एक सामाजिक वैज्ञानिक थे बुद्ध

खड़गपुर : सम्पूर्ण विश्व मानवता को वैज्ञानिक चिंतन की दिशा प्रदान करने वाले महात्मा गौतम बुद्ध एक सामाजिक वैज्ञानिक थे। उनके बताए गए रास्ते पर चलकर भारतवर्ष की भूमि पर दो-दो चक्रवर्ती सम्राटों ने अपनी शासन व्यवस्था का परचम विश्व के सुदूर देशों तक फैलाया, परिणाम स्वरूप भारत को आध्यामिक विश्व गुरु का स्थान प्राप्त हुआ।

उक्त बातें ओबीसी रेलवे कर्मचारी संघ दक्षिण पूर्व रेलवे के महासचिव कृष्ण मोहन प्रसाद ने आज बुद्ध पूर्णिमा के दिन ओबीसी रेलवे कर्मचारी संघ दक्षिण पूर्व रेलवे टाटानगर शाखा में आयोजित बुद्ध पूर्णिमा उत्सव कार्यक्रम में उपस्थित सदस्यों को संबोधित करते हुए कही।

कृष्ण मोहन प्रसाद ने कहा कि वर्तमान समय में बुद्ध के त्रिशरण और पंचशील की आवश्यकता केवल भारतवासियों को ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व मानवता के कल्याण के लिए अनिवार्य है। विश्व के सर्वाधिक देश आज भी बुद्ध धम्म के रास्ते का अनुसरण कर रहे हैं और धम्म का अनुसरण करने वाले देश के ही अधिकतर नागरिक विश्व कल्याण की भावनाओं से प्रेरित है।

भारत वर्ष में धम्म का अनुसरण करने वाले महापद्म नंद एवं सम्राट अशोक जैसे चक्रवर्ती सम्राट के कार्यकाल में भारतवर्ष की भूमि में संचालित नालंदा, तक्षशिला एवं विक्रमशिला विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय में विश्व के अनेकों देश से विद्यार्थी ज्ञान विज्ञान एवं ज्योतिष शास्त्र का अध्ययन करने आया करते थे। कृष्ण मोहन प्रसाद ने उपस्थित सदस्यों से त्रिशरण और पंचशील का अनुपालन करने एवं संविधान के नीति निर्देशक तत्वों को प्रत्येक भारतीय नागरिक तक पहुंचाने का आग्रह किया।

उक्त कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ सदस्य अजय ठाकुर ने किया जबकि धन्यवाद ओबीसी रेलवे कर्मचारी संघ, टाटानगर शाखा के सचिव मुद्रिका प्रसाद ने किया। बुद्ध पूर्णिमा उत्सव के उपरोक्त कार्यक्रम में अर्जुन साहू, दीपक यादव, बीरेंद्र यादव, संजीव कुमार, जितेंद्र गुप्ता, ब्रजेश कुशवाहा, जयानंद, राहुल महतो आदि सदस्यों ने भाग लिया।

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