मधुमय देश और काव्य संध्या कार्यक्रम में देश प्रेम की रचनाओं और गीतों की गंगा बही

कोलकाता। नई पीढ़ी और राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन इंडिया लेडिज विंग कोलकाता के संयुक्त तत्वावधान में ‘मधुमय देश और काव्य संध्या’ में कोलकाता के प्रसिद्ध कवि साहित्यकारों ने हिस्सा लिया। कोलकाता के वाजा अध्यक्ष छपते छपते दैनिक समाचार पत्र और ताजा टीवी के डायरेक्टर और वरिष्ठ संपादक विश्वंभर नेवर ने कहा कि वाजा द्वारा आयोजित इस प्रकार के मधुमय देश पर कार्यक्रम हिंदी भाषा और साहित्य को बढ़ावा देते हैं।

हमारा भारत विविधता में एकता का देश रहा है। आज हम धर्मांधता, विद्वेषता आदि मानवता विरोधी विषयों में फंसते जा रहे हैं। हमें भारतीय मूल्यों और आदर्शों को फिर से वापस लाने की आवश्यकता है। यह कार्यक्रम देश के प्रति समर्पित भाव को प्रदर्शित करने वाला है।

नई पीढ़ी पत्रिका के संपादक और वाजा के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष युवा पत्रकार शिवेंद्र प्रकाश द्विवेदी के निर्देशन में पूरे देश में 15 से अधिक शाखाएं रचनात्मक कार्य कर रही हैं जहाँ हिंदी भाषा के साथ साहित्य और वैचारिक आदान-प्रदान होता है।

उत्तर प्रदेश से पधारी अतिथि गीतकार और साहित्यकार डॉ. रचना तिवारी ने गीत ‘चलो चलो इक दुनिया की तुमको सैर कराते हैं’ सुनाकर भारत के गांव की पूरी तस्वीर खिंच दी। देशवासियों और युवाओं के लिए प्रेरणादायक रही। राष्ट्रीय कवयित्री, गीतकार, साहित्यकार डॉ. रचना तिवारी ने कविता और गीत सुनाकर अपने देश के विकास में योगदान दिया।

कोलकाता के कवि साहित्य प्रेमी बिशन सिखवाल ने कविता ‘संवेदना हुई लाचार मार्फत दूरसंचार’ सुनाई। जगजीत सिंह का लोकप्रिय गीत ‘कागज की कश्ती और बारिश का पानी’ सुनाकर कार्यक्रम को सुगम और सबके हृदय की बात से जुड़ गए। रानी बिड़ला गर्ल्स कॉलेज की पूर्व एसोसिएट प्रो. डॉ. सुषमा हंस ने स्वरचित कविता ‘वीर सपूतों को नमन’ सुनाकर शहीदों को नमन किया।

शिक्षिका और मनोवैज्ञानिक काउंसलर कविता कोठारी ने देश से संबंधित देश भक्ति से भरे गीतों की एक पैरोडी ‘जहांँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा वह भारत देश है मेरा’ सुनाकर सभी सदस्यों को देश प्रेम से भर दिया और भूल गए हो शायद पहले भी मु़ँह की खाए थे/आँखें डाली थी हम पर लोहे के चने चबाए थे’ कविता सुनाकर दुश्मन को चेतावनी दी।

हिंदी अधिकारी बी. अरुणा ने भारत माता पर’ यूं ही नहीं मिली आजादी’ बहुत ही सार्थक कविता और एक देश भक्ति गीत सुनाया। डॉ. मंजूरानी गुप्ता ने संवेदनशील और मार्मिक ‘दमकता चेहरा’ कविता सुनाकर बॉर्डर की रक्षा करने वाले प्रहरी की भूमिका को महत्वपूर्ण माना।

पश्चिम बंगला हिंदी अकादमी की सदस्य और संयोजक रचना सरन ने देशभक्ति पर आधारित गीत ‘खुदा मेरे जज्बों को ऐसी हवा दे…मेरे खून का हर ओर एक कतरा बिछा दे’ सुनाकर देशवासियों को देशप्रेम के लिए जागरूक किया और नारी शक्ति पर एक कविता ‘नारी अपने गहनों को खंजर बना दे’ सुनाई। अतिथि कवयित्री भारती मिश्रा ने सिंदूर आप्रेशन पर कविता ‘सिंदूर पर प्रहार’ समसामयिक गीत प्रस्तुत किया।

डॉ. सुषमा हंस ने स्वरचित कविता ‘वीर सपूतों को नमन’ कविता के द्वारा आतंकवादियों को चुनौती दी। अतिथि कवयित्री रीमा पाण्डेय ने कृष्ण घनश्याम से देश को बचाने की गुहार लगाते हुए भावों से भरी गजल सुनाई। वाजा अध्यक्ष डॉ. वसुंधरा मिश्र ने ‘देश की वीरांगना’ पर स्वरचित कविता सुना कर वीर और वीरांगना दोनों को नमन किया।

नई पीढ़ी के संपादक शिवेंद्र प्रकाश द्विवेदी ने देश के लिए कविता को आवश्यक बताया। धन्यवाद ज्ञापन भी किया। वाजा की अध्यक्ष कवयित्री और लेखिका डॉ. वसुंधरा मिश्र ने कार्यक्रम का संयोजन और संचालन किया, वीरांगना पर अपनी स्वरचित कविता भी सुनाई। आनलाईन हुए इस कार्यक्रम में काफ़ी संख्या में साहित्यकार और वाजा के सभी सदस्यों की उपस्थिति रही।

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