कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि को बछड़ा/बैल दान करने पर शिव लोक की प्राप्ति होती है

कार्तिक दिवा एवं रात्रि पूर्णिमा व्रत 5 नवंबर, बुधवार को

वाराणसी। पंडित श्री मनोज कृष्ण शास्त्री जी ने बताया कि वर्ष 2025 ई. में कार्तिक पूर्णिमा तिथि 4 नवंबर, मंगलवार रात्रि 10 बजकर 22 मिनट पर प्रारंभ होगी और 05 नवंबर, बुधवार शाम 06 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी। इस प्रकार कार्तिक दिवा एवं रात्रि पूर्णिमा व्रत 05 नवंबर, बुधवार को ही किया जाएगा।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुर नामक राक्षस का वध किया था। त्रिपुर ने प्रयाग में एक लाख वर्षों तक कठोर तपस्या कर ब्रह्मा जी से यह वरदान प्राप्त किया था कि उसे मनुष्य या देवता के हाथों मृत्यु न हो। इस वरदान से अभिमानी होकर उसने देवताओं और मनुष्यों को कष्ट देना शुरू कर दिया। तब भगवान शिव ने अपने पाशुपत अस्त्र से उसका वध किया और संसार को उसके अत्याचार से मुक्त किया।

📌 इस दिन उपवास रखने से हजार अश्वमेध यज्ञ तथा सौ राजसूय यज्ञ के समान पुण्यफल प्राप्त होता है। कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि में बछड़ा (बैल) दान करने से शिवलोक की प्राप्ति होती है।
📌 चंद्रोदय के समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छह कृतिकाओं की पूजा करने से भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है, क्योंकि ये स्वामी कार्तिकेय की माताएँ मानी जाती हैं।

📍कार्तिक पूर्णिमा का स्नान, दान और व्रत विधान :
📌 कार्तिक मास अत्यंत पवित्र माना गया है, विशेषकर इसकी पूर्णिमा का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन गंगा या अन्य पवित्र नदियों, सरोवरों या जलाशयों में स्नान करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।

📌 स्नान के उपरांत श्रद्धालु दीपदान, हवन, यज्ञ, घी, वस्त्र, ब्राह्मण भोजन, तेल, तिल एवं दक्षिणा दान करते हैं।
📌 इस पावन अवसर पर विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से न केवल पवित्रता की प्राप्ति होती है, बल्कि समृद्धि, सुख-शांति और सभी कष्टों का निवारण भी होता है।
📌 इस दिन भगवान श्रीलक्ष्मीनारायण, भगवान शिव तथा शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

📍गुरु नानक जयंती एवं देव दीपावली :
📌 कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही सिखों के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था।
📌 इस कारण यह दिन गुरु नानक देव जयंती के रूप में भी पूरे भारतवर्ष में धूमधाम से मनाया जाता है।

📌 पौराणिक मान्यता के अनुसार, देवता अपनी दीपावली कार्तिक पूर्णिमा की रात को ही मनाते हैं, इसलिए इसे देव दीपावली भी कहा जाता है।
📌 कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर जम्मू-कश्मीर में अनेक धार्मिक मेले आयोजित किए जाते हैं।

📌 इस दिन उत्तरी भारत का प्रसिद्ध मेला बावा जित्तो देव स्थान, झिड़ी सामाचक में लगता है।
📌 इसके अतिरिक्त जम्मू के विभिन्न कुल देवता एवं देवी स्थलों पर भी मेले और धार्मिक आयोजन होते हैं।

📍 दान का महत्व एवं भीष्म पंचक :
📌 पूर्णिमा के दिन घर या मंदिर के आस-पास के ज़रूरतमंद लोगों को यथाशक्ति दान अवश्य करना चाहिए। यह दान न केवल पुण्यदायक होता है, बल्कि जीवन में सौभाग्य, समृद्धि और शांति भी लाता है। भीष्म पंचक का समापन भी 05 नवंबर (बुधवार) को ही होगा।

ज्योतिर्विद रत्न वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 99938 74848

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