डीपी सिंह की रचनाएं

कब तांडव की बारी है?

हे शिव शम्भो! राष्ट्र आपका, आज बहुत आभारी है
कृपा आपकी हुई भक्त पर, भारी विपदा टारी है
पर कबतक हे महादेव! यूँ, मग्न ध्यान में बैठेंगे?
ज़ह्र बहुत पीते देखा है, कब ताण्डव की बारी है?

–डीपी सिंह

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