Climate change is increasing the lack of oxygen in the Bay of Bengal

जलवायु परिवर्तन बढ़ा रहा बंगाल की खाड़ी में ऑक्सीजन की कमी

  • बन रहे हैं मृत क्षेत्र: अध्ययन

कोलकाता, (Kolkata) : महासागर में ऑक्सीजन की कमी वाले क्षेत्र (ओएमजेड) और तटीय इलाकों में ऑक्सीजन की कमी पारिस्थितिकी तंत्र को खतरे में डाल रही है। इस तरह के इलाके पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर, अरब सागर (एएस) और उत्तरी हिंद महासागर में बंगाल की खाड़ी में दर्ज किए जा रहे हैं।

घुलित ऑक्सीजन (डीओ) में कमी दुनिया भर के तटीय हिस्सों में पानी में रहने वाले जीवों को प्रभावित करती है और बताया जा रहा है है कि यह अधिक संख्या में क्षेत्रों में फैल रही है।

अब, एक नए अध्ययन में कहा गया है कि जलवायु में बदलाव बंगाल की पश्चिमी खाड़ी के कुछ हिस्सों में डेड जोन या मृत क्षेत्र की घनाएं दर्ज की गई है, इन हिस्सों में अब मछलियां और अन्य जीवों ने रहना छोड़ दिया है।

Climate change is increasing the lack of oxygen in the Bay of Bengal

केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के समुद्री जीवन संसाधन और पारिस्थितिकी केंद्र (सीएमएलआरई) के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस अध्ययन में मृत क्षेत्र में एक अकेली प्रजाति (पैरास्कोम्ब्रॉप्स पेलुसिडस), एक रे-फिन्ड मछली, के अत्यधिक प्रभुत्व देखा गया, जिसे ‘एज इफेक्ट’ कहा जाता है।

एज इफेक्ट तब होता है जब एक प्रजाति दो अलग-अलग आवासों की सीमाओं में रहती है।

शोध के मुताबिक, मृत क्षेत्र ठंडी और गर्म हवा तथा मजबूत जैविक पंपिंग की घटनाओं के साथ जुड़ी हुई है। उत्तर में बंगाल की खाड़ी के पश्चिमी महाद्वीप के हिस्से में जहां मछलियां नहीं हैं, वहां ऑक्सीजन की कमी या हाइपोक्सिक क्षेत्र के रूप में पहचाना गया है, जिसे मृत क्षेत्र कहा जाता है।

गहरे तल का क्षेत्र पर्यावरणीय बदलावों से प्रभावित होता है, जहां तल पर रहने वाली मछलियों या डेमर्सल जीवों में मौसमी बदलाव को दिखता है।

कॉन्टिनेंटल शेल्फ रिसर्च नामक पत्रिका में प्रकाशित शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि अरब सागर में भी मृत क्षेत्र हो सकते हैं, लेकिन शोध में समुद्री जीवन और उसके प्रभाव को नहीं देखा गया।

Climate change is increasing the lack of oxygen in the Bay of Bengal

 

उस क्षेत्र में समुद्री जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव को समझने के लिए, गहराई वाले हिस्सों में जांच-पड़ताल की गई, जिसमें मछली, क्रस्टेशियन और मोलस्क सहित शून्य से 1,190 किलोग्राम के बीच थी।

आठ इलाकों में इनकी संख्या शून्य दर्ज की गई, जिनमें से अधिकांश 100 से 1,200 मीटर की गहराई पर ढलान वाले क्षेत्रों में थीं।

समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में ऑक्सीजन की कमी सीधे या परोक्ष रूप से मछली की आबादी संरचना, समुदाय संरचना और पारिस्थितिकी तंत्र के कामकाज को प्रभावित करता है।

इसके कारण अत्यधिक मृत्यु दर या क्षेत्र से जीवों का पलायन हो सकता है, जिसकी वजह से मृत क्षेत्र बन सकते हैं।

शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि मृत क्षेत्र की मौसमी घटना प्राकृतिक या मानवजनित कारणों से जलवायु में बदलाव के प्रभाव की ओर इशारा करती है, जो कि तलहटी या तल पर रहने वाले जीवों को भी प्रभावित कर सकती है।

अध्ययन क्षेत्र उत्तर से गंगा-ब्रह्मपुत्र नदी प्रणालियों और कई अन्य प्रायद्वीपीय नदियों से आने वाली भारी मात्रा में तलछट के बहाव के लिए जाना जाता है, जो मानवजनित हस्तक्षेप को सामने लाता है।

Climate change is increasing the lack of oxygen in the Bay of Bengal

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