AIUTUC ने बैंक के निजीकरण पर जताया विरोध

तारकेश कुमार ओझा, कोलकाता। काफी विचार-विमर्श के बाद तय हुआ कि आईडीबीआई बैंक को बेचा जाएगा। इसी के तहत केंद्र सरकार ने सभी प्रक्रियाएं शुरू कर दी हैं। इच्छुक खरीदारों से आशय पत्र मांगे जा रहे हैं। कहा गया है कि हिस्सेदारी की खरीद के साथ-साथ संबंधित खरीदार को आईडीबीआई बैंक की प्रबंधन राशि भी मिलेगी। केंद्र की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक बैंक में 60.72 फीसदी हिस्सेदारी निजी क्षेत्र को सौंपी जाएगी। इसमें से 30.48% सरकार के पास है और 30.24% जीवन बीमा निगम या एलआईसी के पास है। गौरतलब है कि एक साल पहले केंद्र ने आईडीबीआई बैंक के 49.24% शेयर सरकारी जीवन बीमा निगम को बेचे थे।

वर्तमान में आईडीबीआई बैंक में केंद्र की कुल 45.48% हिस्सेदारी है। शेष शेयरों का 5.2% सामान्य निवेशकों के पास है। बैंक में 60.72% हिस्सेदारी बेचने के बाद, केंद्र और जीवन बीमा निगम के पास कुल 34% हिस्सेदारी होगी। वर्तमान में आईडीबीआई के प्रत्येक शेयर की कीमत 42.70 रुपये के करीब है। उसके अनुसार, 60.72% को 27,800 करोड़ रुपये से अधिक में बेचा जाना चाहिए।

अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी एकता फोरम और केंद्रीय ट्रेड यूनियन AIUTUC (ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर) ने केंद्र के फैसले का कड़ा विरोध किया। फोरम के महासचिव जगन्नाथ राय मंडल के अनुसार निजी बैंकों का इतिहास अज्ञात नहीं है। पिछली शताब्दी के मध्य में, कई निजी बैंकों को लाल बत्ती दी गई थी और कई लोगों ने अपनी मेहनत की कमाई को भिखारियों में बदल दिया था। बैंक कर्मचारियों की समय से पहले नौकरी चली गई। केंद्र सरकार बैंकिंग उद्योग को वापस उस काले घेरे में खींचने की कोशिश कर रही है। उन्होंने बैंक कर्मचारियों सहित सभी कामकाजी लोगों से आगे आकर इसके खिलाफ आंदोलन शुरू करने का आग्रह किया।

AIUTUC के अखिल भारतीय महासचिव ने एक प्रेस बयान में केंद्र सरकार की इस कार्रवाई का कड़ा विरोध किया और कहा कि केंद्र सरकार धीरे-धीरे विभिन्न सरकारी और राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों जैसे रेलवे, बीमा, बिजली, कोयला और इस्पात का निजीकरण कर रही है। यह उसी का हिस्सा है जिसने पहल की।कहने की जरूरत नहीं है कि राज्य के स्वामित्व वाले बैंकों की विशाल जमा राशि औद्योगीकरण सहित राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

कुल मिलाकर बैंकिंग उद्योग एक लाभदायक क्षेत्र है और आम लोगों को भी अपना पैसा राज्य के स्वामित्व वाले बैंकों में रखना ज्यादा सुरक्षित लगता है। सरकारी बैंकों का इस तरह निजीकरण कर सरकार इजारेदार पूंजीपतियों को लोगों का पैसा लूटने की खुली छूट दे रही है। इससे समग्र बैंकिंग प्रणाली और देश की अर्थव्यवस्था कमजोर होगी। उन्होंने आईडीबीआई बैंक के सभी कर्मचारियों सहित जीवन के सभी क्षेत्रों के मेहनतकश लोगों से एकजुट होकर भाजपा सरकार के इस जनविरोधी कदम के खिलाफ एक स्थायी आंदोलन खड़ा करने का आह्वान किया।

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