सहकारिता एक बेहतर विश्व का निर्माण करती है सहकारिता क्षेत्र में आर्थिक सामाजिक राजनीतिक संगम हो तो सटीक सफलता की गारंटी

103वाँ अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस 5 जुलाई 2025 को मनाया गया- सहकारिता एक बेहतर दुनिया के लिए समावेशी और टिकाऊ समाधान है
वैश्विक स्तर पर सहकारी समितियों के लिए उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र और प्रतिष्ठानों को मजबूत करना, सहयोग पूर्ण कानून, नीतिगत कार्य मील का पत्थर साबित होगा

अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर सर्वविदित है कि किसी भी क्षेत्र में कोई भी काम अकेले करते हैं तो उनकी क्षमता सीमित होती है परंतु यदि वही एक से अधिक व्यक्तियों के सामूहिक कार्यों से किया जाए तो उनकी ताकत, बल, संसाधन, ज्ञान तेजी से कई गुना अधिक हो जाता है जिसमें आने वाली हर चुनौतियों का मुकाबला कर सफलता प्राप्त करने की सटीक कुंजी है, अर्थात हम आपसी सहयोग कर एक संगठन बनाकर, जिसे सहकारी समिति कहा जाता है। कोई भी काम मजबूती से कर सकते हैं। मैं यह मानता हूं कि सहकारी समितियां “एक और एक ग्यारह” की तरह काम करती हैं क्योंकि वे सदस्यों के सामूहिक प्रयासों और सहयोग के माध्यम से अधिक ताकत और सफलता प्राप्त करती हैं। व्यक्तिगत रूप से, सदस्यों की क्षमताएं सीमित हो सकती हैं, लेकिन जब वे एक साथ आते हैं और एक सहकारी समिति के रूप में काम करते हैं, तो वे अधिक संसाधन, ज्ञान और शक्ति प्राप्त करते हैं, जिससे वे बड़ी चुनौतियों का सामना कर सकते हैं और अधिक हासिल कर सकते हैं। संसाधनों का एकीकरण, जोखिम साझा करना, ज्ञान और विशेषज्ञता का आदान-प्रदान, बार्गेनिंग पावर, सामुदायिक विकास का लक्ष्य होता है, क्योंकि सब मिलकर कर रहे हैं।

इसीलिए ही हम 5 जुलाई 2025 शनिवार को हम अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस मनाए हैं। चूँकि वैश्विक स्तर पर सहकारी उद्यनशीलता पारिस्थितिकी तंत्र प्रतिष्ठा को मजबूत करना, सहयोगपूर्ण कानून व नीतिगत कार्य मील का पत्थर साबित होगा, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, सहकारिता एक बेहतर विश्व का निर्माण करती है, सहकारिता क्षेत्र में आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक संगम से सटीक सफलता की गारंटी है। सहकारिता एक बेहतर दुनिया के लिए समावेशी और टिकाऊ समाधान है।

साथियों बात अगर हम 5 जुलाई 2025 शनिवार को अंतरराष्ट्रीय सहकारी दिवस मनाए जाने की करें तो सहकारिता बेहतर विश्व के लिए समावेशी और टिकाऊ समाधान को आगे बढ़ाना इस वर्ष का आयोजन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 के दौरान हो रहा है – एक दुर्लभ, दशक में एक बार आने वाला अवसर, जो अधिक न्यायपूर्ण, अधिक लचीले समाजों के निर्माण में सहकारी समितियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालता है। बढ़ती वैश्विक चुनौतियों के दौर में, इस वर्ष की थीम बहुत कुछ कहती है। सहकारी समितियाँ – अपने सदस्यों के स्वामित्व वाली और उनके द्वारा संचालित व्यवसाय – यह दिखा रही हैं कि लाभ से पहले लोगों, ग्रह और उद्देश्य को प्राथमिकता देकर मजबूत समुदायों का निर्माण कैसे संभव है।

स्वास्थ्य और आवास से लेकर कृषि, वित्त और स्वच्छ ऊर्जा तक, सहकारी समितियाँ वास्तविक दुनिया के समाधान प्रदान कर रही हैं जो समावेशी, लोकतांत्रिक और टिकाऊ हैं। कॉप्स डे 2025 दो प्रमुख वैश्विक प्रयासों से भी जुड़ता है : संयुक्त राष्ट्र का उच्च स्तरीय राजनीतिक मंच, जो प्रमुख सतत विकास लक्ष्यों की समीक्षा कर रहा है, और सामाजिक विकास के लिए आगामी दूसरा विश्व शिखर सम्मेलन। ये मील के पत्थर हमें याद दिलाते हैं कि सहकारी समितियाँ केवल स्थानीय समाधान नहीं हैं – वे बदलाव के लिए एक वैश्विक आंदोलन का हिस्सा हैं। सहकारी दिवस 2025 मनाने में हमारे साथ शामिल हों और जागरूकता बढ़ाने में मदद करें कि कैसे सहकारी समितियां बेहतर विश्व के लिए प्रगति में सहायक हो रही है।

इस वर्ष के आयोजन के उद्देश्य…
(1) जन जागरूकता बढ़ाएँ : सतत विकास में सहकारी समितियों के योगदान पर प्रकाश डालें।
(2) वृद्धि और विकास को बढ़ावा देना : सहकारी समितियों के लिए उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र और प्रतिष्ठानों को मजबूत करना।
(3) सहायक ढांचे की वकालत करना : वैश्विक स्तर पर सहकारी समितियों के लिए सक्षम कानूनी और नीतिगत वातावरण के निर्माण को प्रोत्साहित करना।
(4) नेतृत्व को प्रेरित करना : उद्देश्यपूर्ण नेतृत्व को बढ़ावा देना और युवाओं को सहकारी आंदोलन में शामिल करना।

साथियों बात अगर हम सहकारिता को समझने की करें तो, सहकारिता आंदोलन सहकारी समितियों को ऐसे संघों और उद्यमों के रूप में स्वीकार किया गया है जिनके माध्यम से नागरिक अपने समुदाय और राष्ट्र की आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक उन्नति में योगदान करते हुए अपने जीवन को प्रभावी ढंग से बेहतर बना सकते हैं। सहकारी आंदोलन को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों मामलों में एक विशिष्ट और प्रमुख हितधारक के रूप में भी मान्यता दी गई है। सहकारी समितियों का खुला सदस्यता मॉडल धन सृजन और गरीबी उन्मूलन तक पहुँच प्रदान करता है। यह सदस्यों की आर्थिक भागीदारी के सहकारी सिद्धांत से उत्पन्न होता है : ‘सदस्य अपनी सहकारी समिति की पूंजी में समान रूप से योगदान करते हैं और लोकतांत्रिक रूप से नियंत्रित करते हैं।

क्योंकि सहकारी समितियाँ पूंजी-केंद्रित नहीं बल्कि व्यक्ति-केंद्रित होती हैं, इसलिए वे पूंजी संकेन्द्रण को न तो कायम रखती हैं और न ही बढ़ाती हैं और वे अधिक निष्पक्ष तरीके से धन वितरित करती हैं। सहकारी समितियाँ बाहरी समानता को भी बढ़ावा देती हैं। चूँकि वे समुदाय-आधारित हैं, इसलिए वे अपने समुदायों के सतत विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं – पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक रूप से। यह प्रतिबद्धता सामुदायिक गतिविधियों के लिए उनके समर्थन, स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ पहुँचाने के लिए आपूर्ति के स्थानीय स्रोत और निर्णय लेने में देखी जा सकती है जो उनके समुदायों पर पड़ने वाले प्रभाव पर विचार करती है। स्थानीय समुदाय पर ध्यान केंद्रित करने के बावजूद, सहकारी समितियाँ अपने आर्थिक और सामाजिक मॉडल के लाभों को दुनिया के सभी लोगों तक पहुँचाने की आकांक्षा रखती है।

वैश्वीकरण को सहकारी आंदोलन जैसे मूल्यों के एक समूह द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिए; अन्यथा, यह अधिक असमानता और अतिरेक पैदा करता है जो इसे अस्थिर बनाता है। सहकारी आंदोलन अत्यधिक लोकतांत्रिक, स्थानीय रूप से स्वायत्त, किन्तु अंतर्राष्ट्रीय रूप से एकीकृत है तथा संघों और उद्यमों के संगठन का एक रूप है, जिसके तहत नागरिक स्वयं सहायता और अपने स्वयं के उत्तरदायित्व पर निर्भर रहते हैं, ताकि वे ऐसे लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें। जिनमें न केवल आर्थिक, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय उद्देश्य भी शामिल है जैसे गरीबी पर काबू पाना, उत्पादक रोजगार सुनिश्चित करना और सामाजिक एकीकरण को प्रोत्साहित करना।

साथियों बात कर हम 3 जुलाई 2025 को नई दिल्ली के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में सहकारिता का यह कार्यक्रम करने की करें तो, नई दिल्ली के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में राष्ट्रीय सहकारी ऑर्गेनिक्स लिमिटेड द्वारा सहकारिता मंत्रालय और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित भारत ऑर्गेनिक्स मेला 2025 का उद्घाटन किया। भारत ऑर्गेनिक्स मेला इस बात का उदाहरण है कि कैसे सहकारी मॉडल छोटे किसानों को सशक्त बना सकता है और भारतीय घरों तक सुरक्षित जैविक भोजन पहुँचा सकता है। एनसीओएल जैविक खेती को किसानों के साथ एक राष्ट्रीय जन आंदोलन में बदल रहा है।

19 राज्यों की 7,000 से अधिक सहकारी समितियों के साथ, भारत ऑर्गेनिक्स एक मजबूत, विश्वसनीय और समावेशी आपूर्ति श्रृंखला बना रहा है जो भारत के जैविक उत्पादकों को घरेलू और वैश्विक उपभोक्ताओं से जोड़ती है। एनसीओएल का लक्ष्य अगले दशक में घरेलू जैविक बाजार में अग्रणी खिलाड़ियों में से एक बनना है और भारत के लिए किसान- स्वामित्व वाला, पारदर्शी और स्केलेबल जैविक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना जारी रखेगा।

साथियों बात अगर हम सहकारिता दिवस के इतिहास की करें तो, संक्षिप्त इतिहास सहकारी संस्था का सबसे पहला अभिलेख 14 मार्च 1761 में स्कॉटलैंड से मिलता है। 1844 में उत्तरी इंग्लैंड में कपास मिलों में काम करने वाले 28 कारीगरों के एक समूह ने पहला आधुनिक सहकारी व्यवसाय स्थापित किया। 16 दिसंबर 1992 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने संकल्प ए/आरईएस/47/90 में आधिकारिक तौर पर जुलाई 1995 के पहले शनिवार को पहला अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस घोषित किया। यह तिथि अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन की स्थापना की शताब्दी को चिह्नित करने के लिए चुनी गई थी।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि सहकारिता एक बेहतर विश्व का निर्माण करती है सहकारिता क्षेत्र में आर्थिक सामाजिक राजनीतिक संगम हो तो सटीक सफलता की गारंटी, 103वाँ अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस 5 जुलाई 2025 मनाया गया – सहकारिता एक बेहतर दुनिया के लिए समावेशी और टिकाऊ समाधान है। वैश्विक स्तर पर सहकारी समितियों के लिए उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र और प्रतिष्ठानों को मजबूत करना, सहयोगपूर्ण कानून, नीतिगत कार्य मील का पत्थर साबित होगा।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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