विश्व कविता दिवस पर विमर्श : सम्मानित हुए कविगण

गोण्डा के सुधीर श्रीवास्तव भी “कवि रत्न” से सम्मानित

बस्ती, (उ.प्र.) । विश्व कविता दिवस पर सोमवार को प्रेमचन्द्र साहित्य एवं जन कल्याण संस्थान तथा वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति की ओर से सोमवार को कलेक्ट्रेट परिसर में सत्येन्द्रनाथ मतवाला के संयोजन में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कवियों को सम्मानित कर उनका उत्साहवर्धन किया गया। सत्येन्द्रनाथ मतवाला ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि यूनेस्को ने 21 मार्च को विश्व कविता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा वर्ष 1999 में की थी। इसका अभिप्राय कविता से देश, समाज का संवाद बनाना हैै। कवितायें मनुष्य को संवेदनशील बनाती है, वह जीवन में संजीवनी बूटी की तरह काम करती है।

वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम प्रकाश शर्मा ने कहा कि कविता में ही दानव को भी श्रेष्ठ मानव बनाने की क्षमता है। कविता हमारी करूणा, मानवीय संवेदनाओं को स्वर देती है। दुनिया के सभी देशों में कविता का अपना विशिष्ट संसार है। सर्वश्रेष्ठ कवि तो मां है जो गर्भ काल से ही बच्चे के मन मस्तिष्क में कविता का भाव बोध पैदा करती है। उन्होने रूसी कवि पीयर मेन्टफ की शांति की खोज शीर्षक की कविता पाठ रूसी भाषा में करते करते हुये कहा कि भावनाओं की कोई सरहद नहीं होती। डा. रामदल पाण्डेय, पं. चन्द्रबली मिश्र और त्रिभुवन प्रसाद मिश्र, अनुरोध कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि कविता का अपना धर्म है।

कवि देश, काल, परिस्थतियों के अनुरूप नायक की तरह समाज का मार्ग दर्शन करते हैं। कविता हमें संकट में साहस देती है। जीवन के हर मोड पर कविता आपका साथ देती है। गोष्ठी में सुदामा राय, बी.एन. शुक्ल, डा. अजीत श्रीवास्तव ‘राज’ पंकज कुमार सोनी, डा. राजेन्द्र सिंह, बाबूराम वर्मा, शाद अहमद शाद, मयंक श्रीवास्तव, सुशील सिंह पथिक, फूलचन्द चौधरी, ओंकारनाथ चतुर्वेदी, नीरज कुमार वर्मा, अजय श्रीवास्तव ‘अश्क’ सुधीर श्रीवास्तव ‘गोण्डवी’ परमात्मा प्रसाद निर्दोष आदि ने कविता के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम में मुख्य रूप से विनय कुमार श्रीवास्तव, सन्तोष कुमार श्रीवास्तव, साइमन फारूकी, पेशकार मिश्र, बी.के. मिश्र, ओम प्रकाश धर द्विवेदी, भागवत प्रसाद, राजेश मौर्य, अनवर हुसेन पारशा, कृष्णचन्द्र पाण्डेय, अजमत अली सिद्दीकी, सरोज देवी, जय प्रकाश यादव, दीनानाथ आदि उपस्थित रहे।

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