डीपी सिंह की रचनाएं
अब तो कागा भी सन्देश लाते नहीं और कबूतर भी चिट्ठी ले जाते नहीं याद
भावनानी के भाव : प्राचीन संस्कृति का युवाओं में प्रसार करना है
।।प्राचीन संस्कृति का युवाओं में प्रसार करना है।। किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र प्राचीन संस्कृति
डीपी सिंह की रचनाएं
पीढ़ियों के त्याग-तप का फल भगीरथ को मिले तब सफलता देवसरि के अवतरण-पथ को मिले
डीपी सिंह की रचनाएं
कालाबाजारी अगर, करनी होती बन्द। देते सूली पर चढ़ा, भ्रष्टाचारी चन्द।। भ्रष्टाचारी चन्द, किन्तु अन्याय
डीपी सिंह की रचनाएं
उसने सोचा, छेड़-छाड़ का समाधान वो पायेगा परीजान के बदले पत्नी पहलवान यदि लायेगा लेकिन
भावनानी के भाव : मां की ममता
।।मां की ममता।। किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र मां की ममता मिलती है सब को
मातृ दिवस पर अशोक वर्मा “हमदर्द” की कविता : मां की हालत ऐसी क्यों है?
मां की हालत ऐसी क्यों है? अशोक वर्मा “हमदर्द” फटेहाल हालत आंचल मैला छोटी सी
भावनानी के भाव : हम भारतीय संस्कृति से बहुत प्यार करते हैं
।।हम भारतीय संस्कृति से बहुत प्यार करते हैं।। किशन सनमुख़दास भावनानी सबको प्यार का मीठा
डीपी सिंह की रचनाएं
।।आन्दोलन।। माना, कुछ उपलब्धि देश ने आन्दोलन से पाई है पर इसकी औलादों ने तो
अशोक वर्मा “हमदर्द” की कविता : मई दिवस
।।मई दिवस।। अशोक वर्मा “हमदर्द” आज मई दिवस है और मजदूर विवश है क्योंकि उनके