डीपी सिंह की रचनाएं
आज़ादी का स्वप्न दिखाकर काम किया नादानी का ठगते रहे ओढ़कर चोला अब तक वो
डीपी सिंह की रचनाएं
मक्खी मच्छर वाइरस, बारिश में सुख पायँ दरवाजे खिड़की सभी, फूले नहीं समायँ फूले नहीं
डीपी सिंह की रचनाएं
मद्य घोटाले की चर्चा आम जन में क्या गई शह्र के मालिक की सूरत जाने
डीपी सिंह की रचनाएं
हँसी तो द्रौपदी की कौरवों का बस बहाना था उन्हें नामो-निशां ही पाण्डु- पुत्रों का
डीपी सिंह की रचनाएं
ज़ुबां कड़वी है, मीठी, तो कभी अनमोल मोती है ये जब मुँह में नहीं होती,
सुधीर सिंह की कविता : मेरा भारत महान
।।मेरा भारत महान।। सुधीर सिंह तु ही मेरा सपना तु ही मेरी जान हैं प्यार
पारो शैवालिनी की कविता : क्या यह अच्छा नहीं होता
।।क्या यह अच्छा नहीं होता।। पारो शैवलिनी क्या यह अच्छा नहीं होता आजादी के इस
गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा की कविता : ‘भूल गया’
।।भूल गया।। गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा मोबाइल पर मैसेज लिखते-लिखते खत लिखना ही भूल गया,
डीपी सिंह की रचनाएं
आज तलक जो घिरे रहे हैं सदा कागजी शेरों से, सिंहों की मुद्रा पर अब
डीपी सिंह की कुण्डलिया
निसि दिन माया-योग से, लगते नाना रोग वहीं रोग के भोग से, मुक्त कराता योग