बंगाल : अवैध टोटो को लेकर हाइकोर्ट सख्त

कोलकाता। राज्य भर में अवैध टोटो (Toto) चलने के संबंध में 2014 से कलकत्ता उच्च न्यायालय में कई मामले दर्ज किए गए हैं। राज्य भर में अवैध रूप से चल रहे टोटो पर कोलकाता हाईकोर्ट ने जल्द फैसला करने की समय सीमा तय की। इसके तहत  अदालत ने राज्य परिवहन विभाग के सचिव को 22 फरवरी तक मामले की पूरी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है। प्रसंगतः अवैध टोटो को रोकने के अदालत के निर्देश का पालन नहीं किया गया है। इसी आरोप पर कोर्ट की अवमानना ​​का मामला दर्ज किया गया था। उस मामले के संदर्भ में अदालत का यह फैसला आया है। हाईकोर्ट के आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया?

राज्य भर में अवैध टोटो चलने के संबंध में 2014 से कलकत्ता उच्च न्यायालय में कई मामले दर्ज किए गए हैं। हुगली के श्रीरामपुर निवासी रीता मित्रा ने 2016 में केस दर्ज कराया था। सभी मामलों की एक साथ सुनवाई के लिए ग्रहण किया गया। 17 अगस्त 2016 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ज्योतिर्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि राज्य भर में अवैध टोटो चलने को 3 महीने के भीतर रोक दिया जाए। लेकिन उस निर्देश के बाद भी कोई करवाई नही हुआ। आवेदकों ने फिर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

इसके बाद 16 नवंबर 2018 को जस्टिस देबाशीष करगुप्ता की खंडपीठ ने फिर निर्देश दिया कि 31 मई 2019 तक सभी अवैध टोटो को बंद कर दिया जाए। लेकिन उसके बाद भी स्थिति नहीं बदली। फिर 5 अगस्त 2019 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश टी.एस. राधाकृष्णन की खंडपीठ ने फिर से निर्देश दिया कि इस साल 31 अगस्त तक सभी अवैध टोटो को बंद किया जाए।

परंतु माननीय अदालत के एक के बाद एक निर्देशों के बाद भी काम नही होने पर रीता मित्रा ने अदालत की अवमानना ​​का मामला दायर किया। क्योंकि अदालत के एक के बाद एक आदेश पर कार्रवाई नहीं की गई। मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी और न्यायमूर्ति कौशिक चंदर की खंडपीठ ने परिवहन विभाग के सचिव को अवैध टोटो पर राज्य सरकार द्वारा की गई कार्रवाई 22 फरवरी 2022 तक बताने का निर्देश दिया।

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