प्रतीकात्मक फोटो, साभार : गूगल

कोलकाता : बंगाल सरकार ने सभी धर्मों के पूजा स्थलों को सोमवार से फिर से खोलने की अनुमति दे दी है लेकिन विभिन्न धार्मिक संस्थानों के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें और समय की जरूरत है, जिससे वे आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था स्थापित कर सकें। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक जून से राज्य के सभी धार्मिक संस्थानों को फिर से खोलने की घोषणा की थी।

हालांकि इस अनुमति में एक शर्त भी है कि एक बार में केवल 10 लोग ही धार्मिक स्थल के अंदर जा सकते हैं। कोरोना वायरस पर काबू के लिए लॉकडाउन लागू होने के बाद 25 मार्च से सभी धार्मिक प्रतिष्ठान बंद हैं। कोलकाता के प्रसिद्ध दक्षिणेश्वर मंदिर के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें सुरक्षा निर्देशों का पालन करने और स्वच्छता की व्यवस्था करने के लिए कुछ समय की आवश्यकता होगी।

मंदिर के ट्रस्टी और सचिव कुशाल चौधरी ने कहा कि हमें प्रशासन के परामर्श से एक तंत्र स्थापित करना होगा। सुरक्षा से जुड़े कई मुद्दे हैं। हमें मंदिर खोलने से पहले इन कारकों को ध्यान में रखते हुए एक प्रणाली तैयार करनी होगी। बेलूर मठ (रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन) के एक प्रवक्ता ने कहा, ”मंदिर परिसर को 15-20 दिनों से पहले नहीं खोला जा सकता है। हम सभी सावधानी बरतने और स्थिति का आकलन करने के बाद अगले चरण के बारे में फैसला करेंगे।

बीरभूम जिले में स्थित सदियों पुराने काली मंदिर और शक्ति पीठ तारापीठ मंदिर समिति के सदस्य तारानाथ मुखोपाध्याय ने कहा कि ‘हम 14 जून को स्थिति का आकलन करेंगे और उसके अनुसार निर्णय लेंगे।’ बंगाल इमाम एसोसिएशन ने एक बयान में कहा कि उसने 26,000 मस्जिद समितियों को तब तक इंतजार करने के लिए कहा है।

जब तक कि किसी धार्मिक संस्थान में दस लोगों को अनुमति देने के मुख्यमंत्री के बयान पर स्थिति स्पष्ट नहीं हो जाए। निकाय के अध्यक्ष मोहम्मद याहिया के हस्ताक्षर वाले बयान में कहा गया है कि तीन-चार लोगों के साथ मस्जिदों में नमाज़ जारी रहेगी। हमें कुछ और समय तक स्थिति पर गौर करने की ज़रूरत है। नमाज़ रोकने का हमारा कोई इरादा नहीं है।

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