नहीं रहे कामरेड बापी दा, कार्यकर्ताओं ने दी अश्रुपूरित विदाई

तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर। पश्चिम मिदनापुर के लोकप्रिय वामपंथी नेता निर्मल भट्टाचार्य, जिन्हें सभी “बापी दा” के नाम से जानते थे, का निधन हो गया। हावड़ा जिले के मूल निवासी भट्टाचार्य ने 1960 के दशक में नरसिंह दत्त कॉलेज में पढ़ाई के दौरान वामपंथी छात्र राजनीति से अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की। तत्पश्चात वे सीपीआई (एम) पार्टी के सदस्य बने और पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में जुड़ गए।

अविभाजित मिदनापुर जिले के दासपुर निर्वाचन क्षेत्र में प्रवास फडिकार के चुनाव अभियान में वे सक्रिय रूप से शामिल रहे। चुनाव के बाद उन्होंने हावड़ा में कार्य जारी रखा, लेकिन बाद में फडिक के आग्रह पर घाटाल उपमंडल के गोपीगंज लोकल कमेटी से जुड़े। पार्टी कार्यालय में रहकर वे लोगों के बीच निरंतर कार्य करते रहे और पूरे क्षेत्र में अत्यंत लोकप्रिय रहे।

भारतीय लोकतांत्रिक युवा महासंघ की राज्य समिति, किसान सभा की जिला समिति और मछुआरा संगठन के राज्य नेतृत्व में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाई। वे 1983 से 1993 तक जिला परिषद के कार्याध्यक्ष और ताम्रलिप्त स्पिनिंग मिल के चेयरमैन भी रहे।

छोटे कद के बावजूद वे अपने क्षेत्र में सशक्त नेतृत्व के लिए जाने जाते थे। जनसाधारण की भाषा में उनकी प्रभावशाली वाणी लोगों के दिलों को छू जाती थी। मंच पर या फिर कुर्सी-मेज पर खड़े होकर भाषण देने की उनकी शैली अनोखी थी।

कुछ ही पलों में सैकड़ों लोग एकत्र हो जाते थे। आज भी दासपुर क्षेत्र में उनके ऐसे कई प्रसंगों की चर्चा होती है। उन्हें हृदय संबंधी समस्या थी और पेसमेकर लगा हुआ था। कुछ दिन पहले घर पर गिरने से सिर में चोट लगने के बाद हालत बिगड़ी।

काली पूजा से एक दिन पहले उन्हें कोलकाता के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ बुधवार रात लगभग साढ़े नौ बजे उन्होंने अंतिम साँस ली।

शुक्रवार को जब उनका पार्थिव शरीर घर पहुँचा, तब सीपीआई (एम) की गोपीगंज एरिया कमेटी और युवा महासंघ की लोकल कमेटी की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर सुनील अधिकारी, शांतनु चक्रवर्ती, श्याम जाना समेत अनेक स्थानीय नेता और कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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