
- कट्टरपंथ और उग्रवाद बंगाल के लिए गंभीर चुनौती
- राष्ट्रपति शासन का विकल्प भी बताया
कोलकाता, (Kolkata) : पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने मुर्शिदाबाद जिले में हाल में हुए दंगों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें उल्लेख किया गया है कि ‘‘कट्टरपंथ और उग्रवाद की दोहरी समस्या” राज्य के लिए गंभीर चुनौती बन गई है। पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने रिपोर्ट को राजनीति से प्रेरित बताया, जबकि भाजपा ने रिपोर्ट की सराहना की।
रिपोर्ट में ‘‘संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत प्रावधानों” के उल्लेख के बारे में पूछे जाने पर एक अधिकारी ने बताया, ‘‘राज्यपाल ने अनुच्छेद 356 के कार्यान्वयन का प्रस्ताव नहीं दिया है। उनका मतलब यह था कि यदि राज्य में स्थिति और बिगड़ती है तो संविधान के अनुच्छेद 356 के प्रावधानों पर केंद्र विचार कर सकता है।”
राज्यपाल ने मुर्शिदाबाद हिंसा का प्रभाव राज्य के अन्य जिलों पर पड़ने की आशंका व्यक्त की और सिफारिश की कि केंद्र सरकार को ‘‘लोगों में कानून के शासन के प्रति विश्वास पैदा करने के अलावा मौजूदा स्थिति पर नियंत्रण रखने के लिए संवैधानिक विकल्पों पर विचार करना चाहिए।”
बोस ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘कट्टरपंथ और उग्रवाद की दोहरी समस्या पश्चिम बंगाल के लिए एक गंभीर चुनौती बन गई है, विशेषकर बांग्लादेश के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करने वाले दो जिलों- मुर्शिदाबाद और मालदा में। इन दोनों जिलों में प्रतिकूल जनसांख्यिकीय संरचना है और हिंदू अल्पसंख्यक हैं।”
राज्यपाल ने अपनी रिपोर्ट में कई उपाय सुझाए हैं
- हिंसा की पूरी जांच के लिए एक जांच आयोग का गठन किया जाना चाहिए।
- बांग्लादेश की सीमा से लगे जिलों में केंद्रीय बलों की चौकियां स्थापित होनी चाहिए।
- हालात बिगड़ने पर अनुच्छेद 356 के तहत प्रावधान. मतलब राष्ट्रपति शासन लागू करना।
बोस ने रिपोर्ट में कहा, ‘‘विभाजन इतना गहरा है कि हिंसा बढ़ने के बाद मुख्यमंत्री द्वारा बार-बार यह आश्वासन देना कि वह अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करेंगी और राज्य में इस कानून को लागू नहीं किया जाएगा, मुस्लिम समुदाय को शांत करने में मददगार साबित नहीं हुआ। यह जरूरी है कि कानून का शासन मजबूती से स्थापित हो और पुलिस को हिंसा को रोकना चाहिए।”
राज्यपाल ने हिंसा के बाद के हालात में उठाए जाने वाले कई उपाय सुझाए। इस हिंसा में एक व्यक्ति और उसके बेटे सहित कम से कम तीन लोगों की जान चली गई और कई लोग घायल हो गए। यह दंगा वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन के बीच हुआ था।
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