लता जी और आशा जी के साथ एक गाना, गाना चाहते थे डैनी डेन्जोंगपा

दोस्तो, फिल्म अभिनेता डैनी डेन्जोंग्पा का जीवन सच्ची लगन और आत्मविश्वास का एक अच्छा उदाहरण है। आज के इस अंक में उन्हीं की चर्चा कर रहा हूं। सुदूर सिक्किम राज्य के पहाड़ी अंचल से निकलकर मुंबई की फिल्मनगरी में अपना अच्छा खासा एक मकाम बनाना कोई आसान बात नहीं है। लेकिन छिरिंग फिंटसो डेन्जोंग्पा ने यह कर दिखाया। जी हां, फिल्मों में खासकर खलनायकी की भूमिका में अपनी पहचान बनाने वाले डैनी डेन्जोंगपा का असली नाम यही है। पूना फिल्म इंन्स्टीट्यूट में साथी छात्रों द्वारा उनके नाम को उच्चारण करने में दिक्कत आने पर सहपाठी जया भादुड़ी द्वारा सुझाया गया नाम है डैनी। यही नाम आज उनकी पहचान है।

डैनी ने हिंदी भाषा सही तरीके से बोलना सीखने के लिए अपना ही अनूठा तरीका निकाला था। वे गांव की नदी के किनारे जाते वहीं बैठकर घंटों हिंदी की मोटी-मोटी किताबों को जोर-जोर से चिल्ला-चिल्ला कर पढ़ते। वे रोज एक किताब पढ़ कर खत्म किया करते थे। उन्हीं दिनों वे कहते थे कि मैं एक दिन अवश्य लताजी, आशा जी के साथ गाना गाऊंगा। बहुत कम लोग जानते होंगे कि लता जी के साथ (‘मेरा नाम आंओ …’ फिल्म ‘ये गुलिस्तां हमारा’) आशा जी के साथ (फिल्म ‘काला सोना’ में ‘सुन सुन कसम से …’) तो गाया ही, इनके अलावा मोहम्मद रफ़ी, किशोर कुमार जैसे दिग्गज गायकों के साथ भी उन्होंने गाने गाए। ढेरों नेपाली लोकप्रिय गानों को आवाज़ देने के साथ डैनी ने नज़्म, गीत और ग़ज़ल भी गाए। जो ‘बगैर इश्क के’ शीर्षक से रिकार्ड में हैं।

शुरू में उनकी ख्वाहिश तो सेना में जाने की थी। वे कालेज के जमाने में एनसीसी के बेस्ट केडेट भी रह चुके थे। पर अपनी मां के इसरार करने पर सेना में नहीं गए। इस तरह उनका मातृ-प्रेम भी उजागर होता है।
बाद में उन्होंने अभिनय की दुनिया में आने का मन बनाया। इसके लिए उन्होंने अभिनय की विधिवत शिक्षा ली। फिर एक लंबे समय तक अपने नैन-नक्श को लेकर ताने सहे, उपेक्षाएं भी झेलीं, पर कोशिश जारी रखी। फिर एक समय ऐसा भी आया कि आहिस्ता-आहिस्ता उनकी मेहनत, लगन और संघर्ष रंग लाने लगी। और वे एक सशक्त कलाकार बनकर उभरे।
अपनी पहली फिल्म ‘मेरे अपने’ (निर्देशक गुलजार) और फिर फिल्म ‘जरूरत’ में पर्दे पर आकर वे सबका ध्यान आकर्षित कर चुके थे। पर बी.आर.चोपड़ा की फिल्म ‘धुंध’ में अपने अभिनय क्षमता को सिद्ध करने के बाद वे प्रसिद्धि व अभिनय की ऊंचाई की ओर निरंतर आगे बढ़ते चले गए‌। उन्होंने हर तरह के ढेरों भूमिकाएं कीं। फिर भी जब कभी फिल्मी खलनायकों की बात की जाएगी तो उनके अभिनय की बात किए बगैर चर्चा अधूरी मानी जाएगी। तो ये था डैनी से जुड़े कुछ जाने-अंजाने रोचक जानकारी का किस्सा। अब इजाजत चाहूंगा। आप सब व्यस्त रहें, स्वस्थ रहें …..।

* श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’*

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