
कोलकाता, (Kolkata) : पश्चिम बंगाल के दीघा में भगवा जगन्नाथ का मंदिर बनाया गया है। इस मंदिर का उद्घाटन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया। इस मंदिर का उद्घाटन होते ही राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है। मामला बंगाल बनाम ओडिशा का हो गया है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसे हिंदू भावनाओं को आहत करने वाला चुनावी हथकंडा करार दिया।
विवाद बढ़ा तो मंदिर का नाम बदलने की मांग हुई। अब ममता बनर्जी पर जगन्नाथ मंदिर की लकड़ियां चुराने का आरोप लगा है। गुस्साई ममता बनर्जी ने भी ओडिशा को जवाब दिया है। मामले में सियासत गरमा गई है।
पूर्व मेदिनीपुर जिले के दीघा में बनाया गया भगवान जगन्नाथ का मंदिर पुरी स्थित 12वीं शताब्दी के मंदिर की प्रतिकृति है। राज्य के भाजपा अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा कि पुरी का जगन्नाथ मंदिर सदियों पुराना और सबसे पवित्र है।
उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस अपने हिंदू विरोधी एजेंडे में असफल होकर अब सांस्कृतिक केंद्र को मंदिर बताकर जनता को गुमराह कर रही है।
विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया कि राज्य सरकार को मंदिर निर्माण का न तो संवैधानिक और न ही धार्मिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि अयोध्या राम मंदिर का निर्माण भी जनता के सहयोग से ट्रस्ट ने किया है, सरकार ने नहीं।
मंदिर निर्माण और दावे की शुरुआत:
दरअसल, बंगाल सरकार दीघा में एक भव्य जगन्नाथ मंदिर का निर्माण करवा रही है। ये मंदिर ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर की तर्ज पर बनाया जा रहा है। यहीं से विवाद की शुरुआत हुई. ओडिशा सरकार का कहना है कि भगवान जगन्नाथ की संस्कृति और परंपरा पर उनका एकाधिकार है और किसी अन्य राज्य को हूबहू उसी रूप में मंदिर बनाने का अधिकार नहीं है।
ओडिशा का तर्क:
ओडिशा सरकार का तर्क है कि जगन्नाथ संस्कृति ओडिशा की पहचान है और पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर सदियों से इस संस्कृति का केंद्र रहा है। उनका मानना है कि दीघा में उसी रूप में मंदिर का निर्माण करना, ओडिशा की सांस्कृतिक विरासत का अनादर है।
बंगाल का पक्ष:
वहीं, बंगाल सरकार का कहना है कि दीघा में बनने वाला मंदिर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है। उनका कहना है कि वे पुरी के मंदिर का सम्मान करते हैं और दीघा में बनने वाला मंदिर केवल एक पर्यटक आकर्षण होगा। बंगाल सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि वे किसी भी तरह से ओडिशा की जगन्नाथ संस्कृति को चुनौती नहीं दे रहे हैं और मंदिर का उद्देश्य केवल पर्यटन को बढ़ावा देना है।
विवाद के मुख्य बिंदु:
- डिजाइन की समानता: ओडिशा सरकार का सबसे बड़ा विरोध मंदिर के डिजाइन को लेकर है. उनका कहना है कि दीघा में बनने वाला मंदिर पुरी के मंदिर की हूबहू नकल है.
- सांस्कृतिक पहचान: ओडिशा सरकार का मानना है कि जगन्नाथ संस्कृति उनकी पहचान है और किसी अन्य राज्य को इसे हूबहू अपनाने का अधिकार नहीं है.
- पर्यटन बनाम संस्कृति: बंगाल सरकार का कहना है कि मंदिर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए है, जबकि ओडिशा इसे अपनी सांस्कृतिक विरासत पर अतिक्रमण मान रहा है.
धाम शब्द हटाने की मांग
दीघा में जगन्नाथ मंदिर के उद्घाटन के दौरान मुख्य पुजारी रहे रामकृष्ण दासमोहपात्रा ने भी पश्चिम बंगाल में नए मंदिर से जुड़े ‘जगन्नाथ धाम’ शब्द को हटाने की मांग की। उन्होंने यहां कहा, ‘मैं भी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से दीघा जगन्नाथ मंदिर से ‘धाम’ शब्द हटाने का अनुरोध करता हूं। मेरी समझ से पुरी ही एकमात्र स्थान है जिसे ‘जगन्नाथ धाम’ कहा जाता है।’
कानूनी लड़ाई की धमकी
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष देब ने कहा कि शास्त्रों के अनुसार केवल पुरी स्थित 12वीं शताब्दी के मंदिर को ही ‘जगन्नाथ धाम’ कहा जा सकता है। मैंने इस मामले पर मुक्तिमुंडुपा पंडित सभा की राय मांगी है। इधर कानून मंत्री ने पश्चिम बंगाल सरकार के खिलाफ कानूनी कदम उठाने की भी धमकी दी।
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