दिल को छू लेने वाली पारिवारिक कॉमेडी फिल्म है ‘कुछ खट्टा हो जाए’

काली दास पाण्डेय, मुंबई। 16 फरवरी को रिलीज हुई गुरु रंधावा एवं सई मांजरेकर की फिल्म ‘कुछ खट्टा हो जाए’ दिल को छू लेने वाली पारिवारिक कॉमेडी फिल्म है। इस कॉमेडी फिल्म का निर्माण मच फिल्म्स, लवीना भाटिया और अमित भाटिया ने किया है। जी. अशोक द्वारा निर्देशित इस पैन इंडिया फिल्म में गुरु रंधावा एवं सई मांजरेकर के अलावा अनुपम खेर, इला अरुण, अतुल श्रीवास्तव, परितोष त्रिपाठी, परेश गणात्रा एवं साऊथ के स्टार कॉमेडी एक्टर ब्रम्हानंद ने अभिनय किया है। इसे राज सलूजा, निकेत पांडे, विजय पाल सिंह एवं शोभित सिन्हा ने मिलकर लिखा है।

कुछ खट्टा हो जाए” की कहानी आईएएस की तैयारी कर रही इरा मिश्रा (सई मांजरेकर) और उसी कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हीर अरोरा (गुरु रंधावा) पर बेस्ड है। हीर और इरा अच्छे दोस्त हैँ जबकि हीर इरा को रिझाने की कोशिश करता रहता है। लेकिन इरा है कि उसका एक ही फोकस रहता है उसे आईएएस क्लियर करना है। इसी के चलते हीर की तमाम कोशिशें नाकाम रहती है। बावजूद इसके दोनों अच्छे दोस्त हैं। इधर इरा के घर में छोटी बहन है जो जल्दी से शादी करना चाहती है लेकिन चुंकि बड़ी बहन इरा अपने सपने पूरे करने के लक्ष्य के चलते शादी के बारे में बिल्कुल भी नहीं सोचती।

जबकि उधर हीर के दादाजी (अनुपम खेर) जल्द ही अपने पोते की शादी कर देना चाहते हैँ ताकि उनके घर में वर्षों बाद नन्हा मेहमान आ सके। वे लगातार हीर पर दबाव बनाते हैं कि या तो उनकी बताई लड़की से शादी करे या कोई लड़की खुद बताये जिससे हम तुम्हारी शादी करवा सकें। बस शादी कर ले। इसी बीच इरा के घर वाले बताते हैं कि उसकी बहन 2 महीने की प्रेग्नेंट है और अगर उसकी जल्दी से शादी नहीं की गयी तो बहुत बदनामी होगी तथा हीर के दादा जी का बढ़ती उम्र के चलते तबियत बिगड़ने लगता है और वे जल्दी से नन्हे मेहमान को देखना चाहते हैं।

हीर और इरा कॉलेज में मिलते हैं और एक दूसरे को अपनी प्रॉब्लम बताते हैं और आपस में बात करते हैं कि जब दोनों की प्रॉब्लम एक सी है तो क्यों न एक दूसरे से शादी कर लें। हालांकि प्रॉब्लम ज्यादा इरा की है फिर भी हीर इस बात के लिए राजी हो जाता है कि जब तक इरा का आईएएस नहीं हो जाता तब तक दोनों बच्चा पैदा नहीं करेंगे। दोनों घर में शादी के लिए हाँ कहते हुए अपनी-अपनी पसंद के बारे में बताते हैं जिस पर घर वाले हाँ करते हुए दोनो की शादी करवा देते हैं। उसके बाद शुरु होती है असली परेशानी।

चूँकि दादाजी एवं परिवार के अन्य सदस्यों को नये मेहमान का इंतज़ार है इसलिए इन पर नजर बनाये हुए हैं जबकि इरा का ध्यान पढ़ाई पर है। इरा पहली ही रात से हीर को दूर रहने के लिए कहती है, जिसे वह स्वीकार कर लेता है। अब आगे की कहानी फिल्म में देखेंगे तो ज्यादा मजा आएगा। फिल्म “कुछ खट्टा हो जाए” का म्यूजिक ठीक है सारे गाने पंजाबी मिक्स हैं। कुल मिलाकर फिल्म ‘कुछ खट्टा हो जाए’ परिवारिक फिल्म देखने वालों को बहुत पसंद आएगी।

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