
बालुरघाट :पश्चिम बंगाल में सुगंधित चावल के उत्पादन तकनीकी एवं व्यवसायीकरण पर 2 दिवसीय किसान जागरूकता कार्यक्रम उत्तर बंग कृषि विश्वविद्यालय (यूबीकेवी), मझियान के विस्तारित परिसर द्वारा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) पहल के वित्त पोषण से सफलतापूर्वक आयोजित किया गया।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को भौगोलिक संकेत (जीआई) के महत्व और उच्च मूल्य वाली सुगंधित चावल किस्मों की खेती के सर्वोत्तम तरीकों के बारे में शिक्षित करना था।
ख्य अतिथि, डॉ. प्रदीप डे ने पश्चिम बंगाल की दो प्रसिद्ध सुगंधित चावल किस्मों तुलाईपंजी और कालोनुनिया की समृद्ध विरासत पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे उनकी विशिष्ट सुगंध और विरासत को अब प्रतिष्ठित मान्यता द्वारा सुरक्षित रखा गया है।
डॉ. डे ने एक ऐसे भविष्य की कल्पना की, जहां किसान इस विरासत के संरक्षक के रूप में तथा बढ़े हुए आर्थिक पुरस्कारों से लाभान्वित होंगे।
उन्होंने कहा कि जीआई टैग से उनकी बाजार पहुंच का विस्तार होगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि उनकी उपज प्रामाणिकता और मूल्य दोनों में सबसे अलग दिखे।
इस विशिष्टता के साथ, ये सुगंधित अनाज न केवल परंपरा को संरक्षित करते हैं, बल्कि नए व्यावसायिक अवसर भी खोलते हैं जिससे कृषक समुदायों के लिए समृद्धि बढ़ती है।
उत्तर बंग कृषि विश्वविद्यालय के विस्तार शिक्षा निदेशक, डॉ. पी.के. पाल ने कृषि ब्रांडिंग और आर्थिक उत्थान में जीआई टैग के व्यापक महत्व पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में कुल 100 से अधिक किसानों ने भाग लिया, तथा सुगंधित चावल की वैज्ञानिक खेती, ब्रांडिंग तथा बाजार के अवसरों पर बहुमूल्य जानकारी प्राप्त की।
इस पहल ने अनुसंधान और व्यावहारिक अनुप्रयोग के बीच की खाई को सफलतापूर्वक पाट दिया तथा किसानों को बेहतर उत्पादकता एवं व्यावसायिक सफलता के लिए आवश्यक कौशल प्रदान किया।
- (स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता)
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