
UN Report, कोलकाता। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) द्वारा, IMAGIN सामुदायिक मीडिया और कोलकाता के प्रेस क्लब के साथ साझेदारी में शुरू की गई इस पहल के तहत, युवाओं को सशक्त बनाकर, सामाजिक मुद्दों पर उनकी आवाज़ को बुलन्द किया जा रहा है।
युवा रिपोर्टर इस कार्यक्रम के ज़रिए अपने समुदायों की आवाज बन ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाते हैं, जो दैनिक जीवन की सुन्दरता एवं संघर्ष, दोनों उजागर करती हैं लेकिन यह आवाज़ें इतनी शक्तिशाली कैसे बनती हैं?
ये सामुदायिक युवा रिपोर्टर ऐसे मुद्दों पर कार्यक्रम पेश करते हैं, जो सीधे तौर पर उनके जीवन और उनके साथियों व समुदायों के जीवन को प्रभावित करते हैं।
ये युवा परिवर्तन वाहक, बाल विवाह, पर्यावरण क्षरण व शैक्षिक अवसरों जैसी महत्वपूर्ण सामाजिक समस्याओं को उजागर करने वाली रिपोर्टिंग करते हैं। इन युवा पत्रकारों की भूमिका केवल पत्रकारिता से कहीं बढ़कर है।
इनका काम, लोगों के सशक्तिकरण, तथा जागरूकता व बदलाव का कारक बनता है।
वे अपने समुदायों के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हैं, अपने साथियों, परिवारों एवं स्थानीय नेताओं को परस्पर जोड़कर, आस-पास के लोगों के लिए बेहतर भविष्य का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
कार्यक्रम में शामिल एक रिपोर्टर रिमझिम मंडल बताती हैं, “एक सामुदायिक युवा रिपोर्टर बनने से पहले मुझे ऐसा लगता था कि कोई भी हमारी, युवाओं की बात नहीं सुन रहे हैं लेकिन अब, मुझे मालूम है कि हमारे शब्दों में बदलाव लाने, जागरूकता बढ़ाने और लोगों को उन मुद्दों के बारे में सोचने के लिए प्रेरित करने की शक्ति है, जो हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं।”
- कार्रवाई की प्रेरणा
रिमझिम के शब्द अन्य लोगों की भावनाओं को प्रतिध्वनित करते हैं। ये युवा रिपोर्टर, केवल तस्वीरें खींचने या रिपोर्टिंग करने तक ही सीमित नहीं हैं। ये उन लोगों के दिल भी जीत रहे हैं, जो वास्तव में कार्रवाई करने में सक्षम हैं।
बाल विवाह से निपटने से लेकर पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं और शिक्षा सुधार की आवश्यकता को उजागर करने तक, उनके काम से उनके समुदायों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। यह कार्यक्रम केवल शोर मचाने के लिए नहीं, बल्कि असल बदलाव लाने के लिए है।
एक अन्य सामुदायिक युवा पत्रकार सौमिकी चक्रवर्ती कहती हैं, “युवजन की आवाज़ें महत्वपूर्ण हैं क्योंकि भविष्य में हम ही वर्तमान फ़ैसलों के परिणामों के साथ जी रहे होंगे। जब हम अपनी आवाज़ उठाते हैं, तो हम केवल अपने बारे में ही बात नहीं कर रहे होते हैं; हम भावी पीढ़ियों के बारे में बात कर रहे होते हैं।”
- बाल विवाह उन्मूलन प्रयास
भारत का यह पूर्वी प्रदेश पश्चिम बंगाल, विरोधाभासों की भूमि है। एक तरफ़ जहाँ यह अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और शैक्षणिक प्रतिभा के लिए जाना जाता है, वहीं यहाँ बाल विवाह जैसी चुनौतियाँ भी व्याप्त हैं।
इस प्रदेश में बड़ी संख्या में लड़कियों का विवाह 18 वर्ष की आयु से पहले ही कर दिया जाता है। यहाँ बहुत सी युवा लड़कियाँ शिक्षा, स्वास्थ्य व समान अवसरों के लिए विभिन्न प्रकार की बाधाओं का सामना करती हैं।
यही वो वजह है, जो सामुदायिक युवा रिपोर्टर कार्यक्रम को और भी महत्वपूर्ण बनाती है। यह कार्यक्रम युवा लड़कियों को सूचना तक पहुँच व उन्हें सामाजिक अन्याय को चुनौती देने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
कार्यक्रम की एक अन्य रिपोर्टर जी अलजिया अख़्तर कहती हैं, “बाल विवाह केवल एक आँकड़ा नहीं है। यह हम जैसी लड़कियों का पूरा जीवन बदल देता है। मैंने अपनी सहेलियों को इसके कारण स्कूल छोड़ते देखा है। मेरी माँ की शादी भी बचपन में ही हो गई थी लेकिन अब, एक युवा रिपोर्टर के रूप में, मुझे लगता है कि मैं इस बारे में कुछ कर सकती हूँ।”
रोजा ख़ातून, नौसिन बिस्वास, जी अलजिया अख़्तर और सोनाली डे जैसी प्रतिभागियों की रिपोर्ट ने, उनके गाँवों में बाल विवाह के मामलों की ओर ध्यान आकर्षित किया है, जिससे सामुदायिक चर्चाएँ और कार्रवाई शुरू हुई हैं।
- समस्याओं का समाधान
सामुदायिक युवा रिपोर्टर कार्यक्रम का सबसे उल्लेखनीय पहलू इसकी भावनात्मक गहराई और रिपोर्टिंग के प्रति नैतिक दृष्टिकोण है। युवा रिपोर्टर, तथ्यों से आगे बढ़कर अपने दिल और अनुभवों को उजागर करते हैं। यह दृष्टिकोण, जटिल मुद्दों को सरल कहानियों में बदल देता है, जिससे दर्शकों को उनका सार आसानी से समझ आ जाता है।
उदाहरण के लिए श्रद्धा सरकार, सौमिकी चक्रवर्ती और रिमझिम मंडल ने, अपने स्कूल के पास पर्यावरण प्रदूषण के बारे में पूरे दिल से बात की।
श्रद्धा कहती हैं, “हमारे स्कूल के पास का तालाब किसी समय स्वच्छ होता था और मछलियों से भरा हुआ था। अब, यह केवल कूड़े का का ढेर बनकर रह गया है। इसे देखकर दिल टूट जाता है कि किस तरह लोगों ने एक ख़ूबसूरत चीज़ को नष्ट कर दिया।”
“मुझे एक सामुदायिक युवा रिपोर्टर के रूप में लगता है कि इन मुद्दों को प्रकाश में लाना मेरी ज़िम्मेदारी है। यह सिर्फ़ एक तालाब के बारे में नहीं है – यह लोगों को अपने पर्यावरण का सम्मान करना सिखाने के बारे में है।”
- नवीन अवसर
जिन समुदायों में जहाँ लड़कियों से आमतौर पर पारम्परिक भूमिकाओं का पालन करने की अपेक्षा की जाती है, सामुदायिक युवा रिपोर्टर कार्यक्रम उनके लिए नई सम्भावनाएँ खोल रहा है।
ये युवा रिपोर्टर, अपने समुदायों के चैम्पियन हैं, जो अपने आसपास, नोटबुक व मोबाइल कैमरे के साथ खोजबीन करते हैं, और उन कहानियों को कैमरे में क़ैद करते हैं जो वास्तव में मायने रखती हैं।
रिमझिम कहती हैं, “जब हम सीखी हुई बातें साझा करते हैं, तो दूसरी लड़कियों को भी अपने लिए सम्भावनाएँ नज़र आने लगती हैं। वे सवाल पूछना शुरू कर देती हैं और बाल विवाह जैसी प्रथाओं के खिलाफ़ आवाज़ उठाती हैं। ऐसा लगता है जैसेकि इसका असर लहरों की तरह फैल रहा हो।”
अब इस तरह के कार्यक्रमों में अधिक स्कूल व कॉलेज शामिल होने लगे हैं। ये कार्यक्रम मौजूदा चुनौतियों का समाधान करते हुए, एक ऐसे नेतृत्व को बढ़ावा दे रहा हैं, जो स्थाई परिवर्तन का कारक बन सके।
बैसाखी घोष कहती हैं, “हमारी आवाज़ें मायने रखती हैं क्योंकि हम आज के निर्णयों के परिणामों के साथ अपना जीवन बिताएंगे। इस कार्यक्रम के ज़रिए, हम केवल अपनी बात नहीं कह रहे हैं; हम नेतृत्व के गुर सीख रहे हैं।”
एक बात तो स्पष्ट है – अपनी महत्वपूर्ण कहानियाँ कहते इन युवा रिपोर्टरों का काम, युवजन की शक्ति, समुदाय की ताक़त और उम्मीद नहीं खोने की अहमियत का प्रमाण है। ये न केवल पश्चिम बंगाल की कहानी बदल रहे हैं – बल्कि एक नई स्याही से अपना भविष्य दोबारा लिख रहे हैं।
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