पारो शैवलिनी की गजल : तुम्हें जब से
तुम्हें जब से छाया है नशा मुझपे देखा है तुम्हें जबसे, काबू में नहीं दिल
गोपाल नेवार, “गणेश” सलुवा की गज़ल
भूली बिसरी पलों की जब याद आती है तन्हाई में अपनों की बहुत याद आती
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तुम्हें जब से छाया है नशा मुझपे देखा है तुम्हें जबसे, काबू में नहीं दिल
भूली बिसरी पलों की जब याद आती है तन्हाई में अपनों की बहुत याद आती