Climate story. Space flight is taking the life of climate

Climate कहानी ।। अन्तरिक्ष की उड़ान ले रही जलवायु की जान

मयूरी, Climateकहानी, कोलकाता। सोचिए — एक तरफ़ दुनिया भयंकर गर्मी, बाढ़ और खाने के संकट से जूझ रही है, और दूसरी तरफ़ चंद अमीर लोग कुछ मिनटों के लिए अंतरिक्ष घूमने निकल पड़े हैं। ये दौड़ सिर्फ़ शौक़ की नहीं है, ये जलवायु अन्याय और गैर-जिम्मेदारी की एक ज़िंदा मिसाल बन चुकी है। अभी हाल ही में एक निजी मिशन में दस मशहूर महिलाओं को अंतरिक्ष भेजा गया।

इसे “महिलाओं का ऐतिहासिक पल” कहकर खूब प्रचार मिला। लेकिन जानकारों का कहना है — इस चमक-दमक के पीछे एक कड़वी सच्चाई छुपी है: भारी प्रदूषण और उन लोगों के साथ बढ़ता अन्याय, जो जलवायु परिवर्तन के सबसे बड़े शिकार हैं।

  • ऊंची उड़ानऊंचा एमिशन स्तरऔर पब्लिक को फायदा़ कुछ नहीं’

एक सब-ऑर्बिटल स्पेस फ्लाइट यानी महज़ कुछ मिनट की अंतरिक्ष सैर। लेकिन इसका कार्बन फुटप्रिंट? किसी आम इंसान के सालों-साल के एमिशन से भी ज़्यादा। पहले अंतरिक्ष मिशन सैटेलाइट भेजते थे, जलवायु निगरानी करते थे, नई दवाओं पर रिसर्च करते थे। आज का स्पेस टूरिज़्म? न कोई विज्ञान में योगदान, न कोई सामाजिक भलाई। सिर्फ़ मनोरंजन। सिर्फ़ दिखावा।

Climate story. Space flight is taking the life of climate

ऐसे दौर में जब दुनिया को हर हाल में एमिशन घटाना चाहिए, सिर्फ मौज-मस्ती के लिए अंतरिक्ष में उड़ान भरना — ये सिर्फ़ बेपरवाही नहीं है, ये एक गहरी नैतिक चुनौती भी है।

  • जलवायु अन्याय: जब विशेषाधिकार आसमान छूने लगे

स्पेस टूरिज़्म ने एक बार फिर दुनिया की असली असमानता को नंगा कर दिया है। जो सबसे कम प्रदूषण करते हैं — गरीब देश, कमजोर समुदाय — वही जलवायु तबाही के सबसे बड़े शिकार हैं। और जो सबसे ज़्यादा प्रदूषण फैलाते हैं, वही अंतरिक्ष में घूम कर अपनी अमीरी का जश्न मना रहे हैं।

इन उड़ानों की असली कीमत वो चुका रहे हैं जिनकी ज़िंदगी में ये सपने भी नहीं आते। ये असमानता का ज़ख्म और गहरा कर रहा है।

  • जब नारीवाद का इस्तेमाल ग्रीनवॉशिंग में हो

“महिलाएं अंतरिक्ष में” मिशन को मीडिया ने प्रगतिशीलता का बड़ा झंडा बनाकर पेश किया। लेकिन जानकार साफ़ चेतावनी दे रहे हैं — सशक्तिकरण के नाम पर पर्यावरण को नुक़सान पहुँचाना एक बेहद खतरनाक ट्रेंड है।

सच्चा फेमिनिज़्म हर किसी के लिए बराबरी और भलाई की बात करता है, न कि कुछ चुनिंदा लोगों के शौक पूरे करने का लाइसेंस देता है। अगर हम जलवायु संकट के बीच खास लोगों के भोग-विलास को “प्रगति” का नाम देंगे, तो हम भी इस संकट का हिस्सा बन जाते हैं।

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  • संचार का असली दायित्व: पूरी तस्वीर दिखाना

आज मीडिया, सरकारें और कंपनियां — सबकी जिम्मेदारी है कि सच को बिना चमक-दमक के सामने रखें। अगर मीडिया सिर्फ़ रॉकेट लॉन्च के ग्लैमर पर फोकस करेगा और जलवायु नुकसान पर चुप रहेगा, तो असलियत पीछे छूट जाएगी।

हर स्टोरी, हर हेडलाइन अब मायने रखती है। तकनीक की दौड़ में नैतिकता कहीं पीछे नहीं छूटनी चाहिए।

  • पहले धरतीफिर अंतरिक्ष

स्पेस टूरिज़्म में पैसा बहाने से पहले, क्या हमें अपनी ज़मीन बचाने की फ़िक्र नहीं करनी चाहिए? जब अरबों लोग बाढ़, सूखा, और समुद्र के बढ़ते स्तर से जूझ रहे हैं, तब अंतरिक्ष में शौक़ पूरा करना हमारी प्राथमिकताओं पर एक बड़ा सवाल उठाता है।

ज़्यादातर लोगों के पास “प्लैनेट बी” जैसा कोई ऑप्शन नहीं है। हमारी असली यात्रा अंतरिक्ष भागने की नहीं — धरती को बचाने की होनी चाहिए।
सभी के लिए, न कि सिर्फ़ कुछ चुनिंदा के लिए।

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लेखिका जलवायु और ऊर्जा क्षेत्र में सक्रिय एक लीगल एक्सपर्ट हैं

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