
कोलकाता। पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के राणाघाट ब्लॉक 1 स्थित हबीबपुर ग्राम पंचायत के पूर्व प्रधान गोपाल घोष पर गंभीर आरोप लगे हैं। आरोप है कि प्रधान पद पर रहते हुए उन्होंने लोक स्वास्थ्य तकनीकी (पीएचई) विभाग में सुरक्षा गार्ड के तौर पर नियमित वेतन लिया।
इस मामले में वर्तमान पंचायत प्रधान ने संबंधित विभाग को लिखित शिकायत दी है, जिसके बाद पीएचई विभाग ने गोपाल घोष से वेतन की वापसी की मांग की है। कैसे हुआ घोटाले का खुलासा?
तृणमूल नेता गोपाल घोष 2018 से 2023 तक हबीबपुर ग्राम पंचायत के प्रधान रहे। आरोप है कि इस दौरान उन्होंने पीएचई विभाग में रात्रि प्रहरी (सुरक्षा गार्ड) के रूप में वेतन प्राप्त किया और साथ ही प्रधान के रूप में मानदेय भी लिया।
सरकारी नियमों के अनुसार, कोई भी व्यक्ति एक ही समय पर दो सरकारी पदों से वेतन नहीं ले सकता, लेकिन गोपाल घोष पर अपने पद और प्रभाव का इस्तेमाल कर यह अनियमितता करने का आरोप है।
- विपक्ष ने तृणमूल पर साधा निशाना
जैसे ही यह मामला सामने आया, विपक्षी भाजपा ने इसे तृणमूल सरकार के भ्रष्टाचार का एक और उदाहरण बताया। भाजपा नेताओं ने मांग की है कि पूर्व प्रधान पर सख्त कानूनी कार्रवाई हो और सरकारी धन की वसूली सुनिश्चित की जाए।
- क्या कहते हैं अधिकारी?
पीएचई विभाग के अनुसार, पंचायत प्रधान के पद पर रहते हुए वेतन प्राप्त करना पूरी तरह से अवैध है। विभाग ने मामले की जांच शुरू कर दी है और अवैध रूप से दिए गए वेतन की वापसी की प्रक्रिया चल रही है।
- पूर्व प्रधान की चुप्पी
जब इस मामले पर गोपाल घोष से प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। अब यह देखना होगा कि क्या प्रशासन इस मामले में गोपाल घोष पर कोई कानूनी कार्रवाई करता है, या मामला सिर्फ आरोपों और राजनीतिक बहस तक ही सीमित रह जाता है?
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