डी.पी. सिंह की रचनाएं…
घोषित की मी लॉर्ड ने, जायज़ वेश्यावृत्ति भुगतेगा यह देश अब, इनकी नीच प्रवृत्ति इनकी
डीपी सिंह की रचनाएं
पल में प्रसन्न हो के, भूल क्षमा करते हैं ऐसे भोले भण्डारी के चरणों में
राजीव कुमार झा की कविता – मां
।।मां।। राजीव कुमार झा रोज जिंदगी की छाया को लेकर कर किरणों की मुस्कान समेटे
राजीव कुमार झा की कविता : ध्रुवतारा
।।ध्रुवतारा।। राजीव कुमार झा दोस्ती से भी बड़ी जो चीज़ है यारो! भरोसा तोड़ कर
राजीव कुमार झा की कविता : समय का सूरज
।।समय का सूरज।। राजीव कुमार झा वह गीत लिखता गुनगुनाता कभी खुद के पास जब
कहता है श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’- ग़म को गोली मारो
।।ग़म को गोली मारो।। गम को देखते ही गोली मार दो दुख को कहकहों से
डीपी सिंह की रचनाएं…
महाराणा के प्रताप का न झेल पाये ताप मुगलों के बार-बार मुँह काले हो गये
सौमेन रॉय की रचना : आस्था
।।आस्था।। वो क्या जाने तुम्हारी कीमत तुम तो हो अनमोल कीमती हो जानते हैं वह
डीपी सिंह की रचनाएं…
।।आह्वान।। सभ्यता प्राचीनतम, संस्कृति का परचम लहराता जग में हमारा हिन्दुस्थान है हिमगिरि ताज है
डीपी सिंह की रचनाएं…
।।माँ।। सोच रहा हूँ, खोज करूँ इक ऐसे वाई-फ़ाई की एसी में जो ठण्डक ला