राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा डाटा जारी – जीडीपी रफ़्तार 7.2 फ़ीसदी की दर से बढ़ी

भारत के विज़न 2047 तक विकसित राष्ट्र बननें पर जीडीपी की रफ़्तार ने लगाया ठप्पा
हर देश की जीडीपी के आंकड़े उस देश की अर्थव्यवस्था की पूरी तस्वीर दिखाते हैं – एडवोकेट किशन भावनानी

किशन सनमुख़दास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर भारत के रोज लगातार गाड़ते नए-नए आयामों पर दुनियां की नजरें टिकी हुई है। आए दिनों दुनियां के वैश्विक नेताओं, उनके प्रवक्ताओं वक्ताओं द्वारा भारत और भारतीय नेतृत्व की तारीफों के पुल बांधे जा रहे हैं। विकसित देशों सहित अनेक देश भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफडीए) करने में रुचि दिखा रहे हैं तो वैश्विक नामी नेताओं की बॉडी लैंग्वेज भारतीय नेतृत्व के प्रति उदार और दोस्ती के लिए आतुर है और हो भी क्यों ना? जिस तरह भारत ने बीते कुछ वर्षों से नए आयामों की झड़ी लगा दी है, हर क्षेत्र में वैश्विक स्तरपर नंबर वन की ओर तेजी से कूच कर रहा है, भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार सुदृढ़ होती जा रही है, हालांकि वैश्विक रैंकिंग एजेंसियों द्वारा अनेक मामलों में भारत को कम आंका जा रहा है।

उधर राष्ट्रीय एजेंसियों के विकास की ओर बढ़ते आंकड़े पेश किए जा रहे हैं। उसी कड़ी में आज दिनांक 31 मई 2023 को शाम राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) द्वारा डाटा जारी किया गया जिसमें जीडीपी को 7.2 फ़ीसदी की रफ्तार से बढ़ते दिखाया जा रहा है, जो काबिले तारीफ है जिसकी सराहना आज पीएम महोदय ने भी की। चूंकि हर देश की जीडीपी के आंकड़े उस देश की अर्थव्यवस्था की पूरी तस्वीर दिखाते हैं, अब उसका ठप्पा एनएसओ ने भी लगाया है। परंतु ज़रूरत है भारत के लिए 2047 तक इस जीडीपी दर में अधिक तेज स्तर से बड़े तभी हम अपने इस विज़न के तहत भारत को विकसित राष्ट्र बना सकते हैं। चूंकि इसके लिए हमें उसके वैश्विक पैमाने पर खरा उतरना है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल माध्यम से एनएसओ द्वारा जारी डाटा, विकसित भारत की परिकल्पना और विज़न 2047 पर चर्चा करेंगे।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

साथियों बात अगर हम दिनांक 31 मई 2023 को एनएसओ द्वारा शाम जारी जीडीपी डाटा की करें तो वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी 7.2 फीसदी की दर से बढ़ी है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर जो डाटा दिया गया है। उसके मुताबिक, चौथी तिमाही में जीडीपी की रफ्तार पिछली तिमाही की तुलना में तेज रही है। जनवरी-मार्च 2023 में भारत की यह 6.1 फीसदी दर्ज की गई है। भारत की अर्थव्यवस्था जनवरी-मार्च 2023 की तिमाही में 6.1 फीसदी तक बढ़ी है एनएसओ द्वारा बुधवार को जारी किए गए आंकड़ों में यह बात सामने आई है। देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2022 के अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में 4.4 प्रतिशत था। 2021-22 (वित्तवर्ष) की चौथी तिमाही में जीडीपी में वृद्धि 4.1 फीसदी थी। सरकार के आंकड़े के मुताबिक 2022-23 के दौरान वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि 2021-22 में 9.1 प्रतिशत की तुलना में 7.2 प्रतिशत का अनुमान लगाया गया है। दर अनुमान से अधिक दर्ज की जा सकती है।

साथियों आइए जानें क्या होती है जीडीपी? इसके आंकड़े किसी भी देश के लिए बेहद जरूरी डाटा होता है।दरअसल, ये देश की इकोनॉमी की पूरी तस्वीर दिखाते हैं। जीडीपी दो तरह की होती है, पहली रियल जीडीपी और दूसरी नॉर्मल जीडीपी। रियल जीडीपी में गुड्स एंड सर्विस की वैल्यू का कैलकुलेशन बेस ईयर की वैल्यू या स्टेबल प्राइस पर किया जाता है। जीडीपी के आंकड़े एनएसओ की ओर से जारी किए जाते हैं। बता दें कि आरबीआई के गवर्नर ने 24 मई 2023 को कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद अनुमानित 7 फीसदी से ज्यादा हो सकता है। नई दिल्ली में भारतीय उद्योग परिसंघ के एक कार्यक्रम में कहा,अगर जीडीपी ग्रोथ 7 फीसदी से थोड़ा ऊपर चली जाए तो मुझे हैरानी नहीं होगी।इस साल के शुरुआत में 2022-23 के लिए जारी आर्थिक सर्वेक्षण दस्तावेज जिसमें कहा गया है कि भारत की आर्थिक वृद्धि 7 प्रतिशत हो सकती है। आर्थिक सर्वेक्षण ने 2023-24 के लिए वास्तविक रूप से 6.5 प्रतिशत की बेसलाइन जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया गया है।

साथियों बात अगर आम प्रैक्टिकल में भारत के होते तेजी से विकास और हाल में जारी सूचकांक रैंकिंग की करें तो सरकार और उसके पैरोकार विश्व रैंकिंग में भारत की स्थिति के बारे में जो कहते हैं उसमें दम है। ऐसी कई रैंकिंग में भारत को ऐसा प्रदर्शन करते हुए दिखाया गया है जो वास्तविकता नहीं है। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स जब यह कहता है कि भारत में प्रेस को तालिबानी शासन वाले अफगानिस्तान में प्रेस को मिली आज़ादी से कम आज़ादी हासिल है तब साख भारत की नहीं, बल्कि इस तरह की रैंकिंग देने वाले संगठन की घटती है। जब यह बताया जाता है कि भारत में बच्चों का कद उनकी उम्र के हिसाब से कम बढ़ने के मामले बहुत ज्यादा हैं, तब यह बताना जरूरी है कि इस मामले में जो सामान्य स्तर माना गया है उसमें कोई एशियाई देश शामिल नहीं है (जहां लोगों का कद यूरोपीय या कुछ अफ्रीकी लोगों से छोटा होता है) क्रेडिट रेटिंग के मामले में भी भारत को लंबे समय से यह शिकायत रही है कि यह कैसे तय की जाती है।

आज, आशंका यह है कि अमेरिकी सरकार (कर्ज की सीमा को लेकर कांग्रेस में जो लड़ाई लड़ रही थी और अभी दिनांक 29 मई 2023 को सैद्धांतिक सहमति बन गई है) कर्ज भुगतान के मामले में भारत सरकार से पिछड़ सकती है और जब प्रतिस्पर्द्धी होने के मामले में रैंकिंग की बात आती है तब गौर करने वाली बात यह है कि सबसे तेजी से वृद्धि कर रही या निर्यात में सबसे तेज अर्थव्यवस्थाओं को कभी सबसे प्रतिस्पर्द्धी का दर्जा नहीं दिया जाता जो हकीकत से एकदम परे महसूस होता है।

साथियों बात अगर हम पिछले कुछ वर्षों से भारत नें विकास के मानवीय सूचकांकों में प्रगति की करें तो, पिछले 25 वर्षों में भारत ने मानव विकास के सूचकांक में जिस गति से सुधार किया है उसके मद्देनजर मानव विकास की अति उच्च श्रेणी में यह आसानी से पहुंच सकता है। यही दर बनाए रखी गई तो 2047 तक इसका यह सूचकांक चालू 0.633 से बढ़कर अति उच्च श्रेणी की दहलीज पर यानी 0.800 के स्तरपर पहुंच सकता है। दूसरा पैमाना यह है कि देश से निर्यात किए जाने वाले मैनुफैक्चर्ड माल में हाइ-टेक वाली चीजों का अनुपात क्या है। भारत में यह अनुपात 10 फीसदी का है, जो ब्राज़ील और रूस के बराबर है। इसका वैश्विक औसत 20 प्रतिशत और चीन का 30 फीसदी का है (पाकिस्तान का यह 1 फीसदी है)। अनुसंधान के आउटपुट के मामले में भारत का कुल आउटपुट इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि अब वह परिमाण के लिहाज से चौथे नंबर पर है। लेकिन ऐसे अनुसंधान के साइटेशन की संख्या के लिहाज से यह नौवें नंबर पर है। चीन का साइटेशन स्तर इससे पांच गुना ऊंचा है, ऐसे संकेतकों के मामले में विकसित देश वाला औसत हासिल करना टेढ़ा हो सकता है, हालांकि प्रगति हुई है।

साथियों बात अगर हम माननीय भारतीय पीएम द्वारा जीडीपी के बढ़ते ट्रेंड को रेखांकित करने की करें तो उन्होंने एक ट्वीट के द्वारा 2022-23 जीडीपी वृद्धि के आंकड़ों के बारे में संतोष व्यक्त किया है और इन्हें देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक आशाजनक विकास-ग्राफ माना है। 2022-23 जीडीपी वृद्धि के आंकड़े वैश्विक चुनौतियों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था की सहनशीलता को रेखांकित करते हैं। मोटे तौर पर व्यापक आशावाद और वृहद-अर्थव्यवस्था के स्पष्ट संकेतकों के साथ यह मजबूत प्रदर्शन, हमारी अर्थव्यवस्था के आशाजनक विकास-ग्राफ और हमारे लोगों की दृढ़ता का उदाहरण है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन करउसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा डाटा जारी-जीडीपी रफ़्तार 7.2 फ़ीसदी की दर से बढ़ी। भारत के विज़न 2047 तक विकसित राष्ट्र बननें पर जीडीपी की रफ़्तार ने लगाया ठप्पा। हर देश की जीडीपी के आंकड़े उस देश की अर्थव्यवस्था की पूरी तस्वीर दिखाते हैं।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार/आंकड़े लेखक के है। इस आलेख में दी गई सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई है।)

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