खड़गपुर। आईआईटी खड़गपुर में शनिवार को भारतीय ज्ञान प्रणाली उत्कृष्टता केंद्र के तत्वावधान में “आत्मान्वेषण यात्रा नामक एक भव्य एवं आध्यात्मिक नाट्य प्रस्तुति का आयोजन किया गया। नेताजी सभागार में आयोजित यह कार्यक्रम भारतीय दर्शन और आधुनिक अभियांत्रिकी शिक्षा के अद्भुत संगम का प्रतीक रहा।
यह पांच घंटे का कार्यक्रम (सुबह 8:30 बजे से दोपहर 1:45 बजे तक) डॉ. ऋचा चोपड़ा, कोर फैकल्टी एवं पाठ्यक्रम की अध्यापिका के निर्देशन में प्रस्तुत किया गया।
छात्रों ने किया उपनिषदों का सजीव अभिनय समुद्री अभियांत्रिकी, रासायनिक, यांत्रिक, एयरोस्पेस, सिविल तथा कृषि एवं खाद्य अभियांत्रिकी समेत विभिन्न विभागों के कुल 68 छात्रों ने इसमें भाग लिया।

छात्रों ने उपनिषदों के गूढ़ संदेशों को नाट्य, संगीत और अभिनय के माध्यम से जीवन्त रूप में प्रस्तुत किया, जिसे दर्शकों ने उत्साहपूर्ण तालियों के साथ सराहा। आध्यात्मिक शुरुआत और प्रेरक प्रवचन कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और वैदिक संस्कृत मंत्रोच्चारण से हुई, जिससे सभागार का वातावरण आध्यात्मिक हो उठा।
रामकृष्ण मठ, बेलूर के स्वामी विद्याप्रदानानंद जी महाराज ने आशीर्वचन दिए और समापन सत्र में “उपनिषदों की आधुनिक जीवन में प्रासंगिकता” विषय पर प्रेरक प्रवचन प्रस्तुत किया।
शिक्षाविदों और संस्थागत प्रतिनिधियों की गरिमामयी उपस्थिति में इस अवसर पर आईआईटी खड़गपुर के निदेशक प्रो. सुमन चक्रवर्ती, डीन (प्रशासन) प्रो. के. एल. पाणिग्रही, सीओई- आईकेएस के अध्यक्ष प्रो. अरिजीत दे समेत अनेक वरिष्ठ प्रोफेसर एवं विभिन्न संस्थानों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
प्रो. सुमन चक्रवर्ती ने कहा कि “आत्मान्वेषण यात्रा केवल एक नाट्य प्रस्तुति नहीं, बल्कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की उस भावना का साकार रूप है, जो बहुआयामी और समग्र शिक्षा की दिशा में अग्रसर है। हमारा उद्देश्य केवल तकनीकी दक्ष अभियंता तैयार करना नहीं, बल्कि नैतिक, संवेदनशील और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध व्यक्तित्व विकसित करना है।”
छात्रों की रचनात्मकता की सराहना डीन (प्रशासन) प्रो. के.एल. पाणिग्रही ने छात्रों की समर्पण भावना और रचनात्मकता की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह प्रस्तुति विद्यार्थियों के भीतर छिपे संस्कार, अनुशासन और सौंदर्यबोध का उत्कृष्ट प्रमाण है।
देशभर से 200 से अधिक प्रतिनिधि हुए सहभागी आईआईटी मंडी, आईआईटी (आईएसएम) धनबाद, आईआईटी गुवाहाटी, एनआईटी जमशेदपुर, एनआईटी राउरकेला तथा एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय, झारग्राम (रामकृष्ण मिशन अंतर्गत) सहित देश के दस से अधिक संस्थानों के 200 से अधिक प्रतिनिधियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।
डॉ. ऋचा चोपड़ा के प्रति विशेष आभार कार्यक्रम के अंत में डॉ. ऋचा चोपड़ा को आईआईटी समुदाय की ओर से धन्यवाद ज्ञापित किया गया। उनके इस प्रयास ने तकनीकी शिक्षा में भारतीय दर्शन की जीवंतता को पुनर्स्थापित करने की दिशा में एक नया अध्याय जोड़ा है।
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