डॉ. आर.बी. दास की रचना

जो मुस्कुरा रहा है,
उसे दर्द ने पाला होगा।
जो चल रहा है,
उसके पांव में छाला होगा।
बिना संघर्ष के इंसान,
चमक नहीं सकता।
जो जलेगा उसी दिए
में तो उजाला होगा।

अकेला ना समझ खुद को,
रास्ता वही दिखाता है।
एक दरवाजा बंद होता है,
तो दूसरा खुल जाता है।

किसी के; मै हूं ना,
कहने से सिर्फ हौसला बढ़ता है।
सच्चाई यह है,
अंधेरे में अपना साया भी साथ छोड़
देता है।

कभी टूटते हैं,
तो कभी बिखरते हैं।
विपत्तियों में ही इंसान,
ज्यादा निखरते हैं।

आमदनी कम हो तो,
खर्चे पर काबू रखिए,
जानकारी कम हो तो,
लफ्जों पर काबू रखिए।

मुझे पता नहीं,
पाप पुण्य क्या है,
बस इतना पता है,
जिस शब्द से किसी का दिल दुखे,
वो पाप कहलाता है,
और जिस शब्द से,
किसी के चेहरे पे मुस्कुराहट आ जाए
वो पुण्य कहलाता है।

Dr. R.B. Das
Adv. supreme court,
Advisor (UGC)
National Sec.
SC/ST commission

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