झाड़ग्राम | 23 अक्टूबर 2025 : पश्चिम बंगाल के जंगलमहल क्षेत्र, विशेषकर झाड़ग्राम और बेलपहाड़ी, में बुधवार को पारंपरिक ‘बांधना पर्व’ बड़े उत्साह, श्रद्धा और सांस्कृतिक रंगों के साथ मनाया गया। यह पर्व भाईफोटा से ठीक पहले आता है और आदिवासी परंपरा, कृषि संस्कृति, और पशुधन के प्रति सम्मान का प्रतीक माना जाता है।
🐄 पशुधन की पूजा और सह-अस्तित्व का संदेश
- गायों और बैलों को नहलाकर, उनकी सींगों पर तेल और हल्दी लगाई गई
- दीपक जलाकर पूजा, घरों की दीवारों और आंगनों को गोबर और रंगों से सजाया गया
- अल्पना चित्रकला से द्वारों को सजाया गया
- यह पर्व मनुष्य और पशु के बीच आत्मीय बंधन को दर्शाता है
🎶 लोकगीत, नृत्य और उत्सव का माहौल
- ढाक-ढोल की थाप, लोकगीतों की गूंज, और महिलाओं की पारंपरिक वेशभूषा ने माहौल को उत्सवमय बना दिया
- महिलाएं गीत गाते हुए घर-घर घूमती नजर आईं
- ‘चोकपुरा’ और ‘गरहया पूजा’ जैसे अनुष्ठानों ने पर्व को और भी जीवंत बनाया
🏛️ प्रशासन और सांस्कृतिक संस्थाओं की भागीदारी
- झाड़ग्राम प्रशासन ने स्थानीय लोकसंस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए
- सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं ने कहा:
“बांधना पर्व केवल पूजा नहीं, बल्कि यह प्रकृति और जीवों के प्रति कृतज्ञता का त्योहार है।”
बेलपहाड़ी और आस-पास के गांवों में ढाक-ढोल, लोकगीत और नृत्य के साथ पूरे वातावरण में उत्सव का रंग घुल गया। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में गीत गाती हुईं घर-घर घूमती नजर आईं।
🌿 आदिवासी परंपरा में ‘बांधना’ का अर्थ
- ‘बांधना’ का अर्थ है बंधन, संबंध या जोड़ना
- संथाल, मुंडा और कुरमी समुदायों में यह पर्व प्रकृति देवता और पशुधन के प्रति सम्मान का सामाजिक उत्सव माना जाता है
- यह पर्व ग्रामीण बंगाल की आत्मा और जीवनशैली को दर्शाता है
आदिवासी परंपरा में ‘बांधना’ का अर्थ “बांधना” शब्द का अर्थ है — बंधन, संबंध या जोड़ना। इसका तात्पर्य है —मनुष्य और पशु के बीच का आत्मीय बंधन। संथाल, मुंडा, और कुरमी समुदायों में यह पर्व प्रकृति देवता और पशुधन के प्रति सम्मान का एक सामाजिक उत्सव माना जाता है।
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