कोलकाता | 24 अक्टूबर 2025 : पश्चिम बंगाल के हरिघाटा से बीजेपी विधायक आसिम सरकार के एक विवादित बयान ने राज्य की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। उन्होंने कहा कि अगर विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत मतुआ समुदाय से नागरिकता मांगी गई, तो यह समुदाय बीजेपी को छोड़ेगा नहीं, बल्कि सवाल पूछेगा।
🧾 SIR क्या है?
- SIR (Special Intensive Revision) एक प्रक्रिया है जिसमें मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण किया जाता है
- विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया मतुआ समुदाय जैसे शरणार्थी समूहों को बाहर करने का प्रयास हो सकती है
- CAA (Citizenship Amendment Act) के तहत हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता देने का वादा किया गया था
🗣️ नेताओं की प्रतिक्रिया
- आसिम सरकार (बीजेपी विधायक, कवि): “अगर SIR के तहत मटुआ समुदाय से नागरिकता मांगी गई, तो वे चुप नहीं बैठेंगे”
- सामिक भट्टाचार्य (बीजेपी बंगाल अध्यक्ष): “आसिम सरकार भावुक व्यक्ति हैं, उन्होंने समुदाय के हित में बात की है” “CAA के तहत सभी हिंदुओं को नागरिकता दी जाएगी, बंगाल के लोग निश्चिंत रहें” “SIR जरूर होगा, कोई इसे रोक नहीं पाएगा”
- टीएमसी नेता जयप्रकाश मजूमदार ने कहा: “अगर SIR के तहत कोई वोटर छूटता है, तो बीजेपी को इसका राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ेगा”
🧭 मतुआ समुदाय की भूमिका
- मतुआ समुदाय बंगाल में राजनीतिक रूप से प्रभावशाली है, खासकर नदिया, उत्तर 24 परगना और दक्षिण बंगाल में
- CAA के वादे के बाद इस समुदाय ने बीजेपी को समर्थन दिया था
- अब SIR और दस्तावेज़ीकरण की अनिश्चितता से समुदाय में संदेह और असंतोष बढ़ रहा है
उन्होंने कहा कि जो बीजेपी नेता कह रहे हैं कि विधानसभा चुनावों से पहले बंगाल में SIR बीजेपी के लिए उल्टा पड़ेगा, वे सच्चे बीजेपी कार्यकर्ता नहीं हैं और वे बीजेपी की विचारधारा नहीं जानते हैं. SIR बंगाल में होगा और कोई भी इसे रोक नहीं पाएगा।
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