आषाढ़ गुप्त नवरात्रि इस वर्ष 26 जून, गुरुवार से प्रारंभ

मां दुर्गा इस बार डोली पर सवार होकर आ रही हैं
मां आद्यशक्ति की उपासना का विशेष पर्व है गुप्त नवरात्रि

वाराणसी। गुप्त नवरात्रि, मां आद्यशक्ति की साधना का अत्यंत शुभ और रहस्यमय पर्व है। इस वर्ष आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 26 जून 2025, गुरुवार से प्रारंभ हो रहे हैं। पंडित श्री मनोज कृष्ण शास्त्री जी ने बताया कि आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की अष्टमी 3 जुलाई (गुरुवार) को तथा महानवमी 4 जुलाई (शुक्रवार) को होगी।

शास्त्री जी ने बताया कि कलश स्थापना, ज्योति प्रज्वलन तथा देवी की साख लगाने का शुभ मुहूर्त 26 जून को प्रातः 05:11 से 07:26 तक है। इसके अतिरिक्त अभिजीत मुहूर्त में, प्रातः 11:56 से दोपहर 12:52 तक भी ये कार्य किए जा सकते हैं। वैसे तो यह संपूर्ण दिन पूजन कार्यों के लिए शुभ माना गया है।

गुप्त नवरात्रि तिथियाँ :
26 जून (गुरुवार) : प्रतिपदा – मां शैलपुत्री जी की पूजा, घटस्थापना।
27 जून (शुक्रवार) : द्वितीया – मां ब्रह्मचारिणी जी की पूजा।
28 जून (शनिवार) : तृतीया – मां चंद्रघंटा जी की पूजा।
29 जून (रविवार) : चतुर्थी – मां कुष्मांडा जी की पूजा।
30 जून (सोमवार) : पंचमी – मां स्कंदमाता जी की पूजा।
1 जुलाई (मंगलवार) : षष्ठी – मां कात्यायनी जी की पूजा।
2 जुलाई (बुधवार) : सप्तमी – मां कालरात्रि जी की पूजा।
3 जुलाई (गुरुवार) : अष्टमी – मां महागौरी जी की पूजा।
4 जुलाई (शुक्रवार) : नवमी – मां सिद्धिदात्री जी की पूजा और पारणा।

गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व : चैत्र और शारदीय नवरात्रि सर्वसामान्य रूप से प्रचलित हैं, परंतु गुप्त नवरात्रि विशेषतः तांत्रिक साधना, रहस्यमयी उपासना, और विशेष सिद्धियों की प्राप्ति के लिए माघ और आषाढ़ शुक्ल पक्ष में मनाई जाती हैं। इस अवधि में साधक मां दुर्गा के नव रूपों के साथ-साथ दस महाविद्याओं की उपासना करते हैं।
काली, तारा, षोडशी (त्रिपुरसुंदरी), भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला।

देवी आगमन का संकेत : देवी भागवत के अनुसार शशि-सूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे। गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकीर्तिता॥
इस श्लोक के अनुसार, गुरुवार और शुक्रवार को घटस्थापना होने पर माता डोली पर सवार होकर आती हैं। यह शुभता का प्रतीक है। इस बार घटस्थापना गुरुवार को हो रही है, अतः मां दुर्गा डोली पर आ रही हैं, जो सुख-शांति और समृद्धि का संकेत है।

पालन करने योग्य नियम :
ब्रह्मचर्य का पालन करें।
प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा, अंडा आदि तामसिक वस्तुओं से दूर रहें।
नाखून और बाल न काटें।
भूमि पर शयन करें।
चर्म-पदार्थों (चप्पल, बेल्ट, पर्स आदि) का प्रयोग न करें।
किसी भी प्रकार के पाप-कर्म व द्वेष की भावना से बचें।

सुझाव : इन दिनों में फलाहार, दुर्गा सप्तशती का पाठ, कन्या पूजन, दान-पुण्य तथा अपने आत्मबल और साधना को बढ़ाने के प्रयास अत्यंत लाभकारी होते हैं।

ज्योतिर्विद रत्न वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 99938 74848

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