वाराणसी। सादगी, पवित्रता और कोमलता की निशानी माने जाने वाला मोती एक चमत्कारी ज्योतिषीय रत्न माना जाता है। इसे मुक्ता, शीशा रत्न और पर्ल (Pearl) के नाम से भी जाना जाता है। मोती सिर्फ एक रंग का ही नहीं होता बल्कि यह कई अन्य रंगों जैसे गुलाबी, लाल, हल्के पीले रंग का भी पाया जाता है। मोती समुद्र के भीतर स्थित घोंघे नामक कीट में पाए जाते हैं।
📌 मोती के तथ्य : मोती के बारे में बताया जाता है कि यह रत्न, बाकी रत्नों से कम समय तक ही चलता है क्योंकि यह रत्न रूखेपन, नमी तथा एसिड से अधिक प्रभावित हो जाता है।
📌 प्राचीनकाल में मोती को सुंदरता निखारने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता था तथा इसे शुद्धता का प्रतीक माना जाता था।
📌 मोती के लिए राशि : कर्क राशि के जातकों के लिए मोती धारण करना अत्याधिक लाभकारी माना जाता है। चन्द्रमा से जनित बीमारियों और पीड़ा की शांति के लिए मोती धारण करना लाभदायक माना जाता है।

📌 मोती के फायदे : मोती धारण करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। जो जातक मानसिक तनाव से जूझ रहें हों उन्हें मोती को धारण कर लेना चाहिए।
📌 जिन लोगों को अपनी राशि ना पता हो या कुंडली ना हो, वह भी मोती धारण कर सकते हैं।
📌 स्वास्थ्य में मोती का लाभ : मानसिक शांति, अनिद्रा आदि की पीड़ा में मोती बेहद लाभदायक माना जाता है।
📌 नेत्र रोग तथा गर्भाशय जैसे समस्या से बचने के लिए मोती धारण किया जाता है।
📌 मोती, हृदय संबंधित रोगों के लिए भी अच्छा माना जाता है।
📌 संघटन : खनिज संघटन के दृष्टिकोण से मोती अरैगोनाइट नामक खनिज का बना होता है। इस खनिज के रवे विषम अक्षीय क्रिस्टल होते हैं। अरैगोनाइट वस्तुत: कैल्शियम कार्बोनेट है।
📌मोती के रासायनिक विश्लेषण से पता चला है कि इसमें 90-92 प्रतिशत कैल्शियन कार्बोनेट, 4-6 प्रतिशत कार्बनिक पदार्थ तथा 2-4 प्रतिशत पानी होता है।
📌 मोती अम्ल में घुलनशील होते हैं। तनु खनिज अम्लों के संपर्क में आने पर मोती खदबदाहट के साथ प्रतिक्रिया कर कार्बन डाईआक्साइड मुक्त करता है। यह एक कोमल रत्न है।
ज्योतिर्विद रत्न वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 99938 74848

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