कोलकाता : कांग्रेस और वामो गठबंधन बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे पर जनवरी के अंत तक निर्णय ले सकता है। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा कि इसे लेकर 25 व 28 जनवरी को महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है, जिसमें गठबंधन में शामिल कौन सी पार्टी कोलकाता समेत विभिन्न जिलों में कितनी मजबूत स्थिति में है, इसकी समीक्षा की जाएगी और उसके आधार पर सीटों के बंटवारे पर निर्णय लिया जाएगा। इसे लेकर वामो अध्यक्ष विमान बोस के साथ प्रदीप भट्टाचार्य की लंबी बातचीत भी हुई है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी बंगाल की 294 विधानसभा सीटों में से 130 सीटों पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार खड़ा करना चाहते हैं, जिस पर वामो नेताओं का एक वर्ग राजी नहीं है।
दूसरी तरफ, सूत्रों के हवाले से पता चला है कि राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता व कांग्रेस विधायक अब्दुल मन्नान अधीर रंजन चौधरी के पार्टी की चुनाव कमेटी के सदस्यों से सलाह-मशविरा किए बिना खुद से सीटों की मांग रखने को लेकर खफा हैं। ऐसे में प्रदेश कांग्रेस में व्याप्त अंदरूनी मतभेद एक बार फिर गहरा सकता है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के 28 जनवरी को होने वाली बैठक में शामिल होने की संभावना कम है, क्योंकि 29 जनवरी से लोकसभा का सत्र शुरू होने वाला है। वामदल भी अपनी पसंद की सीटों पर नजर गड़ाए हुए हैं।
विमान बोस का कहना है कहा कि वाममोर्चा में 16 राजनीतिक दल शामिल हैं, जो अपने हिसाब से सीटों की मांग कर सकते हैं। इनमें भाकपा (माले), राजद और एनसीपी जैसे राजनीतिक दल भी शामिल हैं। वाममोर्चा ने अब्बास सिद्दीकी के इंडियन सेक्युलर फ्रंट के साथ बातचीत का रास्ता भी खुला रखा है। वामो में शामिल फॉरवर्ड ब्लॉक उत्तर दिनाजपुर जिले की विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करना चाहती है।
फॉरवर्ड ब्लॉक के राज्य सचिव नरेंद्र सिन्हा ने कहा कि हमें उम्मीद है कि जल्दी हम किसी सर्वसम्मति पर पहुंच जाएंगे। फॉरवर्ड ब्लॉक के राज्य सचिव नरेंद्र चटर्जी ने कहा कि हमें उम्मीद है कि हम जल्द सर्वसम्मति से निर्णय पर पहुंच जाएंगे। हम सीटों को लेकर समझौता करने को तैयार हैं, लेकिन कांग्रेस व गठबंधन में शामिल अन्य राजनीतिक दलों को भी उसी तरह से उत्साह दिखाना होगा। आरएसपी के राज्य सचिव मनोज भट्टाचार्य ने कहा कि गठबंधन तैयार करना आसान होता है, लेकिन इसे कायम रखना और लोगों का विश्वास जीतना कठिन काम है।