
।।डीपी सिंह की रचना।।
न्याय की देवी की आँखों पर से पर्दा हट गया
मुद्दई को भी लगा, सच-सिद्धि का संकट गया
किन्तु उसके पीठ-पीछे के चलन बदले नहीं
न्याय उसके सामने ही टुकड़े-टुकड़े कट गया
*मुद्दई = जिसने मुकद्दमा दायर किया
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