तरफ से शत्रु, वायु, अग्नि-दोष दूर हो जाएगा।

14. दुःखी होकर, आर्त्त भाव से मन्त्र जप कर कुशा पर फूँक मार कर शरीर का स्पर्श करने से सभी प्रकार के रोग, विष, भूत-भय नष्ट हो जाते हैं।

15. 108 बार गायत्री मन्त्र का जप कर जल का फूँक लगाने से भूतादि-दोष दूर होता है।

16. गायत्री जपते हुए फूल का हवन करने से सर्व-सुख-प्राप्ति होती है।

17. लाल कमल या चमेली फुल एवं शालि चावल से हवन करने से लक्ष्मी-प्राप्ति होती है।

18. बिल्व -पुष्प, फल, घी, खीर की हवन-सामग्री बनाकर बेल के छोटे-छोटे टुकड़े कर, बिल्व की लकड़ी से हवन करने से भी लक्ष्मी-प्राप्ति होती है।

19. शमी की लकड़ी में गो-घृत, जौ, गो-दुग्ध मिलाकर 108 बार एक सप्ताह तक हवन करने से अकाल-मृत्यु योग दूर होता है।

20. दूध-मधु-गाय के घी से 7 दिन तक 108 बार हवन करने से अकाल-मृत्यु योग दूर होता है।

21. बरगद की समिधा में बरगद की हरी टहनी पर गो-घृत, गो-दुग्ध से बनी खीर रखकर 7 दिन तक 108 बार हवन करने से अकाल-मृत्यु योग दूर होता है।

22. दिन-रात उपवास करते गुए गायत्री मन्त्र जप से यम पाश से मुक्ति मिलती है।

23. मदार की लकड़ी में मदार का कोमल पत्र व गो-घृत मिलाकर हवन करने से विजय-प्राप्ति होती है।

24. अपामार्ग, गाय का घी मिलाकर हवन करने से दमा रोग का निवारण होता है।

विशेष : प्रयोग करने से पहले कुछ दिन नित्य 1008 या 108 बार गायत्री मन्त्र का जप व हवन करना चाहिए।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें
जोतिर्विद दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
9993874848

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