
विश्व में दो नजरिए का आगाज- मेक इन इंडिया, मेक अमेरिका ग्रेट अगेन
ट्रंप के रेसिप्रोकल टैक्स कदम से ग्लोबल मार्केट में हड़कंप व अस्थिरता के माहौल से महंगाई बढ़ने की संभावना- अधिवक्ता के.एस. भावनानी
अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर फिर एक बार पूरी दुनिया को मानना पड़ेगा कि, क्यों अमेरिका को दुनिया के बादशाह की संज्ञा दी गई है। पिछले दिनों हमने देखे कि किस तरह रुस को मोहरा बनाकर यूक्रेन पर दबाव, फिर व्हाइट हाउस में ट्रंप ज़ेलेंसकी की शाब्दिक गर्माहट, अनेक देशों के तख्ता पलट यानी सत्ता की चाबी, इसका नतीजा जेलेंस्की द्वारा 5 मार्च 2024 को रुस से युद्ध समाप्त करने की हामी भरी और एक चिट्ठी लिखकर इशारा सहित, इसके पहले अप्रवासियों को बाहर का रास्ता दिखाना सहित अनेक कठोर कदमों के साथ दिनांक 5 मार्च 2024 को अमेरिकी कांग्रेस को ट्रंप प्रशासन-2 का पहला संबोधन हुआ, जिसमें पाकिस्तान की तारीफ, वैश्विक मुद्दों की चर्चा, मेक अमेरिका ग्रेट अगेन को ध्यान में रखते हुए भारत, चीन सहित अनेकों देशों पर रेसिप्रोकल टैक्स 2 अप्रैल 2025 को लागू करने की घोषणा की, अर्थात जो देश जितना टैक्स इंपोर्ट पर लगता है उतना ही रिसिप्रोकल टैक्स उसके एक्सपोर्ट पर भी लगाई जाएगी, इसीलिए अनेक देशों में खलबली मची हुई है।
अनेक चीजों पर भारत-अमेरिका एक दूसरे पर निर्भर हैं अगर दोनों एक दूसरे पर उतना टैक्स लगा देंगे तो अत्यधिक महंगाई हो जाएगी। जिसका सीधा असर आम जनता पर पड़ेगा। ठीक वैसी ही स्थिति अमेरिका के पास भी उत्पन्न होगी खासकर भारत को, फार्मास्यूटिकल प्रौद्योगिकी सहित अनेक क्षेत्रों में अमेरिका के साथ व्यापार होता है जो अमेरिका वालों को सस्ता लगता है। इसलिए वे भारतीय चीजों को रिस्पांस देते हैं, परंतु अब इस पर रेसिप्रोकल टैक्स लगने से भारतीय उद्योगों को एमएसएमई सहित जो एक्सपोर्ट करते हैं उनकी बहुत अधिक फजीहत होने की संभावना है, क्योंकि उनका माल अमेरिका नहीं जा सकेगा।
कारण अमेरिका जो भी जो माल आएगा उस पर भी टैरिफ लगाए आने से इसकी कीमतें बढ़ जाएगी, जिसका अल्टीमेटली फर्क उपभोक्ताओं को ही पड़ेगा, क्योंकि वह चीजें महंगी होंगी तो लोगों की जेब से अधिक पैसे खर्च होंगे। इसलिए वे भारतीय चीजें लेना बंद कर देंगे। ट्रंप का मानना है कि इसके दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे। मेरा मानना है इसका असर अमेरिका सहित अनेक देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर भी पड़ सकने की संभावना है। क्योंकि विश्व में दो नजरिए का आगाज चल रहा है, मेक इन इंडिया तथा मेक अमेरिका ग्रेट अगेन इसलिए आज मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, अमेरिका का रेसिप्रोकल टैक्स बम 2 अप्रैल 2025 से लागू होगा, भारत चीन सहित अनेकों देशों में खलबली मचना तय होने की संभावना?
साथियों बात अगर हम ट्रंप द्वारा भारत सहित कुछ देशों पर 2 अप्रैल 2025 से रेसीप्रोकल टैक्स लगाने की घोषणा करने की करें तो, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत को रेसिप्रोकल ट्रैरिफ लगाने की बात को दोहराया है, उन्होंने कहा कि भारत, चीन सहित दुनिया के कई देशों पर 2 अप्रैल से रेसिप्रोकल ट्रैरिफ लगाया जाएगा। इससे पहले कनाडा और मैक्सिको पर 25 प्रतिशत और चीन पर लगे 10 प्रतिशत ड्यूटी को बढ़ाकर 20 प्रतिशत लागू कर दिया था, ट्रंप के इस कदम से ग्लोबल मार्केट में अस्थिरता देखी जा रही है। दरअसल, ट्रंप 5 मार्च 2025 को कांग्रेस के ज्वाइंट सेशन को संबोधित कर रहे थे, उन्होंने इस दौरान अमेरिका रिच अगेन का आह्वान करते हुए इसका ऐलान किया, उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि दूसरे देशों की ओर से अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिसेस को रोकने के लिए यह बेहद जरूरी कदम है।
यह फैसला अमेरिका की इंडस्ट्रीज और वर्कर्स को प्रोटेक्ट करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस वजह से 2 अप्रैल 2025 से लागू होगी नई टैरिफ पॉलिसी, ट्रंप ने कहा, यह सिस्टम संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए सही नहीं है और न ही कभी था। वे हम पर जो भी ड्यूटी लगाएंगे, हम उन पर शुल्क लगाएंगे। यदि वे हमें अपने मार्केट से बाहर रखने के लिए गैर-मौद्रिक बाधाएं डालते हैं, तो हम भी ऐसा ही करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि ट्रैरिफ 2 अप्रैल से क्यों लागू किया जाएगा। ट्रंप ने मजाक तौर पर कहा कि पहले 1 अप्रैल से यह नीति लागू होने वाली थी, लेकिन इसे एक दिन आगे इसलिए टाल दिया गया कि इसे अप्रैल फूल न करार दिया जाए! बता दें कि ट्रंप की नई ट्रैरिफ नीति कनाडा, मैक्सिको, चाइना, यूरोपीय संघ और भारत सहित कई दिग्गज ट्रेड पार्टनर्स पर लागू होगी।
साथियों बात अगर हम रेसिप्रोसिल टैक्स से भारत को असर पढ़ने की संभावना की करें तो, बता दें कि अमेरिकी रेसिप्रोकल पॉलिसी का भारत पर गहरा असर पड़ेगा। इससे भारत के कई सेक्टरों को भारी नुकसान झेलने की आशंका है, दअसल, भारत अमेरिका को जेनेरिक मेडिसीन को एक्सपोर्ट करता है, जिससे भारत की दवा कंपनियों को मोटी आमदनी होती है, ऐसे में टैरिफ नीति से फार्मास्युटिकल कंपनियों को भारी नुकसान होगा। इसके अलावा, आईटी सेक्टर पर भी गहरा नुकसान होने की उम्मीद है। ट्रंप यह कदम भारत की आईटी कंपनियों के लिए मुसीबत बन सकता है। इन्हें अमेरिका में प्रोजेक्ट्स मिलने में बाधा आएगी, इसके अलावा, ऑटोमोबाइल, मेटल सहित कई सेक्टरों को नुकसान होने की आशंका है।
क्या होता है रेसिप्रोकल टैरिफ? रेसिप्रोकल टैरिफ का मतलब जब किसी देश को अन्य देश से एक्सपोर्ट और इंपोर्ट पर समान टैरिफ चुकाना पड़ता है तो उसे रेसिपोकल टैरिफ कहा जाता है। समझने के लिए मान लीजिए कि अगर अमेरिका भारत से ऑटो सेक्टर के सामान इंपोर्ट करता है और उसे 25 प्रतिशत का टैरिफ देना पड़ता है तो, भारत को भी अमेरिका से ऑटो सेक्टर के सामान इंपोर्ट करने पर 25 प्रतिशत का टैरिफ देना होगा। ट्रंप का रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करने के पीछे का मकसद अमेरिका एक्सपोर्ट के साथ उचित व्यवहार सुनिश्चित करना है, जो अप्रत्यक्ष रूप से उन पार्टनर देशों को भी संबोधित करता है, जो यूएस ट्रेड को असंतुलित करते हैं। नुमोरा ने एक कॉमन ट्रेंड को हाईलाइट करते हुए कहा कि अमेरिका से ट्रांसपोर्ट और एग्रीकल्चर सेक्टर के प्रोडक्ट इंपोर्ट करने पर बहुत ज्यादा टैरिफ है।
साथियों बात अगर हम दिनांक 5 मार्च 2024 को ट्रंप ने अमेरिकी कांग्रेस ट्रंप-2 शासन के प्रथम अधिवेशन के संबोधन में मुख्य 10 बातों की करें तो, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2 अप्रैल से भारत पर जैसा को तैसा टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि भारत हमसे 100 प्रतिशत से ज्यादा टैरिफ वसूलता है, हम भी अगले महीने से ऐसा ही करने जा रहे हैं। उन्होंने रिकॉर्ड 1 घंटा 44 मिनट का भाषण दिया। अपने पिछले कार्यकाल में उन्होंने सिर्फ 1 घंटे का भाषण दिया था। ट्रम्प ने भाषण की शुरुआत अमेरिका इज बैक, यानी ‘अमेरिका का दौर लौट आया है’ से की। ट्रम्प ने कहा कि उन्होंने 43 दिन में जो किया है वह कई सरकारें अपने 4 या 8 साल के कार्यकाल में नहीं कर पाई थी। राष्ट्रपति ट्रम्प के पहले भाषण की 10 अहम बातें।
(1) जैसे को तैसा टैरिफ : 2 अप्रैल से जैसे को तैसा टैरिफ लागू होगा। दूसरे देश हम पर भारी टैरिफ और टैक्स लगाते हैं, अब हमारी बारी है। अगर कोई कंपनी अमेरिका में प्रोड्क्ट नहीं बना रही है तो उसे टैरिफ देना होगा।
(2) यूक्रेन जंग : जेलेंस्की जल्द से जल्द यूक्रेन जंग खत्म करने को लेकर बातचीत के लिए आने को तैयार हैं। हमने रूस के साथ गंभीर बातचीत की है। हमें मॉस्को से मजबूत संकेत मिले हैं कि वे शांति के लिए तैयार हैं।
(3) अप्रवासी मुद्दा : पिछले चार साल में 2.1 करोड़ लोग अवैध रूप से अमेरिका में घुसे हैं। हमारी सरकार ने अमेरिकी इतिहास में सबसे बड़ा बॉर्डर और इमिग्रेशन क्रैकडाउन शुरू किया है।
(4) जो बाइडेन : बाइडेन अमेरिकी इतिहास के सबसे खराब राष्ट्रपति हैं। उनके कार्यकाल में हर महीने लाखों अवैध लोग देश में दाखिल हुए। उनकी नीतियों के चलते देश में महंगाई बढ़ी।
(5) गोल्ड कार्ड वीजा : हम गोल्ड कार्ड वीजा सिस्टम लाने जा रहे हैं। यह ग्रीन कार्ड की तरह है, लेकिन उससे ज्यादा एडवांस है। इससे बड़ी संख्या में नौकरियां पैदा होंगी और कंपनियों को फायदा होगा।
(6) पनामा नहर और ग्रीनलैंड : हम किसी भी तरह पनामा नहर पर कंट्रोल हासिल करेंगे। इसके साथ ही हम किसी भी तरह ग्रीनलैंड को अपने में शामिल करेंगे। हम वहां के लोगों की हिफाजत करेंगे।
(7) इलॉन मस्क और DoGE : इलॉन मस्क के DoGE विभाग ने पिछली फेडरल सरकार के कई घोटालों को उजागर किया है। मस्क को ये विभाग बनाने की कोई जरूरत नहीं थी, लेकिन उन्होंने देश के लिए ऐसा किया।
(8) फ्री स्पीच : हमने सरकारी सेंसरशिप पूरी तरह रोक दी है और अमेरिका में फ्री स्पीच वापस ले आए हैं। हमने ऐसे सरकारी तंत्र को खत्म कर दिया है जिसका इस्तेमाल हथियार के तौर पर किया जाता है।
(9) तेल और गैस : अमेरिका के पास दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा ‘लिक्विड गोल्ड’ (तेल और गैस) है। हम अलास्का में बहुत बड़ी प्राकृतिक गैस पाइपलाइन बिछाएंगे। इसमें कई देश अरबों रुपए निवेश करना चाहते हैं।
(10) स्पेस प्रोग्राम : हम विज्ञान की नई सीमाओं को पार करेंगे, इंसान को अंतरिक्ष में आगे ले जाएंगे और मंगल ग्रह पर अमेरिकी झंडा फहराएंगे। हम दुनिया की सबसे उन्नत और शक्तिशाली सभ्यता का निर्माण करेंगे।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अमेरिका का रेसिप्रोकल टैक्स बम 2 अप्रैल 2025 से लागू- भारत चीन सहित अनेक देशों में खलबली मची। विश्व में दो नजरिए का आगाज- मेक इन इंडिया, मेक अमेरिका ग्रेट अगेन। ट्रंप के रेसिप्रोकल टैक्स कदम से ग्लोबल मार्केट में हड़कंप व अस्थिरता के माहौल से महंगाई बढ़ने की संभावना।
(स्पष्टीकरण : उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। यह जरूरी नहीं है कि कोलकाता हिंदी न्यूज डॉट कॉम इससे सहमत हो। इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है।)
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