क्रिकेट फीवर… बैटी आर्ट के खिलंदड़ियों के रचनात्मक स्ट्रोक

यह प्रदर्शनी मील का पत्थर साबित होगी – बृजेश पाठक
कला शिविर में बने 22 कलाकृतियों की प्रदर्शनी का हुआ भव्य उदघाटन, कलाकारों का हुआ सम्मान

लखनऊ। क्रिकेट फीवर… बैटी आर्ट के ग्यारह खिलंदड़ियों के रचनात्मक चौके छक्कों से गुंजा कला जगत, कोई निकला आलराउंडर, किसी ने बल्ले की सतह पर बरसाई रंगों की पारदर्शी आकृतियां तो किसी ने आईपीएल को दिया तोहफा। हर कलाकार (खिलंदड़ियों) ने किया लाजवाब प्रदर्शन। जिस तरह क्रिकेट में खिलाड़ी का प्रदर्शन दर्शकों को लोकप्रिय खेल से जोड़े रखता है और इस खेल के प्रति उत्साह बनाए रखता है। उसी तरह जब दर्शक एक कलाकार की कला में डूबते हैं तब साफ लगता है कि कलाकार सिर्फ और सिर्फ अपने विषय वस्तु, अद्भुत तथ्यों और तर्कों से ही नहीं वरन कला को लेकर भी वैसा ही चिन्तनशील रहता है, जैसा कि अन्य पेशेवर क्रिकेट खिलाड़ी।

राजधानी के माल एवेन्यू स्थित होटल लेबुआ की सराका आर्ट गैलरी में “क्रिकेट फीवर… बैटी आर्ट ” शीर्षक से आयोजित चार दिवसीय अखिल भारतीय कला शिविर के दौरान बनायी गई कलाकृतियों की कला प्रदर्शनी का उद्घाटन प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने दीप प्रज्वलित कर किया। कला शिविर की क्यूरेटर एवं वास्तुकला एवं योजना संकाय की अधिष्ठाता डॉ. वंदना सहगल ने उनका स्वागत पुष्प गुच्छ देकर किया।

उप मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनी मे किये गए कामों को सराहा ओर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा की क्रिकेट को कला से जोड़ने की तो वह कल्पना भी नहीं कर सकते थे, पर यहाँ प्रदर्शित कलाकृतियों को देख कर वंदना सहगल और सहगल परिवार की कला के क्षेत्र मे योगदान को सराहा और कहा कि यह मील का पत्थर साबित होगी। सभी कलाकारों को भी ब्रजेश पाठक ने सम्मानित किया और कहा कि मैं और मेरी सरकार इस तरह के आयोजन को हमेशा प्रोत्साहित करेगी और अगर हमारी संस्कृति से इसे इसी तरह से जोड़ा गया तो यह एक सुखद सन्देश होगा।

कला के प्रति समर्पित वंदना सहगल जैसी शख्शियत ने देश के ग्यारह उत्साही समकालीन कलाकारों के चित्र को कला व खिलाड़ियों के प्रति समर्पित किया है, उनका समर्पण व कलाकृतियों को देखकर चित्रकारों के काम को नकारा नहीं जा सकता। दृश्य कला के लिए यह जरूरी होता है कि चित्र परिकल्पना के बाद चित्र रचना के क्रम में चित्रकारों के चित्र का प्रदर्शन भी किया जाए, क्योंकि तब दर्शकों, कलाप्रेमियों और चित्र के बीच जरूरी संबंध स्थापित होता है। जिससे हम चित्र प्रदर्शनी की इसी प्रक्रिया से चित्रकला की विकासशीलता और युवा कलाकारों की कला समझ और दिशा तय होती है। लखनऊ में आईपीएल के दौरान होने वाले क्रिकेट मैच के उत्साह को लेकर देश के विभिन्न प्रदेशों से आए कलाकारों ने भी अपनी कला का प्रदर्शन किया। प्रदर्शनी में प्रदर्शित कामों को प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक चार दिवसीय विशेष कला शिविर में कलाकारों ने आर्ट वर्कशॉप के दौरान किया गया है। यह कैम्प क्रिकेट प्रेमियों के लिए बहुत ही खास है। यह कला शिविर समकालीन कला जगत में खास है।

कला शिविर एवं प्रदर्शनी के कोऑर्डिनेटर भूपेंद्र अस्थाना ने बताया कि इस चार दिवसीय कला शिविर में सभी कलाकार क्रिकेट बैट पर को अपना कैनवस बनाया है। जिस पर अपने अपने तकनीकी, शैली पर पेंटिंग, इंस्टॉलेशन, इंग्रेविंग इत्यादि करते हुए एक कलाकृति का रूप देंगे। इस शिविर में नई दिल्ली से वरिष्ठ प्रिंटमेकर कलाकार आनंदमॉय बनर्जी, दत्तात्रेय आप्टे, चित्रकार संजय शर्मा, मूर्तिकार राजेश राम, असम से मूर्तिकार बिनॉय पॉल, मणिपुर से मूर्तिकार प्रेम सिंह, बड़ोदरा से मूर्तिकार विजया चौहान, बिहार से मधुबनी लोकचित्रकार हेमा देवी, महाराष्ट्र से सिरेमिक आर्टिस्ट मनोज शर्मा, मध्यप्रदेश से चित्रकार नीलेश योगी, उत्तर प्रदेश से चित्रकार धीरज यादव सहित डॉक्यूमेंट करने के लिए झारखंड से मनीषा कुमारी और बिहार से आर्ट फोटोग्राफर शैलेंद्र कुमार ने शिरकत किया।

भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने आगे बताया कि शिविर में आए कलाकार आनंदमॉय बनर्जी ने बल्ले पर चटख रंगों का प्रयोग कर आकृतियों को उकेरा है बनर्जी के चित्र भाव प्रधान हैं। जिसमें सूर्ख रेखाओं से आकृतियों को उकेरा है। वरिष्ठ समकालीन चित्रकार दत्तात्रेय आप्टे ने बैट पर शीशे का प्रयोग किया है जिससे आकृतियों में पारदर्शिता को स्पष्ट रूप में अपनी संवेदना के माध्यम से व्यक्त किया जा सके। आप्टे सरलता से बैठ पर रचनात्मक आकार देते हैं। चित्रकार संजय शर्मा ने बैट पर आकृतियों को एक एक्रैलिक रंगों के माध्यम में रचने का प्रयास किया जिसमें बल्ले पर ही कई आकृतियां क्रिकेट की और आकर्षित हैं।

समकालीन युवा मूर्तिकार राजेश राम ने अपनी कार्यशैली के अनुरूप बल्ले पर आकृतियों को गढ़ा है जिसमें गुफाओं और पुरातन शिल्पों का आभास होता है। असम से आए मूर्तिकार विनय पाल ने रंगीन आकृतियों में दल्ले को बड़े खूबसूरत धर्म को सृजनात्मक आकार में रचा है। मणिपुर से आए मूर्तिकार प्रेम सिंह ने बल्ले पर मूर्तिकार के रूप में अपने आसपास के वातावरण को रखने का प्रयास किया है। बड़ोदरा से आई मूर्तिकार विजया चौहान ने भी बैट कि सतह पर सिरेमिक का खूबसूरत प्रयोग किया है। बिहार से आई मधुबनी लोक कलाकार हेमा देवी ने मधुबनी कला शैली को दर्शाया है।

महाराष्ट्र से आए श्रमिक कलाकार मनोज शर्मा ने बड़े आकार में खिलाड़ियों की विविध जैकेट को अलग-अलग रंग में ढाला है। जिसमें आकृतियों का कंपोजीशन उनके कलाकृति को आकृष्ट बनाता है। मध्य प्रदेश से आए चित्रकार निलेश योगी ने पेपर के द्वारा बल्ले पर, जलवायु परिवर्तन के द्वारा हो रही समस्याओं को बैट की सतह पर उकेरा है। उत्तर प्रदेश के चित्रकार धीरज यादव में बैट की सतह पर सूर्ख सफेद पेपर और रंग से अपने भावों को व्यक्त किया है। यह प्रदर्शनी 3 जून 2023 तक कला प्रेमियों के लिए लगी रहेगी।

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